पुरवा फेर से बहकी। हर पत्ता पियराइल बा कतहूं गंध हेराइल बा टेढ़ परीक्षा आइल बा फूलवा फेर से महकी। अबहीं रात के डेरा बा सब समय के फेरा बा धीरज धरे के बेरा बा चिरईं फेर से चहकी। डॉ हरेश्वर राय सतना, मध्य प्रदेश
Read MoreCategory: भोजपुरी कविता
खेला
नदी पर ढेर दिन ले पूल ना रहे केहु कहे कि नदी के पूल पसन ना ह केहु कहे कि पूल के इ नदी पसन नइखे बूढ़वा बिधायक दूनू जाना के बात गाँठ बान्ह लेले रहनी कहीं कि, जवन नदी के पसन जवन पूल के पसन, उ पब्लिक के पसन जवन पब्लिक के पसन उ बिधायक के करतब्ब बिधायक जी छव गो चुनाव पार क गईनी बिना पूल के . . . . बाकि एकरा के खेला मत बुझीं खेला त इ रहे कि तीस साल में पूल छव…
Read Moreबाबूजी
घरवा के मुखिया लइकन के मुस्कान बाबूजी के पाकिट में रहेला सब के जान। सब के ख़ुशहाली बजा के ताली सब दुख दूर होला चुटकी में खाली। बाबूजी जइसन छाता हमनी के विधाता। दुनिया जहान में नइखे आइसन सुंदर नाता। माई के सिंदूर चमके। खेत बधार गमके। बाबूजी के पसीना से अंगना अँजोर दमके। बहाके पसीना जगाके आस। रोटी में आवेला मिठास। कर देलन चुटकी में दूर परेशानी, उनका जइसन केहू नइखे ख़ास। सविता गुप्ता राँची झारखंड
Read Moreसतुआ
पहिले सतुए रहे ग़रीबवन के आहार केहू जब जात रहे लमहर जात्रा प त झट बान्हि लेत रहे गमछा में सतुआ,नून, हरियर मरीचा आ पियाजु के एकाध गो फाँक केवनो चापाकल भा ईनार से पानी भरि के लोटा भर सुरूक जात रहे केहुओ बेखटके ऊ बिस्लरी बोतल के ज़माना ना रहे सतुआ सानि के गमछिए प खा लिहल जात रहे ओह घरी गरमी में केवनो पीपर,बर आम भा महुआ के छाँह में पहिले लोग क लेत रहे गुज़र-बसर सतुओ खाके ओह घरी बजार में बेंचात ना रहे केवनो फास्टफूड अब…
Read Moreतमासा घुस के देखै
लख लतखोर कहाय, तमासा घुस के देखै॥ सौ सौ जुत्ते खाय, तमासा घुस के देखै॥ इनका उनुका बहकावे में नाटो क खिचड़ी पकावे में जेलस्की इतराय, तमासा घुस के देखै॥ गावत फिरत देस के गीत संहत छोड़ि परइलें मीत बइडेनवा मुसकाय, तमासा घुस के देखै॥ बरसे लगल रसियन मिसाइल खड़हर सहर मनई बा घाहिल खूनम खून नहाय, तमासा घुस के देखै॥ मानवता के नारा कइसन नैतिकता क पहाड़ा जइसन कबौं बदल ऊ जाय, तमासा घुस के देखै॥ के बा नीक, नेवर के बा फयदा केकरा…
Read Moreफागुन में नाचल
हंसि हंसि क बहार उतान भईल, अगराई के फाग जब फागुन में नाचल । फगुआ के जब आगुआन भईल, अबीर-गुलाल आपना सुघर भाग पे नाचल। बबुआ-बुचिया के जब रंग रंगीन भईल , फिचकारी के संग उछल- कुद के नाचल । बुढा-जवान के भेद सभ भुल गईल , फागुन फगुआ के जब मधुर तान पर नाचल। आपन-आन के सब ध्यान गईल , जब बैर तेज के सब केहु गले मीली नाचल। उमेश कुमार राय ग्रा0+पो0- जमुआँव , जिला- भोजपुर (बिहार )
Read Moreमम्मी रे हमहूं इसकूल जाइब
मम्मी रे पापा से कह के ड्रेस एगो बनवा दे। हमहूं रोज इसकूल जाइब भइया के बतला दे। जूता मोजा कलम पेनसिल कापी किताब टाई। जेंटल मएन बनके जाइब जइसे जाला भाई। हरमेस हाथ पकड़ि के चलबि पीठ प लादि के बसता। इयाद पारि के रोजे रखिहे मम्मी ओ में नासता। मम्मी कान पकड़त बानी छोड़ देब सैतानी । सभ केहु के मान राखबि हम बोलबि गुर जस बानी। ना खाइब अब चिप्स कुरकुरा चाट अउरी समोसा। ए ममता के मूरत मम्मी अब त क ले भरोसा। सभ लइकन से…
Read Moreपान थूक के
पढ़े लिखे में जी ना लागे बनि के घुमत हवा नमुन्ना पिता जी पूछलन पूत से अपने रगड़त खैनी संगे चुन्ना। तब बबुली झार अदा से अगबै पान थूक के बोलस मुन्ना सुना हे बाऊ नेता बनबै कइ देब दऊलत पल में दुन्ना। का घबड़ाला झूठमूठ क अँगुरी पर बस दिनवा गीन्ना लड़ब बिधइकी जल्दी हनहुँ फिर बुझबा हम हई नगिन्ना। जिला जवारी जानी हमके निक निक लोगवा छोड़ि पसिन्ना तोहरो नाम ऊँचाई छुई नाची सब डेहरी पर धिन्ना। खड़ा सफारी दुअरे होई मनी महोत्सव साथ…
Read Moreनून-तेल-लकड़ी मे फंसि गइल जनता
नून-तेल-लकड़ी मे फंसि गइल जनता नाहीं त तखता पलटि देत जनता! ओके लगेला की होत बा सब अच्छा नइखे मालूम के बा झूठा के बाद सच्चा भेड़ियन के बीच में भइल नंगी जनता नाहीं त तखता पलटि देत जनता! धरम-करम मेें उ बा गइल अझुराई जात-पात ऊंच-नीच के रोग लगाई भरम मे भागल जाले कांवर लेके जनता नाहीं त तखता पलटि देत जनता! बरध जइसे रात-दिन बहावे पसीना पेट जिआवे फारि धरती के सीना किसमत पे रोवै बइठ करे कुछ ना जनता नाहीं त तखता पलटि देत…
Read Moreकहानी का सुनायीं
गांव के परिवेश के कहानी का सुनायीं सभे बा मतलबी केकरा के समझायीं घर के पड़ोसिया लगावे दरहीं कूड़ा कहले पे हमके दिखावे लमहर हुरा धमकी त देत बा कईसे समझायीं गांव के परिवेश के……। संस्कार घर-घर के स्वाहा भईल जाला ईर्ष्या के आग में सबे जरते देखाला सुनि के अनसुनी करे माने नाहीं बतिया अंखिया में धूल झोके संझिये के रतिया अइसने मतलबियन के कईसे समझायीं गांव के परिवेश के……..। ऐश आ फिजूल में करेला सभे खरचा मुहवा से कब्भो नाहीं धरम के चरचा मतलब परेला त…
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