बरम बाबा

तू त देखतअ हउअ सब दिन-रात बरम बाबा नाहीं बा अब पहिले जइसन बात बरम बाबा   सुक्खू अपने अँगने में भी नल लगवा लेहलेन कुँआ पाट के रामधनि बइठका बना देहलेन बुधनी के दुआर पर खम्भा घर में लाइट बा बालकिशुन बिल देवे लगलेन जेबा टाइट बा   घरे-घरे पैखाना बा ,लोटा क जुग बिसरल केहू नाही अब जंगल में जात बरम बाबा ||   घर घर में टीवी बा ,डिश बा,इंटरनेट भी बा सबके पल्ले मोबाईल क बढ़िया सेट भी बा बर्गर,पिज़्ज़ा,चाउमीन सब मिलय लगल अब त केक, पेस्ट्री ,काफी,कुल्फी दिखय लगल अब त  …

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तीन चौथाई आन्हर

बाबू आन्हर माई आन्हर हमै छोड़ सब भाई आन्हर के-के, के-के दिया देखाई बिजुली अस भउजाई आन्हर॥   हमरे घर क हाल न पूछा भूत प्रेत बैताल न पूछा जब से नेंय दियाइल तब से निकल रहल कंकाल न पूँछा   ओझा सोखा मुल्ला पीर केकर-केकर देईं नजीर जंतर-मन्तर टोना-टोटका पूजा पाठ दवाई आन्हर॥   जे आवै ते लूटै खाय परचल घोड़ भुसवले जाय हँस-हँस बोलै ठोंकै पीठ सौ-सौ पाठ पढ़वले जाय   केहू ओन‍इस केहू बीस जोरै हाथ निपोरै खीस रोज-रोज मुर्गा तोरत हौ क‍इसे कहीं बिलाई आन्हर॥  …

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भाषा के खातिर तमासा

इ भाषा बदे ही तमाशा चलत हौ बिना बात के बेतहासा चलत हौ इहाँ गोलबंदी, उहाँ गोलबंदी बढ़न्ती कहाँ बा, इहाँ बाS मंदी ।   कटाता चिकोटी सहाता न बतिया बतावा भला बा इ उजियार रतिया कहाँ रीत बाचल हँसी आ ठिठोली इहो तीत बोली, उहो तीत बोली ।   मचल होड़ बाटे छुवे के किनारा बचल बा इहाँ ना अरारे  सहारा बहत बा दुलाई सरत बा रज़ाई न इनके रहाई न उनके सहाई।   भगेलू क इहवाँ बनल गोल बाटे सुमेरु क उहवाँ बनल गोल बाटे दुनों के दुनों…

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गिरगिट

सोझ हराई में साजिश के बुनत रहल बिखबेली जे, काहे दुन कुछ दिन ले भइया, बाँट रहल गुर भेली से। ढलल बयस तबहूँ ना जानसि अंतर मुरई गाजर के, रँहचट में सोना के सपना आन्हर काढ़सि काजर के। जेकर बगली फाटल रहुवे हाथे रखल अधेली से। जे बघरी में फेंकत रहुवे सँझहीं से कंकर पत्थल, अन्हियारे के मत्थे काने सबद पसारल अनकत्थल। आजु-काल्हु ना जाने काहे उलुटे बाँस बरेली से। जुर्जोधन के मत भरमइलसि ठकुरसुहतियन के टोली, जरल जुबाँ कइसे कस माने भनत फिरस माहुर बोली। गांधारी के आँखे झोंपा…

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मम्मा

आपन रीति आपन नीति आपन करम भुला गइलन। देखs घरवाँ रार मचावे शकुनि मम्मा आ गइलन॥2॥   सोचलन उहवाँ होई का,का करत होइहें ओहनी फाँका। देखलें जरत घीव क दियरी चउकठ लँघते बउरा गइलन॥ देखs घरवाँ रार मचावे शकुनि मम्मा आ गइलन॥2॥   बाबू-माई कबों न बुझलन भाईन के भाई न समुझलन बहिनो घरवाँ फाँड़ करावे दिन अछते हहुआ गइलन॥ देखs घरवाँ रार मचावे शकुनि मम्मा आ गइलन॥2॥   घर वालन के ठेलि भुइयाँ हित-मीत ला इनरा-कुइयाँ अपने नीमन खाट पकड़ि के लोटs खातिर अगरा गइलन॥ देखs घरवाँ रार मचावे…

