सारधवा

मरछिया अपने त सात गो लइका के मार कै भइल रहै .. जनमते महतारी घुरा पर फेकवा दिहली ..कौदो दे कै किनली ..बड़ा टोटरम पर .मरछिया जिएल ..मरछिया धीरे-धीरे सेयान होखे लागल ..जवानी उफान मारत रहे ..”इजवानी केकरा कस  में बा ..मरछिया एकदम गोर भभुका रहे रहे ..आओठ लाल-लाल ..नकिया सुग्गा के ठोर अइसन चोख ..अँखियांमें बुझाए काजर कईल बा ..केसिया टेढ़ टैढ़ घुंघराला  बुझाए करिया घाटा ह..माने छाछाते देवी कै मूरत ..देह के उतार चढ़ाव गजब के .. चाल मस

तानी ..चोटिया नागिन खनिया  अँखिया बुझाए दारु पियले बिया .. इजवानी के रंग लोगन के सांसत में डाल देलै बा “बिना बाप के बेटी ..फेकुआ त मरछिया तीन महीना के गरभ में रहे ..पंचायत चुनाव में गईल रहे ..चुनाव होला कि लोगन कै जान के शतुर होला .।फेकुआ गई ल तबसे लउटल ना ..कवलेज में चपरासी रहे ..ओहि पर मरछिया के माई के अनुकंपा पर हो गईल नोकरिया ..कुछ पी..एफ से पइसामिलल रहे  .रोज -रोज के ओरहन से ..मरछिया के महतरिया बाज आ गईल रहे।

…कबो मरछिया भईस चरावे जाए ..कबो भिनसरिया में गेड़ ले आवे जाए ..गांव के छवारिक  से बाजना -बजनी होखै लागे ..राड़ केबेटी के सब लूटे के चाह स ..क बेर मरछिया के महतरिया पोखरा के आटे-आटे दउर के ..मरछिया के मारे खतिरा पीछै-पीछे रगेदे ..”आव मुँहझौसी ..रंडिया हमरा बापवा के जामल  महतरिया ..तोरा जवानी कै जोस चढ़ल बा .. इयार लोग के नसा लागल बा ..क हाँ बाड़े ईयरऊ ” “आवतहरा के ललका पानी से दरसन करावतानी ” सोगहीहमार जियल हराम कईले बिया ..आव भतरु से दरसन  करावतानी ..!

…छवारिक से मेल मोहब्बतमें  रोज कहिओ गोस कहियो मछरी आवे .. कबो राति खा सुतहु के वैवस

था होखे ..परैम के फल का भईल कि मरछिया पेट से रह गईल ..पहिले त ना नुकुर भईल .”चमईन से पेटछिपैला ” अब त कवनो छवारिक बियाह करेके ना चाह सन ..माने मरछिया के महतरिया के लगे ..पीएफ के पईसवारहे ..”बियाह भईल कौलेज एगो चपरसिया से ।.औकर नाम रहै पियारे .. अब कवलेजिया लईकिया सन ओकरा के ऐ पियारै .ए पियारे कहसन .. मरछिया रोज झागड़ा करे ..राख लेले बा कवलेजियन वेसवा ..रंडिया के ..!!रात दिन  महाभारत ..इहाँ पेटो छिपावेकेरहे ..छव महीना में बेटी भईल ..विष

