एक दिन गइली रपट लिखावे , घबड़ाइल कुछ माने में । का बतलाईं ये भइया मोर जेब कट गइल थाने में । मुंशी अउर दीवान भी रहलन , थाना के परधान भी रहलन । दु एक लोग महान भी रहलन,कुछ मुजलिम मेहमान भी रहलन आँख मुदाइल भागल अइलीं , गइलीं चाय दुकाने में । का बतलाईं ये भइया मोर जेब कट गइल थाने में । रह गइलीं बुड़त उतिरात , कहीं त कहले बिगड़े बात । देखते देखत अस उत्पात , ओरी क पानी बड़ेरी प जात । चाय पियइलीं…
Read MoreDay: February 13, 2022
बबुआ बोलता ना
कहवाँ से आवैला कवन ठाँउ जइबा,बबुआ बोलता ना, के हो दिहलें तोहके बनवास, बबुआ बोलता ना! कवने करनवाँ बतावा अइला बनवाँ? कोने कोने घूमला भंवरवा जइसे मनवाँ कउनी हो नगरिया में अंजोरिया नाही भावै, बबुआ बोलता ना, कहवाँ रात भावै बरहो मास, बबुआ बोलता ना! रूठि गइलीं रिधि-सिधि चललीं रिसियाइ के कउनी हो नगरिया मे अगिया लगाइ के कहवाँ के लोगवा के भोगवा नाही भावे, बबुआ बोलता ना, दिहलै तोहके घरवा से निकास, बबुआ बोलता ना! बिधना जरठ मति अटपट कइलै रे किया कवनों भूल तीनों मूरति…
Read Moreपगलो आजी
ओह दिने गाँव के प्राथमिक इस्कूल में कवनों बरात रुकल रहल।खूब चहल-पहल रहल।हमहन के घर के समनवे वाला खेत में तम्बू गड़ल रहल अउर बराती लोगन क खूब स्वागत -सत्कार होत रहल।लाउडस्पीकर पर ‘हाँथे में मेहँदी , माँगे सेनुर , बरबाद कजरवा हो गइल हो…।’ बजत रहल।ओहर समियाना में जेतने किसिम क गाना बजे एहर घर में आजी ओतने किसिम क गारी तजबीज के बाबा के आवभगत में लगल रहलीं।हम ओह समय कक्षा तीन में पढ़त रहलीं। न त गाना क महातम समझ में आवे न त गारी क।बस एतना…
Read Moreतीन चौथाई आन्हर
बाबू आन्हर माई आन्हर हमै छोड़ सब भाई आन्हर के-के, के-के दिया देखाई बिजुली अस भउजाई आन्हर॥ हमरे घर क हाल न पूछा भूत प्रेत बैताल न पूछा जब से नेंय दियाइल तब से निकल रहल कंकाल न पूँछा ओझा सोखा मुल्ला पीर केकर-केकर देईं नजीर जंतर-मन्तर टोना-टोटका पूजा पाठ दवाई आन्हर॥ जे आवै ते लूटै खाय परचल घोड़ भुसवले जाय हँस-हँस बोलै ठोंकै पीठ सौ-सौ पाठ पढ़वले जाय केहू ओनइस केहू बीस जोरै हाथ निपोरै खीस रोज-रोज मुर्गा तोरत हौ कइसे कहीं बिलाई आन्हर॥ …
Read Moreकजरी
पवन झकझोरे बालम मोरे। नन्ही नन्ही पनिया के बुनिया पलकिया पर ढोय ढोय बदरी बदन प‘ गिरावेले कोंवर अंग टोय टोय हँसले रहउँ ना बरेला गुदरउँना सरब अंग बोरे बालम मोरे। नासा भँहु तानेला अकसवा में बोरो लागे जरत बुतात बा धुआँ धुआँ सोरहो सिंगारवा कि बूँन बूँन अँसुआ झुरात बा लोर झरे अँखिया बरवनी के पँखिया हिलेले कोरे कोरे बालम मोरे। सभ्यता समर काटे चिउटी देखत तोर लाजहीन दुनिया कहीं उड़े पल्ला कहीं अँचरा बदरिया के नीक ना रहनिया चम चम बिजुरी कमलदल अँगुरी फोरेले पोरे पोरे बालम मोरे।…
Read Moreगीत
हम गइलीं चउकठि के लवट अइलीं गांव । काली आ कमइछा बाबा बरम्ह के ठांव। हम—— केकरा से बोलतीं आ केके देख हँसतीं कवना बिधि जियरा के गम-दुख अंकतीं सकदम अरथ सबद फइलांव। हम—- धनि हो नहर तूं बांगर धनखरलू जहाँ उड़े धूर तहाँ कमल उगवलू बाकी खोजले न मिले बाग बड़की के छांव। हम— थनि भूमि भूखले न हमरा के रखलू मन के पसन्द तवन कवर खियवलू मन्दिरो से ढेर तोर खँड़हर नांव। हम—- कलम खबरदार झूठ जदी बोललू माँगि के कितबिया उधार तुहूं पढ़लू अइसना सहिरदयी के हम…
Read Moreलोक संस्कृति के अजब नजीर – जबरी पहुना भइल जिनगी
भोजपुरी भाषा आज देश दुनिया में आपन परचम लहरावे मे काफी आगे बा। एह करी में रोज नया-नया लेखक लोग के कविता आ कहानी के संकलन खूब बाजार में पाठक खातिर आवता। हाल फिलहाल में भोजपुरी के लेखक मंच पर एगो नया नाम उभरल ह जोकर नाम ह- जे.पी. दिवेदी। दिवेदी जी के ई खासियत बा कि उहां के ठेठ भोजपुरी में ही कविता आ कहानी लिखेनी।इनकर पिछला साल एगो कवित संगरह पीपर के पतई आइल रहे ओकरा बाद एह साल के शुरु में आइल ह- जबरी पहुना भइल जिनगी।ई…
Read Moreभाषा के खातिर तमासा
इ भाषा बदे ही तमाशा चलत हौ बिना बात के बेतहासा चलत हौ इहाँ गोलबंदी, उहाँ गोलबंदी बढ़न्ती कहाँ बा, इहाँ बाS मंदी । कटाता चिकोटी सहाता न बतिया बतावा भला बा इ उजियार रतिया कहाँ रीत बाचल हँसी आ ठिठोली इहो तीत बोली, उहो तीत बोली । मचल होड़ बाटे छुवे के किनारा बचल बा इहाँ ना अरारे सहारा बहत बा दुलाई सरत बा रज़ाई न इनके रहाई न उनके सहाई। भगेलू क इहवाँ बनल गोल बाटे सुमेरु क उहवाँ बनल गोल बाटे दुनों के दुनों…
Read Moreपिनकू जोग धरिहन राज करीहन
बंगड़ गुरू अपने बंगड़ई खातिर मय टोला-मोहल्ला में बदनाम हउवन।किताब-ओताब क पढ़ाई से ओनकर साँप-छुछुनर वाला बैर ह।नान्हें से पढ़े में कम , बस्ता फेंक के कपार फोड़े में उनकर ढ़ेर मन लगे।बवाल बतियावे में केहू उनकर दांज ना मिला पावे।घर-परिवार अड़ोसी-पड़ोसी सब उनके समझा-बुझा,गरीयाय के थक गयल बाकिर ऊ बैल-बुद्दि क शुद्धि करे क कवनों उपाय ना कइलन।केहुतरे खींचतान के दसवीं ले पढ़लन बाकिर टोला- मुहल्ला के लइकन के अइसन ग्यान बाँटें कि लइका कुल ग्यान के ,दिमाग के चोरबक्सा में लुकवाय के धय आवें अउर तब्बे बहरे निकालें…
Read Moreबावला: एगो किसान कवि
रामजियावन दास बावला भोजपुरी के एगो कवि, पुरनकी पीढ़ी के. इनका के जाने वाला जादेतर लोग भक्त-कवि मानेला, राम कथा से जुडल कवितन के चर्चा करेला. बात सहियो लागत बा. कतने कुल्हि प्रसंग बा इनका कविता में जवन कुछ त तुलसी-वाल्मीकि से मेल खाला आ कुछ एक दम इनकर आपन कल्पना के उपज ह. मेल खाए वाला प्रसंगों जवन बा तवन खाली घटना के आधार पर मेल खाला, ओहकर प्रस्तुति एक दम नया बा. आ मिलतो बा त कुछे-कुछ. भोजपुरी में उपजीव्य काव्य के परंपरा देखे में आ रहल बा.…
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