हिंदुस्तानी अकादमी के भिखारी ठाकुर सम्मान से सम्मानित भोजपुरी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के ‘काव्य कौस्तुभ’ के मानद उपाधि से नवाजल गइल। साहित्य मंडल नाथद्वारा राजस्थान में आयोजित भगवती प्रसाद देवपुरा स्मृति एवं राष्ट्रीय बाल साहित्य समारोह ( 6 – 7 जनवरी 2023) के उहाँ के एह उपाधि से सम्मानित कइल गइल । बतावत चलीं कि जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के अब तक ले 5 गो पुस्तक प्रकाशित हो चुकल बाडी आ उहाँ के 3 गो पुस्तकन के सह सम्पादन कर चुकल बाड़ें। भोजपुरी साहित्य सरिता पत्रिका का पछिला …
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बाढ़ का कहर
थमें ना लहरिया कइसे निकली बहरिया। लेवे ना किसनवन के केहू अब खबरिया।। आ○1 चुनउआ से पहिले वादा रहे बच बचाव के..2 अब जानी गइनी इ सब होता खाली नाव के..2 तकला पर आवे सगरो पनीये नजरिया…2 लेवे ना किसनवन के केहू अब खबरिया।। आ○2 मिले आश्वासन खाली होत नाही कुछ बा..2 नेता लोग के बतिया भईल कुकुर के पूंछ बा..2 डूब गईल पाक्का अउरी फूस के अटरिया..2 लेवे ना किसनवन के केहू अब खबरिया।। आ○3 बाढ जब आवे तबे होला रोज दौड़ा..2 जगह जगह नेता लोग के लउके जामौडा..2…
Read Moreघर घर में रावण बा
बनल आदमी आदमी के हीं मुश्किल। घर-घर में रावण बा मिले ना केहू संगदिल।। बनल आदमी………………………… आ○1 माई-बाप-भाई केहू लउकत ना खास बा..2 केहू के केहू पर ना तनिको विश्वास बा..2 गईल बा रुपइया देख सबका से हिल-मिल.. बनल आदमी………………………… आ○2 अखियां तरस गइल पावे ला सनेहिया..2 माटिए में मिल जाइ एक दिन इ देहिया..2 फिर काहें लोरवे से भरल रहे महफिल.. बनल आदमी………………………… आ○3 पाण्डेय आनंद से ना आगे लिखात बा..2 दानव बनल इहवा मानुष के जात बा..2 घुट-घुट के मरे नेक लोग इहवा तिल-तिल..2 बनल आदमी………………………… आनन्द कुमार…
Read Moreकवन ठगवा नगरिया लूटलस हो…
नगर निगम चुनाव प कुछ हमार निजी अनुभव, जरूरी नइखे कि रवुआ हमार बात से सहमत होखीं।आरा शहर प पिछिला कुछ दिन से नगर निगम चुनाव के खुमार चढ़ल बा. आज सांझी के 5 बजे जा के भोजपुरी-हिंदी के पैरोडी कानफाडू गीत आ डी जे के हल्ला बंद भईल. कबो शाहाबाद के मुख्यालय इ शहर अब खलिहा भोजपुर जिला के मुख्यालय रह गईल बा तबो आजुवो इ शाहाबाद क्षेत्र के केंद्र में बनल बा. इतिहास का बेर-बेर दोहरावल जाव तबो इतिहास में तनिकी सा झाँकल जरूरी बा. आरा शहर के…
Read Moreभोजपुर में गाँधी के अइला के सै बरिस
मोहनदास करमचंद गाँधी के महात्मा के उपाधि तबे मिलल जब उ बिहार के धरती पर आपन गोड़ धरले। राजकुमार शुकुल से जिद से गाँधी जी चम्पारण अइले। गाँधी जी 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लेवे आइल रहीं। एही अधिवेशन में शुकुल जी से पहिला मुलाकात भइल। शुकुल जी के बार बार आग्रह रहे कि हमार प्रदेश में आके ओहिजा के किसानन के उद्धार करीं। गाँधी जी टालमटोल करत रहलें आ शुकुल जी जिद। आखिर में गाँधी जी मान गइले आ कल्कता अधिवेशन के बाद आवे के सकरले। …
Read Moreलगै कि फागुन आय गयल
