तमासा घुस के देखै

लख लतखोर कहाय,

तमासा घुस के देखै॥

सौ सौ जुत्ते खाय, तमासा घुस के देखै॥

 

इनका उनुका बहकावे में

नाटो क खिचड़ी पकावे में

जेलस्की इतराय, तमासा घुस के देखै॥

 

गावत फिरत देस के गीत

संहत  छोड़ि परइलें मीत

बइडेनवा मुसकाय, तमासा घुस के देखै॥

 

बरसे लगल रसियन मिसाइल

खड़हर सहर मनई बा घाहिल

खूनम खून नहाय, तमासा घुस के देखै॥

 

मानवता के नारा कइसन

नैतिकता क पहाड़ा जइसन

कबौं बदल ऊ जाय, तमासा घुस के देखै॥

 

के बा नीक, नेवर के बा

फयदा केकरा फ़ेवर में बा

बकसे बइठ नरियाय, तमासा घुस के देखै॥

 

  • जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

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