रिमझिम बरसेला सवनवां में संवरिया बदरा।
रस के गगरी चुआवेले बदरिया बदरा
डर लागे अन्हियरिया में चमके चहुँ ओर बिजुरिया
ओरियानी के पानी छींटा मारे सोझ दुवरिया ।
खटिया मचिया भीजे तकिया मुडवरिया बदरा
करिया घटा नचावे बन में मोरवा संग मोरिनिया ।
दादुर मेघा मेघा टेरे चातक मांगे पनियां ।
बैरिन बंसिया बजावे बंसवरिया बदरा।
अंगना लागे काई सम्हरि न पाईं फिसले पउवां
झुलुआ झूलें कजरी गावें मिलि के सगरी गउवां
उफनलि पोखरी में उछलेलीं मछरिया बदरा ।
चान सुरुज मिलि छिपि के खेलें दिनवो लागे राती।
पवन झकोरा दिया बुझावे लिखि ना पाईं पाती ।
घर के खुलि जाले झोंका से केवडिया बदरा ।
- दयाशंकर तिवारी ।मऊ ।