घरवा में जनमेली बिटिया त , हिरीदा उमंग भरे हो। बबुनी तोहरा प सब कुछ नेछावर, सोहरियो सोहरि परे हो। बाबा खुशखबरी जे सुनले, धधाइ घरवा अइलन हो, बबुनी पगरी के पाग सोझ कइलन, मोछिया अइठी बोलेहो। गुरु जी के अबहीं बोलईबी, पतरा देखाइबि , ग्रह मिलवाइबि हो। बबुनी तुहीं मोरा कुल के सिंगार, सृजन मूलाधार हउ हो। सुनि सुनि अनध बधाव, जुटेले पुर गाँव, ले ले के उपहार नू हो। बबुनी तहके निहारे खातिर धरती, आकास लागे एक भइले हो। तहके पढ़ाईबि लिखाइबि , अकासे ले उठाइबि , दुनिया…
Read MoreCategory: भोजपुरी गीत
निमिया के पात पर
निमिया के पात पर सुतेली मयरिया,ए गुंइया। कइसे करीं हम पुजनियां,ए गुंइया।। धुपवा जराइ हम गइनीं जगावे,ए गुंइया। मइया का ना मन भावे, ए गुंइया।। गंगा जल छींटि छींटि,लगनी जगावे,ए गुंइया। मइया करो ना घुमावे,ए गुंइया।। अछत,चनन,छाक,गइनी चढ़ावे,ए गुंइया। मइया का ना इहो भावे,ए गुंइया।। मालिनि बोला के कहनीं,मलवा ले आवे,ए गुंइया। मइया मूड़ी ना उठावे,ए गुंइया।। पूआ-पूरी ले के गइनीं,भोगवा लगावे,ए गुंइया। मइया तबो ना लोभावे,ए गुंइया।। पुतवा बोला के कहनी,झुलुहा लगावे,ए गुंइया। मइया झट उठि आवे,ए गुंइया।। अनिल ओझा ‘नीरद’
Read Moreशरद बहार
आइल शरद बहार रे,आइल शरद बहार। पहरा बीति गइल पावस के,लोग भइल खुशहाल। ताल ताल पर कलरव उतरल,धरती भइलि निहाल।। झलकलि पूरब ओर,भोर के गोरिया, दमकल भाल। चमकलि पांव पखारल मोती,गमकल मलल गुलाल।। हंसा चलल विदेसे,अइली ढेंकी बान्हि कतार रे।आइल शरद—-।। झिर-झिर बहल जोमाइल नारा,लवटल नदी बिसास। सिहरल सून अरार,निछाने फूलल गह गह कास।। गुलगुल पलिहर पर तरनाइलि,आइलि फफनलि घास। हंसि-हंसि हंसुआ चले गुजरिया,बतरस भरल लहास।। झूमि उठल मद भींनल बजरा,खंजन नयन निहार रे।आइल—-।। चम-चम किरिनि सरग से उतरलि,उज्जर दिन पुरवार। निरमल रइनि अंजोरिया उमड़लि,बिटिया बनल कुंआर।। उझिलल अमृत बुझाइल…
Read Moreराकेश पाण्डेय जी के चार गो गीत
1 पूरुब से आवेले बदरिया नु हो,जहां पिया जी हमार। भींजे मोरी कोरी रे चुनरिया नु हो,नाहीं बाड़ें रखवार। पुरुवा के झोंकवा से सिहरे बदनियां। टप टप अंचरा से चूवे मोरा पनियां। आगि लगो कोठवा अंटरिया नु हो, नाहीं बाड़ें रखवार। पूरुब से आवेले बदरिया नु हो,जहां पिया जी हमार। पिऊ पिऊ बोलेला मोर पिछवरवां। निनिया पराई गइलीं ननदी बहरवां। झलुआ क गीतिया बिरहिया नु हो, नाहीं बाड़ें रखवार। पूरुब से आवेले बदरिया नु हो,जहां पिया जी हमार। संझवा बिहनवां ना लागे मोर मनवां। सासु सुत्तें…
Read Moreतोहरे बिगारल हवे
प्रेमी तोहरे सनेहिया के मारल हवे..2 नाहीं बिगड़ा ह तोहरे बिगारल हवे..2 आ॰1 तोहके अपनों से ज्यादा उ चाहत रहे…2 तोहरा से ओकरा जीनगी में राहत रहे..2 जननी ई सब त तोहार उतारल हवे….. नाहीं बिगड़ा ह तोहरे बिगारल हवे..2 प्रेमी तोहरे सनेहिया के मारल हवे..2 आ॰2 अब सनेहिया के नमवा से डर हो गईल..2 चर्चा गउएं का संउसे शहर हो गईल..2 तिरछी नैना कटारी के फारल हवे….. नाहीं बिगड़ा ह तोहरे बिगारल हवे..2 प्रेमी तोहरे सनेहिया के मारल हवे..2 आ॰3 पांडेय आनंद किस्मत में इहे लिखाईल..2 नीर नदिया में…
