संत कबीर के सगुनोपासना

संत कबीरदास के बारे ई आम राय बा कि ऊ उत्तर भारत में निरगुन भक्ति धारा के पहिल संतकवि हवें। बाकिर हमरा समझ से कबीरदास खाली निरगुनिए भक्ति धारा के संत नइखन। ऊ सुगुन भक्ति धारा के भक्तो बाड़न। बाकिर ओह तरह से ना जइसे सगुन भक्ति धारा के संतकवि तुलसीदास बाड़न। तबो जे अपना नाम के पाछे दास लगवले बा ओकर केहू ना केहू नाथ, साईं भा अराध्य होई। ऊ ओकर दास्य भाव से भक्ति जरूर करत होई। कबीरो दास करत रहलें। बाकिर ऊ हरसट्ठे सगुन साकार अवतार के…

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भोजपुरी भासा का मानकीकरन के बेवहारिक आधार

संसार का हर ग्यात भासा के दू खाना में राखल गइल। पहिला – एक केन्द्रीय भासा आ दोसर – बहु केन्द्रीय भासा। एक केन्द्रीय भासा के माने एक मानक रूप के भासा ; जइसे – रूसी, इतालवी, जापानी वगैरह। एह एक मानक रूप वाला भासा के अंगरेजी में मोनोसेंट्रिक लैंग्वेज ( Monocentric Language ) कहल जाला। बहु केन्द्रीय भासा के माने एक से अधिक मानक रूप वाला भासा ; जइसे – अरबी , फारसी , जर्मन , अंगरेजी वगैरह। एह बहु केन्द्रीय भासा के अंगरेजी में प्लूरिसेंट्रिक लैंग्वेज ( Pluricentric…

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