नु भगवती से मांगल -चांगल रहे ..बड़ी सरधा मन में बेटी खतिरा रहे ..”लोग पुछै लोग बेटा मांगेला बिसनुभगवतीसे ते काहे धिया मांगतारे”मरछिया कहे-“ए काकी धिया के जनमनले पवितर होला कोखिया सरग में होला अंजोर” काकी के मरछिया के बात में कवनो हुलास ना दिखे ..कईसनते मुरुख बाड़े  कहल जाला “अगिते मे जनती कि धिया एक जमेहे पियती मे मरीचि झरार  मरीचि के  झाके झुके धिया मरि जईती  ..सतरु के धिया जनि होखे ” मरतछिया के खुशी के ठेकाना ना रहे ..धरती पर गोड़ ना पड़े ..अलंटरा साउनड जबसे करवले रहे ..बिसनु भगवती के गोहरावे ..ए माई जौड़ा खस्सी चढ़ाईब ..जोड़ा कबूतर चढ़ाईब ..जोड़ा पियरी चढ़ाइब ..जोड़ा कोसिया भरवाईब  ..हथिया पर हउदा कसाईब  घोड़वा के रे लहास  ..हमरा के रुनुकिया ..झुनुकिया ए गो धिअवा दी ..हम एककोस भुई पारब .. एतना भाखला पृ सरधवा के जलम भईल ..अब ऊ जमाना नईखे  की बेटी लोग गोड़ के नीचै रही लोग ..जूठ काठ सै पोसाई लोग .. फुलेसरा काकी अलगे माथा पिटस ..आइ हो दादा ..बेटी के मनबढ़ु बना्वतिया ..खिस्सा कहल बा “आटा सनले बेटी जात कड़ले”बेटी दाब के रखल जाला ..पचिस्ठा ना रही ..गांव घर के बेटी होला .।बेटी के साथे गांव जवार के पचिसठा होला ..मरछिया कहे”ए काकी  अब मोदी सरकार में बेटी के बड़ा मान समान मिलता  ।कहतारे “बेटी बचाव बेटी पढ़ाव” जलम लैला पर कन्यानिधि में पईसा जाता  ..गोद भराई होता ..ओकरा खाए -पिए सबकर वेवसथा त सरकार करतिया  .साईकिल मिलता ..पढ़ाई के खरचा मिलता  पचास हजार रुपया कम नानु होला ..हमरापेटेमें से,सरधा बा  बेटी के ..छठी मईया हमार  गोहरावल सुनली  ..सरधवा जलम लेलेस “हम त गावे लगनी हमरा तभईले बेटिया ए घरवा सोहावन लागे बाजी पाजेबवा “”मरछिया मुँहकुड़िया भहराइल बिया विसनु भगवती ओकर मनसा पुरवले बाड़ी ..सरधवा के आँगनबाड़ी में विटामिन ..दूध पुसटईमिले लागल  मरछिया के सब काम पूरा होखे लागल ..सरधवा के सरकारी इसकुल में नाम लिखा गईल ..अब सरधवा के भाखा बदल गईल ..हैं मैं ..उरदु फारसी अगरेजीछाटतिया ..अगरेजी में टाटा ..बांय बांय करतिया .. ए चिउटी हट हट माने झोपड़ी कहतिया ..एपुल माने सेव कहतिया ..हमरा के सबरे उठ के कहले “गुड़ मोरिन “राति खा ‘गुड़ नाई”स

कूल से साईकिल मिलल बा ..चला जाले स्कूल  .।हमर बड़ा सरधा रहल हा  ए गो बेटीहोईत त हमहुं ओकरा के पढ़इत ..गांव के लोग  हमरा बेटी के रंडी बेसवा बनवलस ..बेटा बियाईल बाड़ी ..मन बढ़ावतारी बेटी के ..एक दिन मुँह करिया करि उढ़ढ जाई ..बाप रेबाप बेटवन के साथे  साईकिल में रेस लगावयिया ।।रेफ राईट करतिया “मन के बढ़ल निमन ना होला धन बढेला त जमीन में गाड़ दियाला मन बढ़ला के कवन उपायबा” मरछिया ओ सब बात के धियान ना देले ..सरधवा के पढ़ाई में मन लाग गईल बा ..घर के कामों करेले .।माई के सेवा करेलै .।दवाई  के वेवसथा करेले .. जिला में  सरधवा टांप कइले बिया ..ओकरा पचास हजार रुपया मिलल बा ..आज उहे मंत्री ओकरा के  चेक देले बाड़े ..जे कहिओ छवारिक रहले  आ मरछिया  से बरिआई कईले रहले .।मरछिया उनका के चिनीहि लिहलस ..ऊहो सरधवा के देखकेमोहित हो गईले ..आपन संतान देखके उनका मोह हो गई ल ..सरधवा पढ़ाकुरहे .।जवना विसय में मन लगावे  ओहिमें टांपहो जाए ..मंत्री जी के बुझाईल इ त बड़ा जीनियस बिया ..” होनहार  विरवान के  होत     चिकनेपात “देखकर  उनके मनमेंसरधवा के प्रति प्यार उमड़े  लागल “उन्होंनै “सरधवा को बुलाया  माँ का नाम पुछा   ..सरधवा ने कहा मरछिया ..अब त मंत्री के खून सूख गई ल देह के सहुर ना रहे ..आजबीस बरस के पहिले के बात आँखि पर  सिनेमा के रिल खनिया नाचे लागल ..मंत्री जी के वियाह भईल रहे  संतान ना रहे ..उनकामन में तड़प रहे संतान ं खतिरा ..आ सरधवा  अवैध संतान रहे .।समाज से स

