इहवाँ कइसन साज सजल हौ
कइसन बनल जमीन।
हाथ घवाहिल पंचर सैकिल
हथियो बजावे बीन॥
आपौ के त छूटल पसीना
जेल क अजबै सीन।
दक्खिन वाले पीटें छाती
सगरे फेल मसीन।।
लालटेन क तेल ओराइल
उधो सुधो गमगीन।
भर दुनिया करे हथजोरिया
का रसिया का चीन॥
अब्बो झाल बजावे पपुआ
हव कौड़ी के तीन ।
के मोदी के रोकी इहवाँ
केकर अतना दीन॥
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी