डाला के साइत

‘‘का बबुआ, बारात के तइयारी भइल कि ना ? ’’ ‘‘हां भइया तइयारी त चल रहल बा. वैसे कलेवा के सामान सहेज के रखवा देले बानी. अब बिहौती सामान कीने के रह गइल बा.’’ ‘‘कवन-कवन सामान खरीदे के बा, जरा हमहूं त जानी बबुआ!’’  सवेरे सवेरे अपना मुंह में दतुवन के हुड़ा करत शिव रतन भइया हमरा घर के सहन में पड़ल चउकी पर आके बइठ गइले आउर हमरा उत्तर के इंतजार करे लागलें. ‘‘ भइया , दूल्हा के पोशाक त पहिले से ही तइयार बाटे. जमाना के अनुसार कोट,…

Read More

जनावर

अंडा बेचे वाली मनोरमा पहिले अंडा ना बेचत रही. उ एगो घरेलू महिला रही, जे अपना मरद भूलन आ बेटी आरती के साथे खूब बढ़िया से आत्मसम्मान के जिनिगी जीअत रही. बाकिर उनका शांत जीवन मे कोल माफिया कल्लुआ कवनों शैतान के माफिक घुस गइल आ उनुकरा हरा-भरा घर संसार के तहस नहस करके रख दिहलस. कोयलांचल में लाखों रुपिया ठेका में कमाई करे वाला परिवार के कल्लुआ फूटपाथ पर लाके पटक दिहलस. मनोरमा के परिवार एक-एक दाना खातिर मोहताज हो गइल. एगो अइसनों समय आइल, जब मनोरमा सड़क पर अंडा बेचे खातिर मजबूर हो गइली.…

Read More