वीकीरति ना रहे .।समाज के भीतर झांकेले ..कवनों झंझावात ना रहे ..आजकल त लड़की आउर पढ़ाई के समाज में पचिस्ठा बा ..मंत्री जी सरधवा के नाम ,श्रद्धा”रख देले ..श्रद्धा  .की पढा़ई -लिखाई का   प्रबंध कराया ..सरधवा का एम बी.बीएस में नाम लिखा गईल  ..ओकर पढ़ाई पुरा हो गई ल ..पीएम सी एचमें  बहाली हो गईल .।सरधवा के पराईवेट किँनिक बा  खूब पईसा कमा तिया  माई के ले गईल बिया  अपना हाँस्पीटल के नाम “मरछिया हाँस्पीटल “रखले बिया ..माई  गांवमें सड़की पर जात रहली हा ….मोदी जी टाँयलेट बनवले बाड़े माने का जाने काहें लोगवा ..एक लाइन से बईठल रहेला सड़की के किनारे .।छोटका बचवा संन के कहेले सन आरे चिकनकेमें अब त पोटी कहाता मरछिया हाँट पाँट के पोटी कहेले ….पोटी में रोटी रखेलै …सरधवा आपना विसाल बँगला में माई के ले गईल बिया ..गादा पर ओकरा नीन नईखे लागत ..टाँयलेटमें फल्स चलेला त चिलाले  कहेले ।.आई हो दादा ई दईत खनिया कथि बोलता .।कमोड को कुरसी ह ..ईत हमारा कबज हो जाई  .. नहाए खतिरा गिजर लागल बा ..हमनी के चापाकल के गरम पानी से नहानी जा …ई अदहन खनिया पानी से  हमरा देह में फफोला हो जाता ..गांव के लोग मरछिया के भाग देखिके जरता ..पईसाझरता एकरे के कहल जाला भगवान देले त छप्पर फाड़ के .. मरछिया के आपन गांव नीक लागेला ..बाग -बगीचा ..सब लोग मरछिया के “मैडम “कहता मरछिया के बुझाता गारी देता ..मरकिलगौना सन हमराके “चमरा के बुढ़िया बनवले बाड़े सन”मरीज सब के मेला लागल रहता  सरधवा के हाँस्पीटल में ..बड़काबेल्डिंग कसाईल बा ..बड़का  तख्ती पर लिखल बा “डॉ श्रद्धा मलहोत्रा” समाज से लड़के आजु मरछिया बेटी मंगलस साचो इ बेटी  छाछात बिसनु भगवती बाड़ी ..जे लोग हँसले रहे  उहे अचकचा के बेल्डिंग निहारता  ओकरा माथा ऊँचा करेके पड़ता ..ईहे कहाला भाग  काजाने कवना के जामल हिय सरधवा  आज दुउरा पर लछमी बरसत बानी “आदमी जलमसे ना अपना करम  से  बड़ होला “भाग कुछु ना ह पहिले  “क अछरिया करतप सिखावेली”तब ख अछरिया खाए के सिखावैली

  •    डॉ सुशीला ओझा

बेतिया,प.चम्पारण

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