हलिए आ रहल बा-‘धक् से लागल बात बावरी’

भोजपुरी  के चर्चित कवि आ भोजपुरी साहित्य सरिता के संपादक जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के नया काव्य संग्रह ‘धक् से लागल बात बावरी’ प्रेस में जा चुकल बा। उमेद बा कि नवंबर 2022 में प्रकाशित हो के लोक में आ जाई। ई द्विवेदी जी के 5 वीं किताब बाटे।

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फेर ना भेंटाई ऊ पचरुखिया के बहाने से :

पछिला कुछ बरिस में भोजपुरी में लेखन फेर से अँगड़ाई ले रहल बा। भोजपुरी में लेखन पहिलहूँ खूब भइल बा। हर विधा में थोर-ढेर किताब लिखाइल बाड़ी सन। चूँकि पठनीयता के अभाव आ कवनो सरकारी सहजोग के बेगर भोजपुरी के किताबन के उपलबद्धता के लेके सभे के सब कुछ पता बा। कारन इहे बा कि भोजपुरी के किताब लेखक लो अपना जेब से कटौती क के करावेला आ अजुवो कमोबेस हालत कवनो ढेर बदलल नइखे। बाकि परेसानी आ विश्वसनीयता के लेके सोचल जाव त अब बहुत कुछ बदल चुकल बा। …

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भोजपुरिया समाज में ‘भिखारी ठाकुर’ होखला के माने-मतलब

एगो अइसन समाज जहवाँ लइका जनम का संगही पलायन अपना भाग के लिखनी में लिखवा के आवत होखे,जहवाँ आँख खोलते बाढ़, सुखाड़,गरीबी,भुखमरी आ अशिक्षा में सउनाइल समाज लउकत होखे,जात-पाँत, ऊंच-नीच, छुवाछूत, शोषण का संगे लइका बकइयाँ चलल सीखत होखे, जहां दू-जून के रोटी कुछे लोगन के समय से भेंटात होखे, जहवाँ लइकइयाँ से सोझे बुढ़ापा से भेंट होत होखे आ जहवाँ अमीरी गरीबी का बीचे बहुते गहिराह खाईं होखे, अइसन समाज अजुवो आपन लोक,संस्कार आ संस्कृति जोगावत चलल आवत बा, त कुछ न कुछ त खासे होखी।उ समाज अपना भीतरि…

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“बनचरी”: भाव भरल प्रेम कथा के बहाने मानव मूल्य के कृति

आपन भाषा, आपन बोली भोजपुरी के संगे-संगे, अपना माती के सोन्हपने से भरल-पूरल कवि डॉ अशोक द्विवेदी के लेखनी से सिरजित भइल ‘बनचरी’ एगो अइसन कथा विन्यास ह, जवन पढ़निहार के अपना कथारस अउर रंग में सउन के पात्रन के संगे लिया के ठाढ़ क देवेला। एह उपन्यास के लिखनिहार के दीठि एह कृति के नाँवे से बुझाये लागत बा। जवन लेखक के भाषा शिल्प, गियान अउर लेखन के सुघरई से पढ़निहार लोग से सोझे मिलवा रहल बा। लालित्य से भरल सरल भाषा, जगह-जगह उकेरल गइल बिम्ब मन के मोहे…

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गँवई जिनगी का शब्द चित्र – काठ के रिश्ता

जब कवनों उठत अंगुरी के जबाव बनिके किताब सभका सोझा आवेलीं सन,त ओकरा से सहज में नेह-छोह जुड़िये जाला। मन-बेमन से कुछ लोग सोवागत करेला, ढेर लोग ओहसे दूरी बनावे के कोसिसो करत भेंटाला। भोजपुरी भाषा के किताबन के संगे घटे वाली अइसन घटना के सामान्य घटना मानल जाला। अंगुरी उठावे वाला लोग अफनाये लागेलन। उनुकर उठलकी अंगुरिया ढेर-थोर पीसात बुझाये लागेले। भोजपुरी में गद्य लेखकन के कमी त बा बाकि सुखाड़ नइखे। ‘काठ के रिश्ता ‘ के रिस्तन के  अइसने कुछ सवालन के जबाव लेके सोझा आइल बाटे। भोजपुरी…

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लोकजीवन मे रचल-बसल अघोर पंथ के मरम- रमता जोगी

