ना हमरा से नेह छोह ना रउरा से प्यार बा। फेरु गुलबिया हो, केकरा लग्गे सरकार बा। बुद्धू बकसवा में बइठ टर्राने केकरा खातिर पूछेलें फलाने केकरा साथ संगत के उनुका दरकार बा। गुलबिया हो…… केकरे ओठवा के नमी झुराइल बाति के सुनगुन से के बउराइल केहो छान-पगहा लिहले करत गोहार बा । गुलबिया हो…… अचके में आजु मार पड़ल अइसे करके भितरघउवा सुसुकीं कइसे अइसन दरद जवन कहलो बेकार बा। गुलबिया हो…… जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
Read MoreCategory: भोजपुरी गीत
बकरिया रे
बकरिया रे तोर महिमा बा भारी गुन गावे खूबे संविधान सरकारी ! दुधवा जे पियेला उ बनेला महातमा दुनिया कहेला महामानव देवातमा आजु होला पठरुन के बलि बरियारी ! तोरे से आ तोरे खातिर तोरे लोकतंतर ज्ञानी जन दिने राति जपे इहे मंतर बाकिर तोरा घरवा के देवेलन उजारी ! तहरे के बेचि कीनि चले दुकनदारी दूहि गारि लेवे नीके देवे दुतकारी काहें टुकुर टुकुर ताकि बनेलू बेचारी ! तहरा के दूहे सभ केहू पारापारी तबहूँ ना जिनगी के सधे देनदारी लोहू पीये मास चाभे बने अवतारी ! सभ अनमोल…
Read Moreमाई
पेट जारि के जिअवलू आपन बखरा खिअवलू , करनी अइसन कइलू कभों बिसराई ना केहू माई तोर करजा भरि पाई ना केहू । बहुते बेमार परीं हमहूँ नन्हईयाँ जोहलू न केहुके उठवलू कन्हईयाँ कोसनऽ ले जाई जा के लेहलू दवाई गुन गवला से कतनो अघाई ना केहू माई तोर करजा– जड़वे त कोरवे में साटि लुकववलू भेवनी बिछवना ओहू के झुरववलू किरिया धरावे केहू ठोनहक मारे दुख सहलू जवन ऊ भुलाई ना केहू माई तोर करजा– झोंझरी में भूँजा दे के पढ़े के पठवलू रार ना मचाईं कतों किरिया धरवलू…
Read Moreईयाद आवे गउवाँ
शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ खेत, खरिहान अउर पीपर के छउवाँ ईयाद आवे गउवाँ॥ संगही ईयाद आवे, ईया के बतिया लइकन संगे खेललकी होला पतिया अचके मचल जाला जाये के पउवाँ। ईयाद आवे गउवाँ॥ शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ॥ संगही ईयाद आवे होरहा भुजलका खेतन के डांड़े भागत बेर गिरलका संझा खानि ओरहन धरि धरि नउवाँ। ईयाद आवे गउवाँ॥ शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ॥ संगही ईयाद आवे ऊख के तोड़लका पकड़इला पर उखिए उखिए पिटलका ठेहुना क दरद सरकि के गिरल खउवाँ। ईयाद आवे…
Read Moreगीत
बेसुरा कुछ लोग,लय क चासनी लेके खड़ा बा शब्द के फींचे सुखावे अरगनी लेके खड़ा बा/ रेलगाड़ी के सफर में दूर से सीवान देखे आंखि पर ऐना चढ़ा के झिरखिरी से चान देखे दिनकेउजियारे दिया भर चांदनी लेके खड़ा बा/ ककहरा भर पाठ पढ़िके रोज भासा ज्ञान बांटे राह जे चीन्हें न जाने राह क पहिचान बांटे आंखि ना दीदा ,समय क तरजनी लेके खड़ा बा/ पांव के नीचे न माटी माथ पर आकास ढोवे समय के रुख पर चले जे बहत गंगा हाथ धोवे ऊ भगीरथ क कठिन तप…
Read Moreकलही मेहरिया
