मुफ़लिसी में चमकल नगीना-हीरा प्रसाद ठाकुर

साहित्य के अखाड़ा मे कुछ अइसनो  कवि आ लेखक पहलवान पैदा भइलें,जे ‘स्वांतः सुखाय’ खातिर आपण कलाम दउरावत रहलें आ अपना कृतिअन के प्रकाशन आर्थिक लाभ के दृष्टि से ना बलुक सेवा भावना से करत रहि गइलें आ उ ग्लोबल हो गइलें।ओइसनें हिन्दी आ भोजपुरी के सुपरिचित गीतकार कविवर ‘हीरा प्रसाद ठाकुर’ जी रहनीं। उहाँ के भोजपुरी साहित्य के मुख्यधारा से एकदमे अलग-थलग। पाटी-पउवा से कोसहन फरका। पत्र-पत्रिकन से कवनों मतलब ना। सोरहो आना स्वतंत्र। नदी के बहाव लेखा उन्मुक्त रहिके आपण लेखनी गोदनी। ‘माटी के आवाज’ नामक कविता संग्रह…

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महापण्डित राहुल सांकृत्यायन

ई दुनिया बड़ बे; बहुत बड़ औरी एतहत बड़हन दुनिया में जाने केतने लोग बाड़ें औरी जाने केतने लोग पहिलहूँ ए दुनिया में रहल बाड़ें लेकिन कुछ नाँव लोगन के मन में ए तरे घुस जाला कि ओकरा खाती समय के केवनो मतलब ना रह जाला। औरी ओह हाल में बकत आपन हाथ-गोड़ तुरि के बइठ जाला। चुपचाप। अइसन लोगन क नाँव औरी काम एक पीढी से दूसरकी पीढी ले बिना केवनो हील-हौल पहुँच जाला। कुछ अइसने लोगन में एगो नाम बा महापण्डित राहुल सांकृत्यायन जी कऽ जिनकर साहित्य में…

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भोजपुरी में बाल साहित्य

प्राचीन काल में भोजपुरी बिहार प्रांत के भोजपुर, आरा ,बलिया, छपरा, सीवान, गोपालगंज आ यूपी के कुशीनगर, देवरिया गोरखपुर, महराज गंज ,सिद्धार्थ नगर, मऊ , आजमगढ़, गाजीपुर आ बनारस के भाषा रहे बाकिर अब्ब आपन भोजपुरी एगो अंतर्राष्ट्रीय भाषा हो गइल बाटे । भोजपुरी खाली भारत के बिहारे यूपी  के भाषा ना रहिके नेपाल , मॉरीशस, फीजी, गुआना, सूरीनाम जइसन देशन में भी बोलचाल के भाषा के रूप में फइल गइल बा । भोजपुरी भाषा में सभ तरह के साहित्य रचल जा रहल बा बाकिर बाल साहित्य के नाम पर…

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कुकर्मनासा

आपन गाँव आउर आपन माटी के सोन्ह महक सभके भाव- विभोर क देवेले | पीढ़ी दर पीढ़ी के संजोवल इयादन के मंजर अपना के ओहमे रससिक्त करे लागेलन | आउर अगर अपना गाँव के नीयरे कवनो नैसर्गिक बनस्थली होखे , त उ मनई  के मन मोर लेखा नाचहूँ लागेला  | टकटकी बान्ह के निहारल आउर निहारत – निहारत रोंआ जब भरभराए लागेला ,तब अंखियो ओह सुन्दरता के रसपान करत ना अघाले | भोरे – भोरे चिरई चुरमुन के चंह – चहाँइल जब कान में परेला , त उ कवनो बड़…

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महंगाई में भुलाईल रिस्ता

ईयाद करी छठी माई के गीत “ पांचऽ पुतऽर आदित हमारा के दिहिना, धिअवा मंगिले जरुर” छठ माई के परब करेवाली आजुओ ई गाना गावेली. आ सुनहु में ई गाना के बड आनन्द आवेला. यानी कि जब ई गाना के प्रचलन शुरू भईल होई ओहघरी आबादी कम होई. आजू के लोग से दिल से पूछी त केहू पांच गो लईका ना चाहत होईहे. जईसे जईसे समय बदले लागल कम परिवार होखे लागल. ओह घरी एगो घर में रिस्ता रहत रहे. परिवार आ गाँव में एक दोसरा के घर के आपन…

