गीत

सजि रहे तोरण द्वार, राम मोरे आई रहे

आई रहे , मुसकाई रहे,

कि सजि रहे तोरण द्वार, राम मोरे आई रहे।

 

कटल तम के अन्हियारी रतिया

सभके हिय उनही के बतिया।

दुअरे लागल कतार,

राम मोरे आई रहे।

कि सजि रहे तोरण द्वार, राम मोरे आई रहे।

 

ई बनवास कई सदियन के

बा इतिहास नेकी बदियन के।

अब गावहुँ मंगलचार

राम मोरे आई रहे।

कि सजि रहे तोरण द्वार, राम मोरे आई रहे।

 

दियरी जराई साजो दुअरिया

मह मह महकत सगरी कियरिया।

चहुंदिसि जय -जयकार,

राम मोरे आई रहे।

कि सजि रहे तोरण द्वार, राम मोरे आई रहे।।

 

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

31/12/2023

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