नून-तेल-लकड़ी मे फंसि गइल जनता
नाहीं त तखता पलटि देत जनता!
ओके लगेला की होत बा सब अच्छा
नइखे मालूम के बा झूठा के बाद सच्चा
भेड़ियन के बीच में भइल नंगी जनता
नाहीं त तखता पलटि देत जनता!
धरम-करम मेें उ बा गइल अझुराई
जात-पात ऊंच-नीच के रोग लगाई
भरम मे भागल जाले कांवर लेके जनता
नाहीं त तखता पलटि देत जनता!
बरध जइसे रात-दिन बहावे पसीना
पेट जिआवे फारि धरती के सीना
किसमत पे रोवै बइठ करे कुछ ना जनता
नाहीं त तखता पलटि देत जनता!
मेहनत से दूर जवन काटैं मलाई
हक अधिकार गइल जनता भुलाई
घोड़ा बेच अबहूं सोअत बा जनता
नाहीं त तखता पलटि देत जनता!
ग्यान के आंधी एक दिन भरम उड़ाई
बुद्ध कबीर के तब सपना पुराई
फूले, बाबा, भगत के भुलाइल बा जनता
नाहीं त तखता पलटि देत जनता!
- राम बचन यादव
प्रवक्ता (हिन्दी) आदित्य नारायण राजकीय इंटर कॉलेज चकिया, चंदौली