प्रकृति किहाँ बा मेला भारी

प्रकृति कहाँ बा मेला भारी, सभे करे मिलि-जुलि तइयारी। बादर-बदरी खुश हो अइलें, ढोल बजावत गीत सुनइलें, मस्ती में बूनी बरिसइलें, बिजुरी के सँग नाच देखइलें, धरती के हिरदया जुड़ाइल, घर-आँगन होखल फुलवारी। प्रकृति किहाँ बा मेला भारी।। सगरो लउके हरियर-हरियर, रसगर भइलें आहर-पोखर, नदी-नहर नाला उमंग में, गागर-गागर लागे सागर, बीज बोआइल हँसी-खुशी के, हँसल भविष्य के मनगर क्यारी। प्रकृति कहाँ बा मेला भारी।। पर्वत पत्थरदिल ना कहलस, तनिको कम ना ओमें बा रस, प्रेम बढ़ावत भू के छुअलस, हरखित होके सुध-बुध तेजलस, देखसु सूरज-चाँद चिहाके, कहसु हव सचमुच…

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मुखिया के पटीदार

तेल पिला के राखीं लाठी सभ देखी तेल के धार । हम मुखिया के पटीदार।   जीत क पगरी हमरा माथे रक्षक बनि डोलीं हम साथे हूँ-टू होखे कतौ कबों जे सुधरि के उपरे हमरा पाथे। हम बड़का हईं जुझार। हम मुखिया के पटीदार।   बरिस पाँच जे गुन गन गावै बदले मोट मलाई पावै सोझा रखि आपन अपनापा आँखि मुनी के मान बढ़ावै। बस उहवें दिखे बहार। हम मुखिया के पटीदार।   कलेक्टर के पी ए लेखा बनल भौकाल जहाँ क देखा गली मोहल्ले जय-जयकार माथ दिखे ना कउनों…

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पार्टी विथ डिफरेंस

पार्टी विथ डिफरेंस हईं हम होखे जय-जयकार। हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।   तहरे माला हमै बनवलस पार्षद, मेयर आ विधायक । हमही लायक सांसद बानी टैक्स के चलाइब सायक।   चैन से रहि ना पइबा घरे नगर निगम के मार। हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।   पानी बिजुरी कूड़ा पूरा घर-घर हेरवाइब सर्वे कर । टैक्स क सोंटा चली दबा के कंहरे भा जीयें मर मर कर ।   जनता के राहत ना कउनों देखत अँखिया फार। हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।   चमचा फोरें घर-घर के आ बेलचा…

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सवाल आ सपना

सवाल अपना जगे खड़ा रहेला खड़ा रही जे भागेला सवाल से सवाल ओकर पीछा परछाईं जस करेला काहे कि सवाल आपने उपराजन होला सामने बस ठाढ़ करेला कबो केहू त कबो केहू। [2] सवाल से भागे वाला के ना बुझाला कि ऊ जिनिगी से भाग रहल बा आ ढो रहल बा लाश बस अपने जिनिगी के। [3] सवाल दोसरा के पूछे के मौके ना मिले जब कवनों आदिमी अपना बारे में अपने से पूछ लेला सवाल । [4] सवाल कबो ना मरे ऊ पीछा करत जीयल मुहाल कर देला सवाल…

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का हो मुखिया !

घूमत रहलें गल्ली-गल्ली देखत कहवाँ ऊंच-खाल बा। पूछलें रामचरितर उनुसे का हो मुखिया ! का हाल बा।   कवन नवकी घोषना भइल कतना फंड बा आइल रउरा घरे मुखियाइन त रहनी खूबै धधाइल। हमनी के ना कुछौ मयस्सर रउरा धइले खूब ताल बा। का हो मुखिया ! का हाल बा।   पर शौचालय बन्हल कमीसन मनरेगा बा लमहर मीसन एह घरी चलत बा जमके पूजा घर के उद्धारी सीजन । देवी देवतन के कामो में रउरा छनत खूब माल बा। का हो मुखिया ! का हाल बा।   पानी के…

