पार्टी विथ डिफरेंस हईं हम
होखे जय-जयकार।
हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।
तहरे माला हमै बनवलस
पार्षद, मेयर आ विधायक ।
हमही लायक सांसद बानी
टैक्स के चलाइब सायक।
चैन से रहि ना पइबा घरे
नगर निगम के मार।
हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।
पानी बिजुरी कूड़ा पूरा
घर-घर हेरवाइब सर्वे कर ।
टैक्स क सोंटा चली दबा के
कंहरे भा जीयें मर मर कर ।
जनता के राहत ना कउनों
देखत अँखिया फार।
हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।
चमचा फोरें घर-घर के आ
बेलचा करें अलगे-थलगे।
मिल ना पाई कउनों सुबिधा
हाथ मलत के साँचे झलके ।
उछरि-उछरि पहिरवला माला
हम पहिराएब हार।
हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।
जब जब अब हमै बोलइबा
तब तब आइब बन-ठन के ।
बाकी-ढेकी सभै लपेटब
रोवाँ डहकाइब जन जन के ।
हमरे इहाँ चलन में बाटै
दोधारी तलवार ।
हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी