जनावर

अंडा बेचे वाली मनोरमा पहिले अंडा ना बेचत रही. उ एगो घरेलू महिला रही, जे अपना मरद भूलन आ बेटी आरती के साथे खूब बढ़िया से आत्मसम्मान के जिनिगी जीअत रही. बाकिर उनका शांत जीवन मे कोल माफिया कल्लुआ कवनों शैतान के माफिक घुस गइल आ उनुकरा हरा-भरा घर संसार के तहस नहस करके रख दिहलस.

कोयलांचल में लाखों रुपिया ठेका में कमाई करे वाला परिवार के कल्लुआ फूटपाथ पर लाके पटक दिहलस. मनोरमा के परिवार एक-एक दाना खातिर मोहताज हो गइल. एगो अइसनों समय आइल, जब मनोरमा सड़क पर अंडा बेचे खातिर मजबूर हो गइली.

कल्लुआ के लूटपाट आ मारपीट के घटना, उनुका मरद भूलन के शारीरिक रूप से अपाहिज बना देहलस. अपना ठेकेदारी में ऱोजाना दर्जन भर लोगन के रोटी देवे वाला आज खुदे एक-एक रोटी खातिर मोहताज हो गइल.

मनोरमा के मरद भूलन 20 साल पहिले एगो कोलियरी के ओपेन कास्ट प्रोजेक्ट्स में पेटी कांटेक्टर रहस. परियोजना में काटल (खनन) कोयला के भंडार अपना हाइवा आ डंफर पर लोड करके कांटा

घर तक ले जाये आ कांटा (वजन) करावे के बाद कोयला लोड वाहन रेलवे साइडिंग तक पहुंचावे के काम करस. इहे उनुकर काम रहे.

एह काम मे परियोजना के लोडिंग बाबू, कांटा बाबू, साइडिंग इंचार्ज, यूनियन नेता सहित आउरियो लोगन के एक मुश्त नगद राशि नजराना के तौर पर देवे के पड़त रहे. कबो कबो परियोजना के बाहर के रंगदारन के आर्थिक शोषण के सामना भी करे के पड़ जात रहे. धंधा करे खातिर एक दो लाख रुपिया देके ओकनी से जान छुड़ावे के पड़त रहे. अतना सब होखला के बादो भूलन के धंधा कबहूं मंदा ना पड़ल. उनुकर कारोबार प्रति दिन आसमान छुवे के होड़ में सबसे आगे रहल. एही बीच भूलन के जिनिगी में कोल माफिया कल्लुआ के आगमन भइल.

एक दिन उ भूलन से 20 लाख रुपिया रंगदारी के रूप में ऐंठ लिहलस आ हर माह एक लाख रुपिया रंगदारी देवे के मांग कइलस. जब भूलन हर माह रंगदारी ना देवे सकलें त कल्लुआ उनुकरा के आर्थिक आ शारीरिक रूप से बरर्बाद करे के ठान लिहलस. साजिश रच के अपना गुंडन से भूलन के घर पर हमला करवा दिहलस.

दुर्भाग्य अइसन रहे कि ओह दिन घर पर भूलन अकेला रहलन. घर में घुसते के साथे कल्लुअ के गुंडा रड, डंडा, हॉकी आदि से उनुकरा के थुरे लगलेंसन. ओह वक्त भूलन के बचे आ भागे के कवनों मोका ना मिल सकल. उनुकर मेहराररू मनोरमा आ उनुकर बेटी आरती कवनों काम से बाज़ार गइल रहे लोग. एह से ओह हमला में दुनू जानी के जान बच गइल.

ई घटना मनोरमा के मनोबल के तुड़के रख दिहलस. अपना मरद के इलाज में लाखों रुपिया खर्च कइली, बाकिर भूलन अपना गोड़ पर खड़ा ना हो सकलेन. उनुकरा डार के हड्डी टूट गइल रहे. कुछ अंदरूनी कारनन से उ घुम-फिर ना सकत रहस.

कारोबार बंद होते धीरे धीरे आय के साधनो खतम हो गइल. बेमार पति के खर्चा, घर के जरूरत आ बेमारी में लिहल कारजा दीमक के तरे घर के चट करे लागल.

एक दिन उदास बइठल मनोरमा के मन में अचानक एगो बात आइल कि एह मुसीबत से संघर्ष करे के चाही. उ कम पूंजी में छोट-मोट बेवसाय करे के चाहत रही.

बाकिर कवन धंधा करस ना करस, एही उधेड़बुन में फंसल रही.

एक दिन उ बाजार से घर लउटत रही. तभीये राहता में उ एगो ठेला वाला के देखली, जे अंडा बेचत रहे.

मनोरमा उहां जाके पूछली.

“ एक दर्जन अंडा के दाम का बा?”

“105 रूपिया.” ठेला वाला जवाब दिहलस.

“कुछ पइसा कम लेलअ.”

“ ना बहिन, बचत नइखे.”

“ काहे नइखे?”

“ एक अंडा पर 50 पइसा बचेला. ई नगद के धंधा हअ, एहीसे घर परिवार चलता.” उनुकरा के समुझावत ठेला वाला कहलस.

“ ठीक बा. आधा दर्जन पैक कर दअ.”

एहीं से मनोरमा के अंडा बेचे के सूत्र हाथ लागल. “ नगद के धंधा हअ, एही से घर चलता.” ठेला वाला के ब्रह्म वाक्य मनोरमा के मन में घर कर गइल. अब अंडा के धंधा करे के बात उनुका दिल दिमाग पर छा गइल. उ दुसरके दिन बाज़ार गइली आ चौराहा पर एगो भाड़ा के दोकान ले लिहली.

चूंकि जाड़ा के म औरउसम अभीए शुरूए भइल रहे, एहीं से उ अंडा उसीन के बेचे लगली. मनोरमा के घर के चौखट लांघे के स्वागत उनुकर मरद आ बेटी दुनू जाना कइल लोग. पहिलके दिन मनोरमा एक सअ अंडा बेच देली. ओह से साढ़े तीन सअ रूपिया के आमदनी भइल. ओह दिन मारे खुशी के उनुकर गोड़ जमीन पर ना पड़त रहे. उ जल्दी जल्दी अपना घरे पहुंचली आ अपना मरद के हाथ में कुल्ह रूपिया रख दिहली.

हमला के बाद से भूलन अपना घर में मुरझाईल मुरझाईल सा रहत रहस. समाज से उनुकर नाता रिश्ता टूट गइल रहे. उ गुमशुम चुपचाप बइठल रहस. बाकिर मुद्दत बाद मनोरमा के हाथ में रूपिया देखके उनुकर चेहरा खिल उठल. उ खुशी में मनोरमा के हाथ चूम लिहलें.

रोजाना अंडा के दोकान सुबह 8 बजे खुले आ रात 8 बजे बंद हो जाव. एह बीच खरीदारन के भीड़ हरमेसा जुटले रहे. कुछ खरीदारन के चाह रहे कि दोकान रात के 9 बजे तक खुलल रहो, जेसे अगल बगल के दोकान खुलल रहेला. बाकिर मनोरमा आपन व्यक्तिगत मजबूरी बता के ओह लोगन के आग्रह के टाल देस. उनुकर अचार, विचार आ बेवहार अक्सर खरीदारन के आकर्षित करे. एह से उनका दोकान पर भीड़ लागले रहत रहे.

बाकिर ओह दोकान पर कुछ अइसनों मनचला लोगन के जमावड़ा लागे,जेकरा अंडा खरीदे में दिलचस्पी कम आ अंडा बेचे वाली में ज्यादा रहत रहे. उ लोग प्रायः मनोरमा के सुंदर चेहरा, चाल, ढाल आ मांसल देह पर टकटकी लगावे.

एह मनचलन में अधिकांश छोकरा कल्लुआ के रहसन, जे झूठो मजमा लगाके घंटन खड़ा रहसअ आ बेमतलब के हाहाहींहीं करत रहसन. एगो लफुआ 8 गो अंडा ख़रीदे आ ओकरा के 16 पीस करावे. सब मिलके आधा आधा पीस अंडा खासन आउर खूब लोफरई करसं. एही बीच मनोरमा पर सीधा निशाना साधके तरह तरह के अश्लील फब्तीयो सुनावसं.

फब्ती सुनके मनोरमा के खून खौल जाव. उनुकर जी चाहे कि ओकनी के जुबान खींच लेस. बाकिर पारिवारिक विवशता के कारन मन मसोस के रह जास. साथ ही अपना काम में व्यस्त रहे के कोरसिश करस.

ओकनी के बोलल फब्ती रेगनी के कांट नियर चुभे आ सुते ना देव. उ दिन रात प्रतिशोध के अग्नि में सुनगत रहस. हरमेशा कल्लूआ आ ओकरा गुंडन के सबक सिखावे के उधेड़बुन में पड़ल रहस. फेरू दुसरही पल विचार बदल जावे आ फेनु सोचे लागस कि पहले आर्थिक रूप से मजबूत हो लीं, ओकरा बाद सबक सिखावल जाई.

अंडा के धंधा में मनोरमा के किस्मत साथ देत रहे. अब उ अंडा के थोक बेवसाय करे लगली. नेपाल से मुर्गी, बत्तख, हंस आदि पंछियन के अंडा मंगावस आ मात्र एक रूपिया लाभ पर बेच देस. एह बेयापार में उनुका दिनदुनी रातचौगुनी आमदनी होखे लागल. अंडे के बेवसाय के कारन मनोरमा के नाम अंडा वाली के नाम से मशहूर हो गइल. बाकिर मनोरमा के उन्नति आ प्रगति से कल्लुआ आ ओकरा साथियन के

छाती पर सांप लोटत रहे. एक दिन ओकनी के दल मनोरमा के दोकान पर जा पहुंचल. बिना कुछ कहले

अंडा के कार्टून उठा उठा के अपना वाहन पर लोड करे लगलेसंन. ई सब देखके मनोरमा जोरदार प्रतिरोध कइली, बाकिर ओकनी पर कवनो प्रभाव ना पड़ल.

तब उ स्थानीय प्रशासन के मोबाइल से फोन करके सुरक्षा के गुहार लगवली. तभीए तीन चार गुंडा मनोरमा के पास आके गाली गलौज करे लगलेंसन,

“फोनिया के अपना यार के बुलावत बाड़ीस…, हमनियों से तनी दिल लगा के देख….., जवानी के भरपूर आनंद देमसन….. ” कल्लू के एगो गुंडा सफिया अंडा वाली के हाथ से मोबाइल छीनत गारी दिहलस.

“ पापी…नीच…, आनंद लेवे खातिर तोरा घर में माई बहिन नइखे का?.”

“ गुस्सा में ते तअ आउरों हसीन लागत बाड़ीस…, आज रात…बारी…बारी से ….”

अतना बोलके सफिया आ दुसर गुंडा जबरदस्ती मनोरमा के घसीट के ले जाये लगलेंसन. अपना जिप्सी में मनोरमा के डाल के उ रफ्फूचक्कर हो गइलेंसन. दिन दहाड़े अंडा वाली के अपहरन आ दोकान में लूटपाट के

घटना पूरे क्षेत्र में फइल गइल. पल भर में घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गइल. एह घटना के वीडियो देखला से जनता में आक्रोश बढ़े लागल.

अंडा वाली के सकुशल घर वापसी आ अपराधियन के पकड़े खातिर जहां तहां चौक चौराहा पर शासन के पुतला दहन होखे लागल. शीघ्र कार्रवाई ना भइला पर उपायुक्त आ पुलिस अधीक्षक कार्यालय के घेराव के चेतावनी लोग देवे लागल.