Read Moreसावन -प्रेम गीत
सावन के महिना घेरले बदरिया बरसेला पनिया बीच रे आँगन में केहसे संदेसा भेजी केहु नइखे दुआरा पियउ भींजत होंइहे बीच पाँतर मे। आदारा ना हवे इहो हवे इहो हथिया बड़े बड़े बुनी पड़े धरकेला छतिया चमके बिजुरिया दूर गगन में पियउ भींजत होंइहे बीच पाँतर में। लगे तनी रहतें त पूछ लेले रहतीं संझिया के हमहूँ निक-नोहर बनवतीं केहु नाही लउके दूर डगर में पियउ भींजत होंइहे बीच पाँतर में भींजतिया चिरई भींजतिया गइया दुअरा के छान पर बइठल गौरईया हमरा ना निक लागे अइसन महल में पियउ भींजत…
Read Moreबरसेला बदरा
राखी बान्हेले बदरिया लरकेला बदरा गइली धरती जुड़ाय बरसेला बदरा पुरुवा बयरिया से पठवे सनेसा बितलें बरिस दिन जियरा अनेसा पउते पउते खबरिया हरसेला बदरा गइली धरती जुड़ाय बरसेला बदला मेंड़ ना देखात कहीं भरली कियारी छोटी छोटी गड़ही भेंटेली अकवारी सभके मिलाय के गरजेला बदरा गइली धरती जुड़ाय बरसेला बदरा बन्द होई गइली कोइलिया के बोली झिंगुरा मेघुचवा मचावेलें ठिठोली कजरा के रंग जइसे ढरकेला बदरा गइली धरती जुड़ाय बरसेला बदरा भइया बहिनियाँ के नेह फरिआइल सुखली धरतिया के देंह हरिआइल नतई निभाय कतहीं सरकेला बदरा गइली धरती जुड़ाय…
Read Moreबरसि गइलैं बदरा
बरसि गइलैं बदरा,आजु मोरी गुंइयां। मनवा जुड़ा गइलै,महकल ई भुइयां।। आजु मोरी गुंइयां,बरसि गइलैं बदरा।। आजु मोरी गुंइयां,बरसि…… खेतवा सिवनवा में भरि गइलैं पानी, पोखरी सुनावे ले हंसि के कहानी, तलवा के जइसे,छुवल चाहे कुंइयाँ। आजु मोरी गुंइयां,बरसि…… पेड़वन के फुंनुगी पे नाचल बा बुनियाँ, पात पात झूमल बा चहँकल टहनियाँ, मछरी तलइया में,मारें कलइया। आजु मोरी गुंइयां,बरसि…… गउवांं किसनवां के हियरा जुड़ायल, खेतीबारी रोपनी कै,मैसम बा आयल, उतरल सवनवाँ,करी पार नइया। लालबहादुर चौरसिया ‘लाल’ आजमगढ़
Read Moreबतावा बुढ़ऊ
काहें काशी पर मोहइला बतावा बुढ़ऊ। काहें आदि देव कहइला बतावा बुढ़ऊ। जाने के त सभ जानेला हउवा बड़का दानी भगतन खातिर कई जाला, बढ़-चढ़ के मनमानी काहें असुरन पर लोभइला बतावा बुढ़ऊ। जेकर अरजी तहरे लग्गे दुख ओकर भागेला दाही-दुसमन भूत-प्रेत, पानी सबही माँगेला काहें दसानन से लुटइला बतावा बुढ़ऊ। हम निरधन तहरा सोझा,हमके राह देखावा मझधार में बूड़त नइया, ओके पार लगावा काहें हम पर ना छोहइला बतावा बुढ़ऊ। कैलास के बासी हउवा, मृग छाला पहिरेला जंगल झाड़ का बतलाईं, पहड़ो में रहि लेला।…
Read Moreसावनी गीत
पूरुब से आवेले बदरिया नु हो,जहां पिया जी हमार। भींजे मोरी कोरी रे चुनरिया नु हो,नाहीं बाड़ें रखवार। पुरुवा के झोंकवा से सिहरे बदनियां। टप टप अंचरा से चूवे मोरा पनियां। आगि लगो कोठवा अंटरिया नु हो, नाहीं बाड़ें रखवार। पूरुब से आवेले बदरिया नु हो,जहां पिया जी हमार। पिऊ पिऊ बोलेला मोर पिछवरवां। निनिया पराई गइलीं ननदी बहरवां। झलुआ क गीतिया बिरहिया नु हो, नाहीं बाड़ें रखवार। पूरुब से आवेले बदरिया नु हो,जहां पिया जी हमार। संझवा बिहनवां ना लागे मोर मनवां। सासु सुत्तें अंगना ससुर जी दलनवां। सेजिया…
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