चिरईं फेर से चहकी

पुरवा

फेर से बहकी।

 

हर पत्ता पियराइल बा

कतहूं गंध हेराइल बा

टेढ़ परीक्षा आइल बा

 

फूलवा

फेर से महकी।

 

अबहीं रात के डेरा बा

सब समय के फेरा बा

धीरज धरे के बेरा बा

 

चिरईं

फेर से चहकी।

 

  • डॉ हरेश्वर राय

सतना, मध्य प्रदेश

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