बुझीं जनि ठिठोली

कउवो से करकस कोइलिया के बोली बुझीं जनि ठिठोली,इहे हियरा टटोली।   बकुला भगत संगे हुंडरो बा आइल देखीं भला आजे बिलरो धधाइल बघवो त मनवाँ के राज आज खोली। बुझीं जनि ठिठोली,इहे हियरा—   रात दिन होत बात बाS अझुरउवा उपरा त अउर भीतर बाउर भउवा भरलको पुरलको फइलउले बा झोली । बुझीं जनि ठिठोली,इहे हियरा—   बुझलें न अबले, जोड़त हाथ दुअरे लागत बा आइल चुनउवा ह नियरे भरमावे भर दिन चार चार गो टोली । बुझीं जनि ठिठोली,इहे हियरा—   जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 09-10-2025

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