अंडा वाली के उठाकर ले जाये के खबर जइसही कोल माफिया कल्लुआ के मिलल उ आपन माथा पीट लेहलस, अपना साथियन पर आग बबूला हो गइल. तुरंत मोबाइल पर मनोरमा के गाड़ी से उतार के भाग जाये के कहलस,

“ अभी आग से खेले के समय नइखे. सफिया, अंडा वाली के साथे जनता बिया. कतहीं छोड़ दे ना तअ लेवे के बदले देवे के पड़ जाई. ”

“ भइया…, भइया…, उ तअ भाग गईल.”

“भाग गईल… कइसे ?”

“शौचालय के बहाने… ”

“ सत्यानाश …”

मनोरमा गुंडन के चंगुल से निकलके सीधे आपना वकील राम नरेश ठाकुर के घरे पहुंचल. बाकिर मारे भय, दहशत आउर दउड़ला

के कारन ओकरा दिल के धड़कन बढ़ गइल रहे. उ जोर जोर से सांस खींचत केहूं तरी उ अपना वकील के दुआर पर जाके भहराके गिर गइल. मनोरमा के ई दशा देखके वकील साहेब आ उनका घर के लोग परेशान हो गइल.

उनुका के होश में लावे खातिर उनुका चेहरा पर पानी के छींटा मारे लागल लोग. बाकिर मनोरमा होश में ना आ सकली. तब वकील साहेब अपना निजी डॉक्टर बीके माथुर के बुलइनीं आ कहनी,

“ मनोरमा के जान के पाछे कल्लुआ के गुंडा पड़ल बारेंसन. प्रशासनों ओकरा के ढूंढे में लागल बाटे.

एह हालत में मनोरमा के अस्पताल भेजलों खतरा से खाली नइखे सर. एही से अपने स्तर से इलाज करीं. होश अइला के बादे आगे सोचल जाई कि मनोरमा के बयान कोर्ट में करावल जाव कि स्थानीय पुलिस से.”

“ ओके ठाकुर साहेब.’’

डॉ बीके माथुर के इलाज के बाद मनोरमा नीरोग हो  गइली. वकील साहेब मनोरमा से घटना के विस्तृत जानकारी लिहनीं. ओकरा बाद कहनी,

“ अब ऊंट आइल बा पहाड़ के नीचे, का समझलू मनोरमा?” वकील साहेब प्रसन्न भाव से कहनीं.

“सर, हम ना समझनीं. अब का करे के चाहीं?”

“ कल्लुआ आ ओकरा गुंडन पर दोकान में लूटपाट, अपहरन आ गैंग रैप के मुक़दमा ठोक दअ. सब जेल चल जइहेंसन. ओकनी के जमानत तक ना होई. बदला लेवे  खातिर सुनहरा मोका बाटे.”

“ बाकिर सर….हमरा साथे तअ…. ”

“ तोरा साथे कुछो ना कइलेंसन, इहें नूं कहेके चाहत बाड़ू?”

“जी सर.”

“ तोहार पति तअ भूलन हउवन नूं? उनुकरा साथे सुते मे तोरा कवनो हर्ज नइखे नूं…,बाकी हम सब अदालत में देख लेहब.एह शैतानन के सबक सिखावल बहुते जरूरी बा.”

अधिवक्ता ठाकुर साहेब के एह बात पर मनोरमा सिर झुकाके मुस्काए बिना ना रह सकली. एकरा बाद  मनोरमा के साथे कुछ गोपनीय बातो भइल.

ओकरा बाद अधिवक्ता ठाकुर साहेब मनोरमा से कहलें,

“हम जइसन कहत बानीं  ठीक ओहीं तरी तुहूं करअ, उ सब तोहरा आगे घुटना टेक दिहनसं. ओकरा बाद तअ तू अपना मर्ज़ी के अनुसार आपन काम कर सकत बारू! कल्लुआ का ओकर बापो तोहरा गोड़ पर आके  गिड़गिड़ाई. चिंता मत कर.

अभीये हम थानेदार के आनलाइन

मैसेज भेज देत बानी, तू जल्दीय थाना चहुंप के भरपूर नौटंकी करअ.”

अधिवक्ता राम नरेश ठाकुर  अपना क्लाइंट के समुझावत कहनीं.

