अबाटी बंटी

बंटी … ना ना अबाटी बंटी ओह मोहल्ला में अइला के मात्र साते आठ दिन बाद बंटी अपना करतूत से ऐही नांवें जानें जाये लगलन। केहू के जगला के सीसा चेका बीग के फोर देस, त केहू के दुआर पर पानी से भरल बल्टी में माटी घोर देस, इ आएदिन के बंटी के काम रहे। केहू पकड़ के मारे चलें त ओकरा मुंह पर खंखार बीग के भाग चलस । बंटी के माई ओरहन सुनत-सुनत हरान भ गइल रहली। एक दिन आफिस जाये से पहिलही अपना साइकिल के दुरदसा देख…

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डाला के साइत

‘‘का बबुआ, बारात के तइयारी भइल कि ना ? ’’ ‘‘हां भइया तइयारी त चल रहल बा. वैसे कलेवा के सामान सहेज के रखवा देले बानी. अब बिहौती सामान कीने के रह गइल बा.’’ ‘‘कवन-कवन सामान खरीदे के बा, जरा हमहूं त जानी बबुआ!’’  सवेरे सवेरे अपना मुंह में दतुवन के हुड़ा करत शिव रतन भइया हमरा घर के सहन में पड़ल चउकी पर आके बइठ गइले आउर हमरा उत्तर के इंतजार करे लागलें. ‘‘ भइया , दूल्हा के पोशाक त पहिले से ही तइयार बाटे. जमाना के अनुसार कोट,…

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