दूभर कइलस चलल डहरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥ गाँव के रसता अचके भुलाइल जिनगी में उ जहिया से आइल भूल गइल अपनों सहरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥ केहुके न छोड़लस एकहु बाकी कोना अंतरा गउंखा झाँकी ननदो पर ढारत कहरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥ भाई भतीजन के देखते खीझे देवरो पर ना उ तनिको रीझे तूर दीहलस घर के कमरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥ भोरही से उठिके पढ़ेले रमायन सास ससुर के गरिए से गायन जिनगी बनवलस जहरिया हो रामा कलही मेहरिया…
Read Moreचइता
चईत महीनवा के सुभ सुदिनवा मंगल बाजेला बधईया हो रामा.. चईत महीनवा.. फुलवा खिलखिल झरले अँचरवा में , सूरुज हँसेले ठठाइके हो रामा.. चईत महीनवा.. कमल खिलाके हँसेले पोखरवा में पुरईन सजेली मोती मालवा होरामा .. चईत महीनवा..! अमवा के डलिया में छोट-छिन टिकोरवा , कोईली बोलेली टहकारवा हो रामा.. चईत महीनवा.. कटहर हुलसेला देखिके बलकवा बिधना हमर भरे गोदिया हो रामा.. चैईत महीनवा सोनवा से लउकेला गेहुँआ के डरिया जड़ल बाटे मोतिया से देहिया होरामा.. चईत महीनवा गीतवा गाई-गाई झूम-झूम नाचेला, आजु हम भईनी लछमिनिया हो रामा.. चईत महीनवा…
Read Moreधरती पर उतरल बिहान
बोलल चिरइया मड़इया का उपराँ सुनि सुनि उठलें किसान देखीं धीरे धीरे- धरती पर उतरल बिहान। पुरुवा पवनवाँ पोर पोर भीने बछरू बन्हल डिंड़िआय चमकत चनवाँ कहवाँ लुकइलें गइलीं तरइयो हेराय। मठ मन्दिर से भजनियाँ सुनाले रेडियो में जोर से अजान देखीं धीरे धीरे – धरती पर उतरल बिहान। बसिया परल रातरानी के महकिया पनघट के जल जोहे बाट पोखरा के भीटा बतिआवे डहरिया से हँसे लगे नदिया के घाट। हेंईं हेंईं धोवेला धोबिनियाँ के सजना साफ साफ लउके सिवान देखीं धीरे धीरे- धरती पर उतरल बिहान। सोनवाँ का पलकी…
Read Moreमसाने में
शिव भोले हो नाथ, शिव भोले हो नाथ चलि अवता दिल्ली मसाने में। अवता त देखता दिल्ली के हालत दिल्ली के हालत हो दिल्ली के हालत सभे जूटल दारू पचाने में । शिव भोले हो……. अवता त देखता नेतन के हालत नेतन के हालत हो नेतन के हालत सभे जूटल ई डी से जान बचाने में । शिव भोले हो……. अवता त देखता पपुआ के हालत पपुआ के हालत हो पपुआ के हालत देखS जूटल, देस क इजत भसाने में । शिव भोले हो……. अवता त…
Read Moreगीत
महुआ मन महँकावे, पपीहा गीत सुनावे, भौंरा रोजो आवे लागल अंगनवा में। कवन टोना कइलू अपना नयनवा से।। पुरुवा गावे लाचारी, चिहुके अमवा के बारी, बेरा बढ़-बढ़ के बोले, मन एने-ओने डोले, सिहरे सगरो सिवनवा शरमवा से।। अचके बढ़ जाला चाल, सपना सजेला बेहाल, सभे करे अब ठिठोली, कोइलर बोले ले कुबोली, हियरा हरषे ला जइसे फगुनवा में।। खाली चाहीं ना सिंगार, साथे चाहीं संस्कार, प्रेम पूजा के थाल, बाकी सब माया-जाल, लोग कहे चाहें कुछू जहनवा में।। – केशव मोहन पाण्डेय
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