लोकजीवन आउर लोक संस्कृति के कतौ जब बात होखे लागेला, त चाहे-अनचाहे लोककवि लोगन के भुलाइल संभव ना हो पवेला।भोजपुरिया जगत मे अनगिनत लोककवि भइल बाड़ें, जेकर कहल-सुनल गीत-कविता लोककंठ मे रचल-बसल बाटे। पीढ़ी दर पीढ़ी चलल आवत संस्कार गीत एही के उदाहरण बाड़ी सन। भोजपुरिया समाज मे एह घरी लोककवि के बात करल जाव त कुछ नाँव तेजी से सोझा उपरि आवेलन। अइसने एगो नाँव पं. हरिराम द्विवेदी जी के बाटे। आजु के समय के जीयत-जागत, बोलत-बतियावत,सबके दुख से दुखी आउर दोसरा के सुख मे आपन सुख महसूसे वाला…

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सोझ, सपाट आ सरल भाषा के कहानी संग्रह- अकथ प्रेम

अपने माई भाषा भोजपुरी में आजु कहानी के सिरजना करे वाली महिला लेखिका लो अंगुरी पर गिने भर बाड़ी। त अइसना में डॉ रजनी रंजन के बारे में ई  कहल कि उ भोजपुरी साहित्य जगत में पहिचान के मोहताज नइखी, अतिशयोक्ति ना कहाई। डॉ रजनी रंजन भोजपुरी कि साहित्यिक मासिक पत्रिका भोजपुरी साहित्य सरिता के खोज बाड़ी आ उनुका लेखन के बीरवा एही पत्रिका संगही फरत फुलात आगु बढ़ल। एह कहानी संग्रह के सगरी पहिले से लोक में बाड़ी सन, काहें से कि कुल्हि पतरिकन में प्रकाशित हो चुकल बाड़ी…

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भोजपुरी साहित्य में प्रेम अउर सद्भावना

लोक में रचल-बसल भोजपुरी भाषा आ ओह भोजपुरी भाषा के मधुरता आ मिठास, अपना जड़ से मजबूती से जुड़ल समाज आ ओह समाज में पसरल रीति-नीति के आपन अलग विशेषता बाटे। अपने एही विशेषता के संगे अलग- अलग सोपान गढ़त, ओके सजावत-सँवारत, ओकरे भीतरि के सुगंध के  अलग-अलग तरीका से अलग-अलग जगह बिखेरत भोजपुरी भाषा सदियन से गतिशील रहल बा आ अजुवो ले बा। अपना रसता में आवे वाला कवनो झंझावत से उपरियात, समय के मार के किनारे लगावत अपने भीतरि के ऊष्मा जस के तस अपने में समुआ के…

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ठकुरान के ठसक

विंध्य के पहाड़ियन के घाटी में बसल गाँव आ उहाँ के रहनिहारन के एगो अलगे सुघरई होले। पहुनई में त करेजा काढ़ि के रख देला लो, बाकि मोछ के बात आ गइल बेखौफ आर-पार करे खातिर उतर जाला लो। खेती- किसानी आ गोरू-बछरू से नेह छोह राखे वाला लो अपनइत नीमन से निबाहेला। अइसने एगो गाँव के बाति जवना गाँव में ढेर बाभन लोग रहे। ओह गाँव में अउरो जात धरम के लोग रहे बाकि एगो खास बात उ ई कि ओह गाँव में एगो राजपूत परिवारो बसल रहे। धन…

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पंडित हरिराम द्विवेदी होखला के माने मतलब

पंडित हरिराम द्विवेदी से हमार रिस्ता 12 पीढ़ी पुरान ह। कांतिथ के परवा गाँव से आइल कश्यप गोत्रीय  3 भाइन के एगो परिवार में से एक भाई के खानदान से उहाँ के बानी आ दोसरा भाई के खानदान से हमनी बानी। उहाँ के 11 वीं पीढ़ी में बाड़ें आ हम 12वीं पीढ़ी में। माने ठसक के संगे दयादी बा आ उ अजुवो जियल जा रहल बा। लोकजीवन आउर लोक संस्कृति के कतौ जब बात होखे लागेला, त चाहे-अनचाहे लोककवि लोगन के भुलाइल संभव ना हो पवेला।भोजपुरिया जगत मे अनगिनत लोककवि…

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