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भोजपुरी साहित्य : प्रकाशन अउर विपणन एगो गंभीर समस्या

भोजपुरी साहित्य के माध्यम लोक भाषा ह,जे समाज के देन ह।राजाश्रय के आभाव मे भी अपना भाषायी संस्कृति अउर लोक जुड़ाव के आधार पर साहित्य के क्षेत्र मे दमदार उपस्थिति दर्ज कर रहल बा।आज के ऐह आर्थिक अउर डीजीटल युगो मे प्रकाशन अउर विपणन के अभाव मे  भोजपुरी साहित्यकार घर के आटा गील कके आपन रचना समाज के आगा परोस साहित्य भंडार भर रहल बाड़न।ई सही बा कि कैलिग्राफी भारत के देन ना ह। ई त श्रुति अउर स्मृति के देश रहल हा।आपन याद के लेखनी मे बदलला पर अदभुत…

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भोजपुरी क नागार्जुन पंडित धरीक्षण मिश्र

भोजपुरी साहित्य के आचार्य कवि धरीक्षण मिश्र साधारण जन समुदाय क असाधारण कवि बाड़न । इनकर व्यक्तित्व जेतने साधारण लेखनी ओतने असाधारण अउर विलक्षण । मिश्र जी अपना समय क यथार्थ दृष्टि राखे वाला अइसन सजग रचनाकार हउवन , जे जनता के दुख दर्द आपन लेखनी क विषय बनवलन । इनकर रचना साहित्य पढ़ के अइसन लगेला जइसे ई राजनीति अउर सामाजिक जीवन क कोना – कोना झांक लेले रहलन । हिन्दी क परसिद्ध व्यंगकार कवि नागार्जुन अउर धरीक्षण मिश्र एक ही समय क रचनाकार हउवन। आपन मातृभाषा मैथिली खाति…

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प्रगतिशीलता के नाँव पर

भाषा सब अइसन भोजपुरी साहित्य में बेसी कविते लिखल जा रहल बा. दोसर-दोसर विधा में लिखे वाला लोग में शायदे केहू अइसन होई, जे कविता ना लिखत होई. एही से कविता के जरिये भोजपुरी में साहित्य लेखन के दशा-दिशा, प्रवृति-प्रकृति के जानल-समझल जा सकत बा. साहित्य आ साहित्य के शक्ति के बारे में एगो श्लोक भरतमुनि कहले बाड़े – नरत्वं दुर्लभं लोके विद्वत्वं तत्र दुर्लभम्. कवित्वं दुर्लभं तत्र शक्तित्वं तत्र दुर्लभाः . कविता आ काव्य शक्ति के जे हाल होखे भोजपुरी में कवि आ लेखक के भरमार बा. एही भरमार…

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संतकवि कबीर के जनम आ मृत्यु के तिथि बिचार

उत्तर भारत के मध्यकालीन भक्ति आंदोलन के क्रांतिकारी संतकवि कबीर के जनम तिथि, जन्म स्थान, परिवार, भासा, मरन तिथि आदि के लेके बिद्वान लोग के एकमत नइखे। आ जदि कबीर अपने चाहे उनका समकालीन उनकर केहू भक्त नइखे लिखले त जनम तिथि, जनम स्थान, परिवार आ मरन तिथि के लेके ठोस सबूत जुटावल कठिन बा। अइसहूं पहिले सम्पन्न परिवार का लरिका के जनम पतरी ना बन पावत रहे। विरले केहू का घरे लरिका पैदा होखे त उपरोहित आके ओकर जनम पतरी बनावस। बहुत बूढ़ लोग के कहत सुनले बानी कि…

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साइबर अपराध की आतंकी हमला ?

आजु काल्ह समाचार पत्र उठा के देखी त लगभग हर दिन साइबर ठगी से संबंधित मामला देखे अउर पढ़े के मिल जाई । जवना के आतंकी हमला भी मानल जा सकत बा । आज के अत्याधुनिक तकनीकी युग में लोग आपन जीवन के  सरल बनावे खातिर कईगो उपकरण के प्रयोग करत बा लोग । दुनिया भर में लोग ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से घर बईठल लोगन के निजी जानकारियन के चोरी करत बाड़न । जवना के साइबर अपराध कहल जाला। वैश्वीकरण एकमात्र अइसन कारण बा, जेकरा से दुनिया भर के लोग, एक दोसरा से…

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