हिन्दी के कइला बेड़ा पार हो,
भोजपुरिया के मार देहला रजऊ ||
मार देहला रजऊ हो मार देहला रजऊ,
भोजपुरिया के मार देहला रजऊ ||
दिन दिन बढे अनुसूचिया से दुरिया
ओही से घरवा में तलफे भोजपुरिया
इज्जत भइल मोर उघार हो
भोजपुरिया के मार देहला रजऊ।|
अटकन चटकन बहुत देखवला
वादा के असरा दे खुबे भरमवला
अब देवे के परी अधिकार हो
भोजपुरिया के मार देहला रजऊ।|
होखे उजियार चलीं दियना जराई
नेहिया के लेप से मनवा मिलाई
मेटि जाई मन के अन्हार हो
भोजपुरिया के मार देहला रजऊ।|
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी