निरमल गाँव

आज बुधना गाँव बड़ दिन लउटल बा। नयका कुरता पायजामा आ लाल गमछा ओढ के जइसहीं बस से उतरल, आपन भयाद लोग के देख के मुँह बिचकावत कहलस- ई का? हमनी के गँऊवा में  सफाई अभियान ना चलऽता का? बोलते-बोलते आगे बढत रहे कि गोबरे पर गोर पर गईल ।हे भगवान!  एहीसे त हम गँऊवा से भाग गईनी।माई बेराम ना रहित तऽ हम अइबो ना करऽतीं।चलऽ, पहिले गंगा जी चलऽ।नहा-धो के घरे जाइब।
अबकी सब संघतिया के बुधना के वेबहार ठीक ना लागल।बाकिर बड़ दिन बाद  संघतिया के अइला के खुशी रहे एही से कवनो कुछ  बोलत ना रहे। गंगा जी में  डुबकिया मार के जइसही बुधना उपराईल, ओकरा गोरवा मे रसरी फँसल जइसन लागल।हाथ डाल के देखलस तऽ पुरान – धुरान कपड़ा रहे। फेर ओकर भाषण चालू हो गईल- ऐ भाई लोग! हमरा त गंगो जी में  गंदगी से भेंट हो गईल। तू लोगन ईयार! का…. का…..करऽतारऽ लोग। दुनिया सफाई अभियान में लागल बा आ हमार गाँव तऽ ई अभियनवा के बिगाड़े के ठान लेले बा। चलऽ लोग काल्ह से हमनीयो के ई अभियान में जुट के अपना गाँव के नाम रोशन कइल जाव।
दुसरका दिने भोरहीं बुधना के सब संघतिया ओकरा दुआर पर पहुंच गईलन । बाकिर बुधना तऽ माथ पर पट्टी बाँध के आईल आ कहे लागल- ई गंदगी से हम एकेदिन में  बेराम हो गईनी। सिर फाटऽता हमार। आज हमरा से तऽ कुछो ना होई।अगर तहरा लोग के मन करे तऽ कवनो कोना से सफाई अभियान शुरू करऽ लोग।हमरा जइसहीं आराम बुझाई हम आ जाइब।
गाँव में सफाई अभियान शुरू हो गईल।लइका बूढ आ जवान सब सफाई में जुट गईलन। बस स्टैंड से  सफाई अभियान शुरू भइल त मंगरू के घर तक आधा टोला एकेदिन में साफ हो गईल।सांझी बेरा बुधना गंगा किनारे पहुंचल जहाँ गाँव के सभ मनई सफाई के बाद  नहाये पहुंचल रहलन। नहा धोके सब लोग जब चौराहा पर मउनी बाबा के मठ पर इकट्ठा भइलन त बुधना शहर के  सफाई के तरह तरह के  बखान शुरू  कइलस- उहां लोग एने- ओने ना थुकेला। कवनो चीज एने ओने ना बीगेला। बिना साबुन से हाथ धोके ना खायेला। घर में  सबकोई ना घुसेला, बस आगे वाला कोठरी  बहरियन खातिर होला। ऊ आपन धुन में  बखान करत रहे आ कय लोग त थकान से ओहीजे घुलट गईलन त कुछ लोग धीरे से घिसक गईलन।बस ओकर छै-सात गो संघतिया बाचल रहलन जे कान में  ठेपी लगाके ओकर परबचन सुनत रहलन। फेर काल्ह खातिर सफाई के जगह तय भइल आ सबलोग घरे गईलन। भोर में धीरे धीरे लोग फेर इकट्ठा होखे लगलन। आज कुछ म्उगी भी घुघुटा डाल के ठार रहली। भुनेसर तिवारी आवते तमतमा गईलन- का? का होता ई सब? हई मेहरारू लोग के केऽ बोलइलस हऽ। का गाँव के मरद सब के हाथ गोर में  ताकत नईखे बाचल का? जे औरतियनो  के बोला लियाइल बाड़ऽलोग।
सगरी जवार में सबसे बड़ बुधना के दादी रहली।उहे तनी घुंघट सरकावत आगे अइली-” ना ए बबुआ!  हमनीयो के तऽ आखिर अब ई समय खालिये हो जाइला।हमनी के जादा कुछ ना, तनी मनी रउरा लोग के सहायता करब । जदि भारी लागी त हमनी के घरे लउट जाइब। रहे दीं हमनियो के आ रउरे लोग नु बानी कवनो दोसर लोग तऽ नइखे इहां।”
बुधना के दादी के बात भुनेसर तिवारी काट ना सकलन तऽ कहलन- ठीक बा।ठीक बा। बाकिर जादा धूप चढ जाई त रउरा लोग लउट जाइब।
दादी सिर भर हिला के सहमत भऽ गईली।
एतना सब भ गईल बाकिर बुधना के पता न रहे। नितेशवा कहलस- जाऽ! आ अबहीं तक बुधना भइया त अइलन ना! जाईं का? बोला ले आईं ?”हॅ” भुनेसर तिवारी कहलन।नितेशवा आ पिरतेशवा दुनो अइसन दउड़ के भगलन सन जइसे कोई पुलिस के भरती दौड़ होत बा। बुधना भइया ऽऽऽऽऽ!बुधना भइया ऽऽऽऽऽ!
पिछलके दिन जइसन माथ पर पट्टी बाँध के फेर बुधना निकलल।आ उहे कहलस जे पहिलका दिन कहले रहे।
पांच दिन अइसहीं बीत गईल।गाँव चकचका गईल।सफाई में  गंदगी अइसन फेंकाइल कि खोजला से भी गंदा ना भेटाई। ओही में  कचरा फेंके आ गंगा जी के  सफाई खातिर  घाट के ऊपर बाल्टी में  कपड़ा फींच के बालू पर पानी फेंके के तय भइल। पूजा के फूल पतई लगहीं किनारे में गाड़े के जगह तय भइल।कुल मिला के सचहूं सफाई अभियान भइल जे कतहूं अब ले ना सुनाइल रहे।
