फागुन के गोइयाँ, बसंत अगुवानी में

पुरनकी पतई झरे लगनी सन मने नवकी फुनुगी के अवनई के डुगडुगी बज गइल। अब डुगडुगी के अवाज सुनाइल कि ना, ई बिचारे जोग बात बाटे।बातिन के बिचारे खातिर समय होखे के चाही, सुने–देखे में त इहे आवता कि केहुओ के भीरी समय नइखे। सभे कतों ना कतों अझुराइल बा। अझुरहट सकारात्मक बाटे कि ना, एकरा के छोड़ीं । बसंत पंचमी त आ के जाइयो चुकल बाक़िर कतों बसंती गीत आ फगुआ के ढ़ोल, झाल, मजीरा के अवाज सुनाइल ना। सुनाई देही त कहवाँ से, जब कतों फगुआ गवात होत, त ढोलक आ झाल बजबे करत आ जब ढोलक आ झाल बाजत त सुनइबो करत।मने गावे-बजावे के जवन लहोक भोजपुरिया लोगन में रहे, उ कतों बिला गइल बुझात बाटे। पलायन के संताप आ दोसरा जगहा पर अपनइत के टोटा के मार से अपना रास-रंग से दूर हो रहल बा। ई दूरी बस अपना तीज-त्योहारे भर से नइखे, ई दूरी त अपने संस्कार आ संस्कृतियो से बढ़ रहल बा। एह दूरी के एहसास विश्व पुस्तक मेला में भोजपुरी के एकलउते प्रकाशन ‘सर्वभाषा प्रकाशन’ के स्टालो पर देखाई देहलस। भोजपुरी के किताब अपने लोगन के बाट जोहते रहि गइली सन। गलती से 50-60 किताबियन के पाठक भेटाइल होखिहें। अब रउवा सभे ई जनि कहेम कि होरी के मउसम में हम कुछ अटपटाह बाति कह रहल बानी। साँच से कब ले मुँह चोराइब लोगिन। अब कवन नवका बहाना हेरब सभे। अब त इहो ना कहल जा सकत बा कि भोजपुरी के किताबि छपते नइखी। सन् 2023 में करीब 60-65 गो छपल किताबियन के सूची फेसबुक पर आइल रहे। पत्रिकन के हाल–समाचार त बतावहूँ जोग नइखे।

अब जब से कलेंडर के तारीख देख के होरी मनउवल हो रहल बा, त उहे सही। कलेंडर के तारीख नगिचा रहल बा। इहो आजु के समय में कुछ मंचन के होली कवि सम्मेलन से बुझाला। होरी के असल रंग आ खुमार त उहाँ देखइबो ना करेला। रसम अदाइगी भर बुझाला। अब उहे सही, जवन भेंटाय ओकरे से संतोख कइल आजु के मजबूरी बूझीं भा मानी। ना मानल चाहत बानी त मति मानी बाक़िर साँच जवन बा तवन सभे के सोझा बा। तबो मन के हुलास त बनावहीं के बा आ ढेर थोर बनावलो जाई। रसम अदाइगिये भर सही होरियो मनावले जाई आ जरी-मनी सही फगुओ गावल-सुनल जाई । त आईं नु एह नीमन काज में देर कवने बात के बा, सीरी गनेस कइल जाव एह होरी का संगे —-

होरी खेलय रघुबीरा अवध में, होरी खेलय रघुबीरा

केकरे हाथे कनक पिचकारी, केकरे हाथे अबीरा

भला केकरे हाथे अबीरा,अवध में होरी खेलय रघुबीरा

 

  • जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

संपादक, भोजपुरी साहित्य सरिता

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