का जमाना आ गयो भाया,साँच के साँच कहे भा माने में नटई से ना त बोलS फूटता, आ ना त बुद्धिये संग-साथ देत देखात बा। ऐरा-गैरा,नथ्थू-खैरा सभे गियान बघारे में लाग गइल बा।गियान के सोता चहुंओर से फूट-फूट के बहि रहल बा।अजब-गज़ब गियान, न ओर ना छोर बस बहि रहल फ़फा-फ़फा के। मने कतों आ कुछो। लागता कि सगरे जहान के गियानी लोग मय गियान के संगे इहवें कवनों सुनामी में बहत-बिलात आ गइल बा आ ओह लोगन के गियानों में एह घरी सुनामी आ गइल बा। खाली गियाने तक…
Read MoreTag: जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
राम मेरे
अब गूँज रहल तेरो नाम, राम मेरे गलियन में। राम मेरे गलियन में, हो राम मेरे गलियन में।। अब गूँज रहल तेरो नाम, राम मेरे गलियन में।। बरीस पाँच सौ बीतल बहरा उहवाँ रहल दुसमन के पहरा अब नइखे कुछो गुमनाम, राम मेरे गलियन में। अब गूँज रहल तेरो नाम, राम मेरे गलियन में।। आपन घर अपनन के रगरा बेगर बात में फानल झगरा भइल ओकरो काम-तमाम, राम मेरे गलियन में। अब गूँज रहल तेरो नाम, राम मेरे गलियन में।। छंटल तम भइल उजियारा अजोधिया जी अब…
Read Moreगीत
सजि रहे तोरण द्वार, राम मोरे आई रहे आई रहे , मुसकाई रहे, कि सजि रहे तोरण द्वार, राम मोरे आई रहे। कटल तम के अन्हियारी रतिया सभके हिय उनही के बतिया। दुअरे लागल कतार, राम मोरे आई रहे। कि सजि रहे तोरण द्वार, राम मोरे आई रहे। ई बनवास कई सदियन के बा इतिहास नेकी बदियन के। अब गावहुँ मंगलचार राम मोरे आई रहे। कि सजि रहे तोरण द्वार, राम मोरे आई रहे। दियरी जराई साजो दुअरिया मह मह महकत सगरी कियरिया। चहुंदिसि जय -जयकार, राम…
Read Moreआँखिन देखी —
गंवे गंवे भोजपुरी साहित्य के पठनीयता के मिथक टूट रहल बा,अइसन हम ना बजार कहि रहल बा। एकरा पाछे मुख्य कारण उपलब्धता आ विश्वसनीयता के मानल जा सकेला। डिजिटल युग एहमें अहम भूमिका निभा रहल बा। भोजपुरी के पुस्तक पहिलहूँ प्रकाशित होत रहनी स आ अजुवो प्रकाशित हो रहल बानी स। एह दिसाई साहित्यांगन आ सर्वभाषा प्रकाशन एगो मजगूत बड़ेर लेखा सोझा बाड़ें। पुस्तक मेला, जगह-जगह लागे वाला स्टाल भाषा के नेही-छोही लोगन के संगही दोसरो भाषा भासी लोगन के सोझा भोजपुरी के किताबन के उपलब्धता सुगमता से सुलभ करा…
Read Moreहमार बड़का बाबूजी
दूबर पातर सरीर, लमाई छव फुट से कम न रहल होई,समय के पाबंद, साइकिल के सवारी क के कबों-कबों ईस्कूल मने किसान उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सैदूपुर तक के जतरा, अक्सरहाँ त पैदले चलत रहने । सोभाव के तनि कड़क, पढ़ाई के लेके हरदम जागल रहे वाला मनई रहलें हमार बड़का बाबूजी मने श्री रामदास द्विवेदी बाबूजी। उनुका पढ़ावत बेरा सुई के गिरलो के अवाज सुना जात रहे। कबों कवनों लइका आपुस में बात करे के कोसिस करसु त सोवागत खड़िया (चाक) भा डस्टरे से होत रहे। बाक़िर पढ़े वाला लइकन…
Read Moreधत्त मरदवा हाँले
