पिहिके कोइलिया तनिक अहटे में धसोर गइल पुरुवा फगुनहटे में॥ भउजी के कजरारी अँखियन क थिरकन ससरे लहर बनि सिहरे लागल तन मन विलमते रंगवो डलल सहते में । धसोर गइल— सुध-बुध हेराइल मोजराइल अमवा एह घरी नीक लगे बदराइल घमवा ई देखS बुढ़वो रंगल रसते में। धसोर गइल— हुलसे पवनवा गोटाइ गइल छिमिया पियराइल सरसो हरिया गइल निमिया सरम के चुनरिया उड़ल कसते में । धसोर गइल— जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
Read More