गायब पूष भयल बा भयवा, जइसे माघ….हेराय गयल। बहै ला पछुआ आन्ही जइसन, लगै कि फागुन आय गयल।। कइसो कइसो गोहूं बोवलीं, किल्लत झेललीं डाई कै, करत दवाई थकि हम गइलीं, खोखी रुकल न माई कै, मालकिन जी कै नैका छागल, कल्हिऐ कहूं हेराय गयल। बहैला पछुआ आन्ही जइसन, लगै कि फागुन आय गयल।। झंड भइल बा खेतीबारी, पसरल धान दुआरे पे, लेबी, बनियां केहु न पूछै, न्योता चढल कपारे पे, खरचा अपरम्पार देखि के , हरियर ओद झुराय गयल। बहैला पछुआ आन्ही जइसन, लगै कि फागुन आय गयल।। जाड़ा…
Read More‘आखर-आखर गीत’ आ भोजपुरिहा तड़का
हमरा संगे रऊओं सब के मन खुश होई कि हमनी सब मिलि-जुलि के भोजपुरी भाषा के कवि जयशंकर प्रसाद द्विवेदी जी के कविता संग्रह “आखर-आखर गीत” में डुबकी लगावे वाला बानीजा। साहित्य कवनों भाषा में होखे,ओह में रस होला। रस होई,त तनी-मनी त होई ना,साहित्य के रस के औकात कवनो नदी लेखा होला,आ सांच कहीं त समुन्दर लेखा होला। समुन्दर में डुबकी लगावल सहज होला? ना होला। तबो लोग लागल रहेला आ मोती-मानिक निकालत रहेला। भोजपुरी में लिखला-पढ़ला के लेके खूब चर्चा होत आइल बा। बाकिर लोग तनी दबल-दबल लेखा बतियावेला।…
Read Moreअँगनइया लोटे बबुआ
अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥2॥ लेहिंजा बलाइया हो लेहिंजा बलाइया अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया।। अँगना भर, धुरिये फइलावेला मुँहे भरिके, देही लगावेला धुरिये से पोत लेला दूनों कलइया। हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया। अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥ पवते मोका, भागेला दुअरे सोचत आवे ना, केहू नियरे धउरी धउरी ईया उठावेलीं कन्हइया। हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया। अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥ देखि देखि बाबा, उचकि निहारे उहो न रहि पावें, बेगर दुलारे बोली बोली बबुआ के बाबू…
Read Moreगजियाबादी नगर निगम हौ
लूट खसोट मचवलें प्रतिनिधि जन सुविधन पर गिरल सितम हौ। गजियाबादी नगर निगम हौ॥ मेयर की तो बात न पूछो लूट रहल सौगात न पूछो ठिकेदारन के ज़ेबा भइया इनका खातिर अति सुगम हौ। गजियाबादी नगर निगम हौ॥ निगम के पिछे कचरा के ढेरी लूटे खातिर लगत हौ फेरी शिकायत कइला पर भइया जिनगी ससुरी भइल ज़ुलम हौ। गजियाबादी नगर निगम हौ॥ सड़कन पर गढ़्ढन के लाइल अन्हियारा विकास के साइन मोहल्लन में गटर के पानी इनका खातिर चलत फिलम हौ। गजियाबादी नगर निगम हौ॥ लगल करै स्वक्षता के नारा…
Read More‘साहित्य आज तक’ के महोत्सव सम्पन्न
‘साहित्य आज तक’ के तीन दिन के समारोह बीत गइल।’साहित्य आज तक’, भा ‘आज तक’ भा इंडिया टूडे ग्रुप के ई बहुते सुखद आ सराहे जोग पहल रहल। शुरुवतिए से जवन टीका-टिप्पड़ी चले लगल रहल, तवन अभियो चल रहल बा। कुछ लोग रजनीगंधा के स्पानसरशिप के लेके कार्यक्रम के क्रिटिसाइज करत देखाइल आ कुछ लोग साहित्यकार चयन के लेके क्रिटिसाइज कर रहल बा। सभे के आपन-आपन तर्क बा, आपन-आपन विचार बा। जे घोड़ा पर चढ़ेला, ओकरे गिरे भा सँभरे के संभावना पर बात होले। आज बाजारवाद के समय ह, जवन…
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