इसक समंदर डूबि नहइला, धत्त मरदवा हाँले। का रहला आ का बनि गइला, धत्त मरदवा हाँले।। ओझा सोखा पीर मौलवी, तहरे से माँगे पानी खबर नबीसन के खातिर तू, बनला अधिका ज्ञानी। नुक्कड़ नुक्कड़ तोही जपइला, धत्त मरदवा हाँले। का रहला आ——– डगर नगर में सभै सुनावे, तहरे रामकहानी आगे आगे महा गुरुजी,पीछे से मधुरी बानी। पकड़ि पकड़ि के खूबै कुटइला, धत्त मरदवा हाँले। का रहला आ——— के के बेंचला के खरीदल, केहू जान न पावल कलुआ खातिर प्रान वायु ह, तहरे गुनवा गावल। मुसुकी मुसुकी घाहिल…
Read Moreगीत
अबकी नवरतिया मइया करतु एगो जुगतिया हो मइया मोरी करतु एगो जुगतिया कि छोड़ि हो देतु ना, अपने बब्बर सेरवा के मइया, छोड़ि हो देतु ना। छोड़तु त भले करतु आपन बब्बर सेरवा हो मइया मोरी आपन बब्बर सेरवा बाक़िर छोड़तु ओकरा ना, जयचंदवन के पिछवा मइया छोड़तु ओकरा ना। गद्दरवन के पिछवा मइया छोड़तु ओकरा ना। छोड़तु त भले करतु आपन बब्बर सेरवा हो मइया मोरी आपन बब्बर सेरवा बाक़िर छोड़तु ओकरा ना, मंहगइया के पिछवा मइया छोड़तु ओकरा ना। बेरोजगरिया के पिछवा मइया छोड़तु ओकरा ना।…
Read Moreपितर पख आ सराध
पितर पख में पुरबुज लो के अतमा के शांति खातिर पूरे विधि-विधान से अनुष्ठान कइल जाला। पितर पख में तर्पण आ पिंडदान कइला से पुरबुज लो के असीस मिलेला। घर में सुख-शांति बनल रहेले। वैदिक परम्परा का हिसाब से हिन्दू धरम में ढेर रीति-रेवाज़, बरत, तेवहार मनावल जाला। हिन्दू धरम में जनम से लेके मिरतुक के बादो कई संस्कार मनावल जाला। जवना में अंतेष्टि के अंतिम संस्कार मानल जाला। बाक़िर अंतेष्टि का बादो कुछ कारज अइसन होखेलें जवना के संतान के करे के पड़ेला। पितर पख आ सराध ओकरे में…
Read Moreसतुआन के नवकी परिभाषा
का जमाना आ गयो भाया, ओह दिनवा जे भोपू पर नरेटी फार-फार के नरियात रहल, आजु काहें घिघ्घी बन्हा गइल बा। दुका-दुका दोहाई दिया रहल बा।समय के चकरी त चलते रहेले आ चलियो रहल बा। ओह चकरी के चकर-चकर में कई लो चौनिहा गइल बाड़ें।काहें भाय, अब का भइल ?अपना पर परल ह, त दरद होता, दोसरा के बेरा मजा आवेला। अब कापी राइट के संस्था के पता बतावे आ पूछे वाला लोग केने कुंडली मार के बइठल बाड़ें ? बिल के बहरा आईं महराज। का भइल,आजु अपना जात-बिरादर के…
Read Moreभुकभुकवा के राग भैरवी
का जमाना आ गयो भाया, लोग-बाग बेगर सोचले-समझले कुछो नाँव राख़ लेत बा आ फेर अपढ़-कुपढ़ लेखा गल थेथरई करे में लाग जात बा।फेर त अइसन-अइसन विद्वान लोग जाम जात बाड़ें कि पुछीं मति। अरथ के अनरथ आ अनरथ के अरथ के घालमेल में असली बतिये बिला जात बिया। अबरी त साँचों में असली मकसदे बिला गइल। रोज नया-नया लोग आवत बाड़ें आ गाल बजा के, राग भैरवी कढ़ा के अपना-अपना खोली में ओलर जात बाड़ें। फेर त ढेर लोग चौपाल सजा-सजा के नून-मरिचा लगा-लगा के परोसे में जीव-जाँगर से…
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