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तोल मोल के बोल

लेवरल पोतल ह उप्पर से भितरी बड़का झोल, फकीरा, तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   लगल घून हौ धरम करम में नेह चटलेस दियका। लूह लागल हीत-नाता के सरम बिलाइल, डहका । इंटरनेट पर पीटत बबुआ परंपरा के ढोल, फकीरा , तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   तूरत फ़ारत झंखत झारत आगि लगवलें घर घर । कवनो बात भइल बा इहवाँ बोलत बाटे टर टर । जेकरा खातिर छोड़ला सभके उहे खोलता पोल, फकीरा, तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   के के फुकले बा पुवरउटी इरिखा में जरि जरि के।…

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अइसे कइसे

महटिया के सूतल जागी, अइसे कइसे। सभे बनत फिरे बितरागी, अइसे कइसे।   सोझे आके मीठ बोलवा सोरी में अब डाले मंठा। ओकरे फेरा घर बिलाई फिरो बजावत रहिहा घंटा। सूपा पीट दलिदर भागी, अइसे कइसे । सभे बनत—-   बेगर बुझले बिना ताल के ओही रागे अपनों गउला। सब कुछ तहरा राख़ हो गइल आग लगवलस समझ न पउला । उनुका खाति बनला बागी, अइसे कइसे । सभे बनत—-   हीत-मीत के बात न बुझला ओकरे रौ में मति मराइल । अपनन के घर बाहर कइला तहरा जरिको लाज…

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अब त नींन से जागा राजा

हर कुर्सी बेईमान भेटालन अपने मन क बज ता बाजा हे सेवक परधान देश क अब त नींन से जागा राजा।   तहसील कचहरी थाना चउकी मागैं रुपिया भर भर भऊकी ना देहले पर काम ना होला बेतन थोरिका अउर बढ़ा दा। अब त नींन से जागा राजा।   पन सउआ क बात करैंन देहला पर भी घात करैंन लेखपाल जब मारैं मन्तर पल में नम्बर होखै बंजर जीयते माछी घोट घोट के छूट रहल हव बचलो आशा। अब त नींन से जागा राजा।   स्कूली क हीन दसा हव…

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जय हो गाजियाबाद

एगो सांसद चार बिधायक मेयर संगे सै गो पार्षद सबके सब आबाद । जय हो गाजियाबाद।   नगर निगम के हाल न पूछा जी डी ए से  ताल न पूछा पूरे पूरा सहर के बबुआ जनता बा बेहाल न पूछा। कोसिस करत करत मरि जइबा होखी ना संवाद । जय हो गाजियाबाद।   कतो सड़क पर गटर क पानी स्वच्छता के क़हत कहानी बेगर मंगले कुछौ मिले ना अधिकारिन के हौ मनमानी। चिट्ठी प चिट्ठी भेजले जा सुने ना केहू नाद । जय हो गाजियाबाद।   सभके चारो ओरी घेरा…

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ए भवानी माई!

ए माई! साचो आइल बाड़ू का हो! देखनी हँ लोग बाग के घर दुआर धोवत रहल   ए माई! तोहरा लगे त साँचो सक्ति बा दस गो हथवा लेहले सिंघवा पर सवार बाड़ू दसो में बरियारे औजार लेले बाड़ू सिंघवा अलगे चीरता फाड़ता   ए माई! हम का करीं हो? तोहार हथियार दस गो आ महिसासुरवा एगुड़े हमार त दुइएगो हाथ बा आ महिसासुरवा! डेगे डेगे ठड़ा बाड़ें सन   ए माई! लरिका रहनीं त भुनेसरा के मतारी हमरा के भगउती खानीं पूजले रहे उहे भुनेसरा आजु हमार अँचरा घींच…

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