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तलफत भुभुरी सोंच के

सोंचे में सकुचातानी कहे में भीतरे डेराइला, रोज अंजुरी में धुंध सहोरले दिल के कठवत में नेहाइला।। बेवहार के बागि नोचाता फीकीर केहुके हइए नइखे, जब कहीं करम के पटवन कर त हम केकरो ना सोहाइला।। सभे बवण्डर बनिके चले रेगिस्तानी राग अलापता, कपट के करवन लोटकी से सभके के नेहवाइला।। कसमकस से कलपत काया करीखा के बनल संघाती, सोंच के तलफत भुभुरी में डेगे डेग नहाइला।। जेने देखीं झूठ के ढेरी ना बाजे कवनो रणभेरी, आंखि अछइत आन्हर भइनी कुकुर जस चिचिआइला।। कइसन दइब के ज्ञानी बस्तर झूठ फरेब…

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सुहराई रवै रव

सुहराई रवै रव बकोट ता कोई खड़ा दूर से भी कचोट ता कोई।   अजादी सबै क नकोट ता कोई गुदगुद्दी बराय धइ लूट ता कोई।   हिया में बईठ के भकोट ता कोई निवाला उड़ाई सरबोट ता कोई।   जगह पाई जरिका तरोट ता कोई लगाई के आसन सघोट ता कोई।   छुआई के अँगुरी दरेट ता कोई उचारी के देहियाँ चमोट ता कोई।   एकै बात हर बार फेट ता कोई सिंघासन बदे भाय लोट ता कोई।   पारी पारा आई घघोट ता कोई पलत्थी जमाई के घोट…

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रउरा कहां सेयान बानी?

रउरा ना बुझबि सियासत रउरा अबहीं इंसान बानी, नेता खाली लाल बुझक्कड़ रउरा कहां सेयान बानी।। जनता जाहिल भकचोन्हर नेता नीमन सभमे सुनर, नेता छोडि़ सभे बा द्रोही नेताजी ग्यान बिग्यान बानी, रउरा कहां सेयान बानी।। रउरा सुनी इन्हिकर बात नीमन सीखइहें जात पात, एकरा से बड़ त सास्तर नइखे हमनी के इन्हिकर लगान बानी, रउरा कहां सेयान बानी।।       देवेन्द्र कुमार राय (ग्राम+पो०-जमुआँव, थाना-पीरो, जिला-भोजपुर, बिहार)  

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गउए हई

गउए   हई   सास, छोड़स   ना  रास । सिधा देस जोख के सबसे पहिले  खास ।   ससुरो     अलबेला, करस  ना   झमेला । घरनी     से    पूछी, कदमवा     उठेला ।   मरद     भकलोल, बुझाय  ना  झोल। माई के  देखते  त् सिआ जाले  लोल ।   कस के लंगोटा, धईनी    झोंटा । बिग देली  परेह, देहनी दू  सोटा ।   संगहीं    खटेली, पंजरो    सटेली । कतनो    हटाईं, तबो  ना  हटेली ।   खींस बा खलास, ससुरो  मुस्कास । मरदो का  चानी, भइली अब दास ।   बुझऽ जनी भकोल, लेइ बेटा के  मोल…

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बैनीआहपीनाला

प्यार के रंग कइसन होला का ख़ूब गाढ़ लाल ओढ़हुल के फूल नियर   का ख़ूब गाढ़ पीयर सरसों के फूल नियर   का ख़ूब गाढ़ नीला अलसी के फूल नियर   का ख़ूब गाढ़ हरियर घास नियर   का ख़ूब गाढ़ कत्थई पाकल सेब नियर   का ख़ूब झक्क सफ़ेद चाँदनी नियर   आख़िर कइसन होला रंग प्यार के   का रंग प्यार के बैंगनी होला   आसमानी होला   नारंगी होला   का प्यार के रंग में शामिल नइखन स सब रंग दुनिया के   एकरा में शामिल…

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