स्मृति में बसल गाँव के कहानी के बहाने लोक-संस्कृति आ जिनिगी के बयान

दो पल अतीत के ( मेरा भी एक गाँव है) हरेराम त्रिपाठी ‘ चेतन ‘ के हिन्दी में सद्य प्रकाशित पुस्तक जब हाथे आइल त ई जान के खुशी भइल कि एह संस्मरणात्मक कथेतर गद्य के माध्यम से एगो विद्वान भोजपुरिया आ उनुकर गाँव के नजदीक से समझे बूझे के मिली।दू दिन में किताब एक लगातार पढ़ गइला के बाद ई देखे के मिलल कि किताब भले ई हिन्दी में बा बाकिर पन्ना – पन्ना में भोजपुरी के सुगंध बिखरल बा।ई किताब अगर भोजपुरी में रहित त भोजपुरी साहित्य खातिर…

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दू बून लोर बा आ हम बानी

‘सजग शब्द के रंग’  हरेराम त्रिपाठी ‘चेतन’ के 94 गो कविता आ गीत-ग़ज़ल के संग्रह हs । एह संग्रह के पढ़त-गावत-गुनगुनावत हमनी के देख सकीला जा कि एकरा में जीवन, समाज, प्रकृति-संस्कृति के विविधवर्णी छवि के उरेहल गइल बा । चेतन जी के कविताई के अगर असली हुनर आ कमाल देखे के होखे तs एह कृति के ज़रूर पढ़े के चाहीं । सांच कहल जाय त ऊ एह कृति में आपन करेज काढ़ि के राखि देले बाड़न । उन्हुकर काव्य साधना आ सिद्धि के सबरंग के एह एगुड़े शाहकार कृति…

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