गंवे गंवे भोजपुरी साहित्य के पठनीयता के मिथक टूट रहल बा,अइसन हम ना बजार कहि रहल बा। एकरा पाछे मुख्य कारण उपलब्धता आ विश्वसनीयता के मानल जा सकेला। डिजिटल युग एहमें अहम भूमिका निभा रहल बा। भोजपुरी के पुस्तक पहिलहूँ प्रकाशित होत रहनी स आ अजुवो प्रकाशित हो रहल बानी स। एह दिसाई साहित्यांगन आ सर्वभाषा प्रकाशन एगो मजगूत बड़ेर लेखा सोझा बाड़ें। पुस्तक मेला, जगह-जगह लागे वाला स्टाल भाषा के नेही-छोही लोगन के संगही दोसरो भाषा भासी लोगन के सोझा भोजपुरी के किताबन के उपलब्धता सुगमता से सुलभ करा रहल बा। भोजपुरी भाषा के ओर दोसरो भाषा भाषी लोगन के बढ़त झुकाव, भाषा के सीखे-पढ़े के ललक उमेद जगा रहल बा। साहित्य आज तक से चलत साहित्य अकेडमी होत गोमती पुस्तक महोत्सव, लखनऊ तक सर्वभाषा प्रकाशन के जतरा के साक्षी का रूप में भइल साक्षात्कार मन के उछाह से भर देले बा। एगो मिथक कि लोग भोजपुरी के किताब कीन के ना पढ़ल चाहेला, एह तीनों पुस्तक मेला में दरकत लउकल।
साहित्य आज तक, दिल्ली आ साहित्य अकादमी, दिल्ली के पुस्तक मेला तक पहुँचे वाले भोजपुरिया पाठकन के रुझान अपने भाषा, संस्कृति आ साहित्य के लेके उमेद जगा रहल बा। गोमती पुस्तक महोत्सव, लखनऊ जेयादा उमेद जगवलस। सभेले सुखद बात जवन केहू सीना चाकर करि दे, उ ई कि सर्वभाषा प्रकाशन (सर्वभाषा ट्रस्ट) भोजपुरी के किताबन के मजगूत ठेहा का रूप में आपन जगह बना चुकल बा। एह घरी करीब भोजपुरी के 110 पुस्तक प्रकाशित क के देस के सगरे प्रकाशकन में पहिल जगह पर चहुंप चुकल बा। भोजपुरी के धमक आजु सर्वभाषा प्रकाशन के धमक बनि चुकल बा। एकरा चलते सर्वभाषा प्रकाशन के निदेशक के बड़ बड़ मंच अपने इहाँ बोला रहल बा आ उनुका अनुभव से लाभो उठा रहल बा। एही का चलते भोजपुरी साहित्य सरिता सम्पादन टीम अपना एह अंक आ आगे आवे वाले अंकन में भोजपुरी किताबन के समीक्षा के प्रमुखता से जगह देवे क निरनय ले चुकल बा आ ओकरा रउवा सभे के सोझा परोस रहल बा।
अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के 27 वें सम्मेलन में भोजपुरी पत्रकारिता खातिर भोजपुरी साहित्य सरिता के संपादक के ‘पाण्डेय नर्वदेश्वर सहाय’ सम्मान से सम्मानित करे के निरनय खातिर भोजपुरी साहित्य सरिता परिवार आभारी बा। पत्रिका के सहायक सम्पादक डॉ रजनी रंजन जी सम्मेलन में सिरकत कइनी आ पत्रिकाके प्रतिनिधि का तौर पर सम्मान सवीकार कइनी। एह सुखद एहसास का संगे रउवा सभे के भोजपुरी साहित्य सरिता परिवार का ओर से नवका बरिस के अगवड़ बधाई आ शुभकामना।
रउरा सभे के आपन
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
सम्पादक
भोजपुरी साहित्य सरिता