लेवरल पोतल ह उप्पर से भितरी बड़का झोल, फकीरा, तोल मोल के बोल, फकीरा।2। लगल घून हौ धरम करम में नेह चटलेस दियका। लूह लागल हीत-नाता के सरम बिलाइल, डहका । इंटरनेट पर पीटत बबुआ परंपरा के ढोल, फकीरा , तोल मोल के बोल, फकीरा।2। तूरत फ़ारत झंखत झारत आगि लगवलें घर घर । कवनो बात भइल बा इहवाँ बोलत बाटे टर टर । जेकरा खातिर छोड़ला सभके उहे खोलता पोल, फकीरा, तोल मोल के बोल, फकीरा।2। के के फुकले बा पुवरउटी इरिखा में जरि जरि के।…
Read MoreCategory: भोजपुरी कविता
अइसे कइसे
महटिया के सूतल जागी, अइसे कइसे। सभे बनत फिरे बितरागी, अइसे कइसे। सोझे आके मीठ बोलवा सोरी में अब डाले मंठा। ओकरे फेरा घर बिलाई फिरो बजावत रहिहा घंटा। सूपा पीट दलिदर भागी, अइसे कइसे । सभे बनत—- बेगर बुझले बिना ताल के ओही रागे अपनों गउला। सब कुछ तहरा राख़ हो गइल आग लगवलस समझ न पउला । उनुका खाति बनला बागी, अइसे कइसे । सभे बनत—- हीत-मीत के बात न बुझला ओकरे रौ में मति मराइल । अपनन के घर बाहर कइला तहरा जरिको लाज…
Read Moreअब त नींन से जागा राजा
हर कुर्सी बेईमान भेटालन अपने मन क बज ता बाजा हे सेवक परधान देश क अब त नींन से जागा राजा। तहसील कचहरी थाना चउकी मागैं रुपिया भर भर भऊकी ना देहले पर काम ना होला बेतन थोरिका अउर बढ़ा दा। अब त नींन से जागा राजा। पन सउआ क बात करैंन देहला पर भी घात करैंन लेखपाल जब मारैं मन्तर पल में नम्बर होखै बंजर जीयते माछी घोट घोट के छूट रहल हव बचलो आशा। अब त नींन से जागा राजा। स्कूली क हीन दसा हव…
Read Moreजय हो गाजियाबाद
एगो सांसद चार बिधायक मेयर संगे सै गो पार्षद सबके सब आबाद । जय हो गाजियाबाद। नगर निगम के हाल न पूछा जी डी ए से ताल न पूछा पूरे पूरा सहर के बबुआ जनता बा बेहाल न पूछा। कोसिस करत करत मरि जइबा होखी ना संवाद । जय हो गाजियाबाद। कतो सड़क पर गटर क पानी स्वच्छता के क़हत कहानी बेगर मंगले कुछौ मिले ना अधिकारिन के हौ मनमानी। चिट्ठी प चिट्ठी भेजले जा सुने ना केहू नाद । जय हो गाजियाबाद। सभके चारो ओरी घेरा…
Read Moreए भवानी माई!
ए माई! साचो आइल बाड़ू का हो! देखनी हँ लोग बाग के घर दुआर धोवत रहल ए माई! तोहरा लगे त साँचो सक्ति बा दस गो हथवा लेहले सिंघवा पर सवार बाड़ू दसो में बरियारे औजार लेले बाड़ू सिंघवा अलगे चीरता फाड़ता ए माई! हम का करीं हो? तोहार हथियार दस गो आ महिसासुरवा एगुड़े हमार त दुइएगो हाथ बा आ महिसासुरवा! डेगे डेगे ठड़ा बाड़ें सन ए माई! लरिका रहनीं त भुनेसरा के मतारी हमरा के भगउती खानीं पूजले रहे उहे भुनेसरा आजु हमार अँचरा घींच…
Read Moreमंगरुआ के मौसी
मंगरुआ के मौसी मुँहझौसी ! कतों मुँह खोल गइल। ढेरे कुछ नु बोल गइल। नाड़ा के बाति भाड़ा के बाति उजरकी कोठी आ कलफ लागल कुरता दूनों के तोल गइल। ढेरे कुछ नु बोल गइल। कहाँ, के खोलल टटोलल ! कहाँ कतना मोल भइल। ढेरे कुछ नु बोल गइल। आजु मेजबान फेरु बेजुबान घर घर घरनी के अदला-बदली तक टटोल गइल। ढेरे कुछ नु बोल गइल। कंकरीट के जंगल में लहलहात कैक्टस लेवरन अस साटल मुसुकी से परम्परा के सुनुगत बोरसी तक अचके झकोल गइल। ढेरे…
Read Moreअब ना जगबा, त ओरा जइबा
सिकुरत सिकुरत बचला मुट्ठी भर अब ना जगबा, त ओरा जइबा। पुरबुजन के नाँव हँसा जइबा॥ जे जे कांपत रहल नाँव से ओहन से अब कांपत हउवा। बीपत जब सोझा घहराइल भागत भागत हांफत हउवा॥ कतों बिलइला आ भाग परइला साँच बाति के कब पतिअइबा॥ अब … कवन डर पइसल बा भीतरी जवना से घबराइल हउवा। लालच के लत लागल तहरा बेगर बाति क घाहिल हउवा। जहाँ धरइला आ उहें छंटइला केकरा सोझा दुखड़ा गइबा॥ अब… ईरान क, का हाल छिपल बा अफगानिस्तान पुरा सफाया। दहाई में…
Read Moreजीरो माइल बा
गाँव घरे क बात करीं जनि, रिस्ता-रिस्ता घाहिल बा। सब कुछ जीरो माइल बा॥ पुस्तैनी पेसा ना भावत कहाँ गवैया नीमन गावत गीतकार क बात करीं जनि, इहाँ जमाते जाहिल बा। सब कुछ जीरो माइल बा॥ छोड़ि के आपन घर-गिरहस्ती बहरे हेरत फिरत हौ मस्ती मेहनत के बात करीं जनि, असकत सिरे समाइल बा। सब कुछ जीरो माइल बा॥ ईमानदार से डर लागै मोलाजिम करतब से भागै घुसख़ोरी क बात करीं जनि उहाँ भिरी देखाइल बा। सब कुछ जीरो माइल बा॥ जहाँ बेबस मरीज कटत हौ डागदरन में माल बटत…
Read Moreबगौरा तs बगौरे हs !!
ए हे बगौरा ! तहार गजबे बा कहानी केहू कहेला- बड़हन -बड़हन बाग रहे एजवा एही से नाम पड़ल- बाग बड़ा -‘ बगौरा’ बीच गाँव में बड़का एगो गढ़ गाँव के बहरी उत्तर से घूसे में बबुआ जी के कोठी दक्खिन आ पूरब के कोन बन्हले राम नारायन दास महंथ जी के मठिया पच्छिम आ दक्खिन में शिवाला के मंदिर पच्छिम आ उत्तर के भंडार कोन पर टिकुलिया स्थान के भोले बाबा। काली माई-चार जानी चार दिसा में एक जानी शिवाला मंदिर का लगे एक जानी पच्छिम टोला वाली एक…
Read Moreमसान- राग
आगे बाबूजी लगनीं पीछे हम छोटका भाई सबसे आगे जोर-जोर से घड़ीघंट बजावत चिल्लात चलत रहुए- “राम नाम सत है ।” राधामोहन के हाथ में छोटकी टाँगी रहुए कहत रहुअन- “चाचाजी जी एक सव एकवाँ नम्मर पर बानीं सएकड़ा त फागुये राय पर लाग गइल रहे हमार ।” बड़ गजब मनई हउवन राधामोहन ठाकुरो! गाँव के कवनों जाति छोट-बड़ सबका में मसाने दउड़ जालें बोखारो रहेला तबो कवनों बहाना ना बनावस केहू किहाँ मउवत सुनिहें झट दउड़ जइहें । परदूमन भाई बोललें- “अच्छा चलीं नरब चाचा राधामोहन जी बाड़ें त…
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