आपन भाषा, आपन सम्मान

“अरे सुनतानी देर होता, जाइना स्टेशन, ना त गाड़ी आ जाई,” कमला देवी कहली। “काहे हल्ला कइले बारू, जात त बानी, बुझाता की तहार बबुआ घर देखलही नईखन, गाड़ी से उतर जइहन त भूला जइहन,” रामेश्वर जी तंज कसलन। “हम उ सब नइखी जानत, रउआ जाई जल्दी,” खिसिया के कमला देवी कहली। “तहार बबुआ इंजीनियरिंग के पढ़ाई पढ़तारन, पचीस साल के हो गईल बारन अउर तू त ऐतना चिंता करतारू की जेगनी अभी गोदी में बारन,” रामेश्वर जी हंसते हुए कहले। “अरे रउआ का जानेम माई के ममता, अब जाइ…

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