एने दिनभर बुधना बीमार रहे आ सांझ होते ठीक हो जाय। एतना दिन में डुमरी गाँव चकचका गईल। बुधना के दादी सब बुझ गईली आ ओकर राज खुलला पर परिनामो उनका आँखी के  सोझा घुमे लागल।ई राज सामशंकर चाचा के दुनो बेटवा  नितेशवा आ पिरतेशवा पहिलके दिन  जान गईल रहलन सन। रोजे भोर में ओकरा बोलावे आव सन त खुसूर-फुसूर करऽ सन ।काहे कि ऊ दुनो दुपहरिया में  जब सब लोग आराम करे त बुधना के पिछुआड़ी तरफ से आके झांक के देखऽ सन कि बुधना कान में फोन लगइले बा आ हँस हँस के केकरो से बतियावत बा। सबदिन इहे होय। जब सब कोई आराम करे तब दुनो फन्टूस कान लगा के ओकरा पिछुआरी  बइठ जाय आ बुधना के परपंच पर हँसे।पहिलके दिन बुधना के दादी भाँप गईली कि कोई बुधना के टोह लेता। ऊ बुधना के कहली- आ कब ले तोर कापार बाथा होई? नइखे छुटत तऽ इहां से चल जा। जाके ओहीजे इलाज कराव। जेकरा के सफाई के  गेयान बँटले बाड़े ओकर तनिको फिकिर बा? एकोदिन तोहार हाथ-गोर हिलल बा?
बुधना कहलस- छोड़ऽ ना दादी! ई गँवार लोग का बुझी।
दादी के आँख से लोर गिरे लागल- बड़ी दुःखी भइली। अपने खून के अइसन छली रूप देख के मन थोर हो गईल। बड़ी समझवली पर ऊ कहां से ई सब बुझऽता।ओकरा पर त शहर के हवा लाग गईल रहे जहां जादा काम देखावे वाला होला। ऊ का बुझी गाँव के । आ ओहपर से ई छहत्तरबाजी ! हे भगवान! ई का कइनी! जेकरा  के शहर भेजल गईल बढ़िया बने खातिर ऊ तऽ बढिया ना बनलन बाकिर बनावटी हो गईलन।
छठा दिन बुधना चल गईल बाकिर ओकर चर्चा खूब होखे। जे गाँव के एतना साफ- सुंदर रूप देखे ओह घड़ी बुधना के चर्चा जरूर होय।
जब-जब बुधना के चर्चा होय ओकर दादी बेचैन हो जास। मन करे कि सबके कह देस- ऊ छहत्तरी बा। गवाह चाहीं तऽ नितेशवा पिरतेशवा के बोला के पूछऽलोग। बाकिर पोता के बेइज्जती के बात सोच के चुप हो जास।
एकदिन हनहना के तीन चार गो गाड़ी बुधना के दरवाजा लागल। ओह गड़ियन में  से जे लोग निकलल ओकरा संगे बुधना भी रहे। ऊ लोग पूरा गाँव  घुमलस ।
फेर एगो चेक निकाल के देलस आ कहलस – ए सफाई  अभियान के हेड के बा? पइसा केकरा नावे दियाई? अभी बुधना लपलपा के आगे आवते रहलस कि ओकर दादी ओकरा के खींच लेहली आ कहली – भुनेसर तिवारी के नाव से। ईहां के हमरा गाँव के बड़ बानी आ सब काम के अगुआ भी।एही से इनके नाव चेक कटी।बाकिर ई पइसा खरच कइसे होई ई सब बिचार सब गाँव मिल जुल के करीहें। नितेशवा पिरतेशवा बुधना के तरफ देख के अइसन जोर से ताली मरलन सन कि जइसे ओकरा के चटाक-चटाक मारतारन सन। ऊ सब के पीछे सब लोग जोर-जोर से ताली बजा के भुनेसर तिवारी के आपन नेता मान लेहलन।चेक देत समय आफिसर लोग एगो कागज देहलन जे निर्मल गाँव के प्रमाण पत्र रहे आ संगही एगो लिस्ट दिहलन जवना में  सफाई के जरूरत के सामान खरीदे के नाम दिहल रहे। फेर ऊ सब लोग लऊट गईलन बाकिर बुधना ओह रात रूक गईल।  रात में ऊ आपन दादी के गोर पर गिर गईल आ कहलस – हमरा के माफ कर दीं।हमरा से बड़ गलती भइल बा। बाकिर हम आज राउर कसम खाके कहतानी आज से हम सचहूं के  काम करब। ई गलती हम सुधारे के चाहतबानी। दादी कहली- ईहे हमरा चाही। आज लागता कि तू हमार बुधन हउवऽ। जबे आँख खुले तबे भोर।आज हम बहुत खुश बानी।जा सुते जा। भोरे जाये के बा। बुधना सुते चल गईल।
दादी मनही मन खूब खुश भइली काहे कि आज गाँव के साथे-साथे बुधना के मन के कचरा के भी निपटान हो गईल। आज हमार गाँव साचहूँ निरमल गाँव हो गईल कहते दादी गावे लगली- “ठारी गंगा जी में  टीकवा झलकेला,  पहिरेली गंगा झलऽके गजमती हो आपना गंगा के मनइबे दिनवा राती हो।।”

 

  • डॉ रजनी रंजन

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