बड़की माई

ए बबुआ काल्ह जवन बाजारी से चीनी ले आइल रहस नु ओहमें हतना कम बा , बड़की माई तपेसर के हाथ में एगो झिटिका पकड़ा के कहली । बड़की माई त का सोचतारू हम चिनिया खा गइल बानी , अरे ना रे मटिलागाना बनिया नु डंडी मरले बा जाके ओकरा से देखइहे आगे से बरोबर दीही। आ फिर ओसहीं हो जाई त का करबु । ना नु होई ओकरा से लेबे से पहिले इयाद दिला दिहे कि पिछला बेर कम देले रह एह बेर ठीक से जोखिह । फिर दोसरा…

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आखिर के ठगाता

शेखर के गांजा के इ पहिलका दम रहे। अवरू सब साथी गांजा के दम पचावे आ जोम से मुँह आ नाक से धुँआ निकाले में माहिर हो चुकल रहन। पहिलके दम शेखर तनि जोर से खींच लेले रहले। उनका से बर्दाश्त ना भइल। उनकर माथा चकराए लागल। बाकि उ अपना साथी लोग से कुछ ना कहले। उनका बुझाइल कि साथी लोग मजाक उड़ावे लागी। जब दुसरका राउन्ड में चीलम उनका पास पहुँचल त उ झूठो के दम खींचे के नाटक कइले। ओकरा बाद उ ओहीजे एगो बँसखट पर ओठंघि गइले।…

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बरगद गाछ

बरगद गाछ के तरे बइठल शिवशंकर  के आपन बाबूजी इयाद पड़ गइनी। बाबूजियो तऽ बरगदवे अइसन रहनी।केतना लोग के ऊपर आपन हाथ रखनीं। सगरी गाँव उनहीं जमीन पर राज करत बा। बाकिर हमरा पता ना रहे कि उ  खोख बरगद रहन। जेकरा  में दीमक नियन भीतरे भीतरे गोतिया दायाद आ बेटवन लोग बाँटत काटत छाँटत उनकर अंत करा देहलन। आदमी आ ई गाछ बिरिछ में इहे त फरक देखल जाला कि  गाछ बिरिछ में आदमी लोगन से जादा धीरज आ सहनशक्ति होला। आदमी तऽ मायाजाल के फाँसल मनई।इचिको  बात से…

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