पढ़े लिखे में जी ना लागे
बनि के घुमत हवा नमुन्ना
पिता जी पूछलन पूत से अपने
रगड़त खैनी संगे चुन्ना।
तब बबुली झार अदा से अगबै
पान थूक के बोलस मुन्ना
सुना हे बाऊ नेता बनबै
कइ देब दऊलत पल में दुन्ना।
का घबड़ाला झूठमूठ क
अँगुरी पर बस दिनवा गीन्ना
लड़ब बिधइकी जल्दी हनहुँ
फिर बुझबा हम हई नगिन्ना।
जिला जवारी जानी हमके
निक निक लोगवा छोड़ि पसिन्ना
तोहरो नाम ऊँचाई छुई
नाची सब डेहरी पर धिन्ना।
खड़ा सफारी दुअरे होई
मनी महोत्सव साथ रबिन्ना
मय बखरी ए सी लगवाईब
जेठ भी लागी शीत महिन्ना।
डिगरी ले कुछ हाँथ न आई
कइहैं लोग करम के हिन्ना
पाँव धरीं ना कलम थमावा
बिन कुरता मोर देह जंची ना।
पान थूक के बोलस मुन्ना
पान थूक के बोलस मुन्ना।।”योगी”
- योगेन्द्र शर्मा “योगी”
भीषमपुर,चकिया,
चन्दौली (उ.प्र.)