“ठीक बा सर. रउरा मैसेज भेजीं, तब तक हम थाना पहुंचतानी.” ठाकुर साहेब

के आश्वस्त करत मनोरमा थाना के तरफ निकल गईली.

” कुछ लोग झूठमुठ के ढोल पिटत रहता कि  थाना क्षेत्र में चारों तरफ शांति बा.थानेदार साहेब जरा अपना आफिस से बाहर निकलके त देखीं. एगो महिला कइसे

रोरोके  बेहाल बिया. एक सप्ताह पहिले  थाना में शांति समिति के बइठक भइल रहे.जेमे उपस्थित गणमान्य लोग  थाना क्षेत्र में अमन चैन के गुहार लगवले रहे.”

“अभी मालूम करता हूं कि मामला क्या है सर?” अधिवक्ता ठाकुर साहेब के मैसेज पढ़ला के बाद इंस्पेक्टर पी शर्मा उनुकरा के रिप्लाई भेजलस आ  अपना

अर्दली के बुलावे खातिर  कॉल बेल बजइलस.

कॉल बेल के आवाज सुनके अर्दली  स्प्रिंग के  खिलौना  नियर ओकरा सामने हाजिर भइल आ सैल्यूट मारके बोलल,

“येस सर…”

“देखो, कैंपस के बाहर कोई महिला रो रही है. उसे अंदर आने को कहो.”

“येस सर.” अतना बोलके अर्दली थानेदार साहेब के आफिस  से बाहर निकल गइल.

अर्दली जब लवटल तअ ओकरा साथे गोरा चिटा एगो सुनर महिला रहे, जेकर उमिर

लगभग 40-45 वर्ष के रहे .

ओ महिला के देखला के बाद इंस्पेक्टर ओकरा के पहिचान गइल आ अर्दली से बोल़़ल,

“अरे, ये तो अंडा बेचने वाली महिला है , जो अस्पताल मोड़ में अपनी दुकान चलाती है. इसको तो कल्लू के गुंडे उठा ले गए थे?”

“ हां सर, उहे तो है, पूछिए ना इसके साथे का हुआ है? ”

“अरे, यूंहीं रोती रहेगी या अपना दुखड़ा हमें भी सुनाएगी. बोलो, बात क्या है?”

“साहेब…, रउआ तअ कल्लुआ के जानते होखब… उ सब  एगो घर में हमरा के बंधक बनाके हमरा इज्जत के भाट्ठा बइठा देले बाड़ेंसन … एह से बाउर आउर का होई सर…”

अतना बोलके मनोरमा जोर जोर से  रोवे लागल.

“ हां हां अपनी बात पूरी करो….”

“  अब तअ हम केहूं के

मुंह दिखाए लायक ना रहनीं  सर…. ” उ अपना अचरा के छोर से

मुंह झांप के जोर जोर से रोवे लगली .

“अरे..रे…रे…,तुम ये क्या कह रही हो, उसे अभी पकड़ कर थाना लाते हैं और उसकी धुलाई कर  जेल भेजेंगे. लेकिन आखिर वे तुम्हें ही क्यों उठाकर ले गए थे, आखिर कुछ तो बात होगी?”

“साहेब  गजब  बात कर तानी….”

“ पूरा मामला समझाकर कहो.” इंस्पेक्टर ने उसपर पुलिसिया रौब जमाते हुए कहा.

“ अब का ख़ाक समझे के बाटे … हमरा  इज्जत के तार तार हो  गईल…लुगा ख़ून से लथपथ बा… ओकरा बादो  वकील लेखा बाल के खाल निकालत  बाड़अ…रपट नइखे लिखे के तअ मत लिखअ… ओकनी के फांसी पर चढ़ाए बिना दम ना लेम…हम एसपी साहेब से मिले खातिर चलनीं.”

मनोरमा एकाएक गुस्सा गईल आ उत्तेजना में अपना जगे से खड़ा हो गईल. जब जाए खातिर तइयार भईल, तले इंस्पेक्टर के सब रोआब भुला गईल.मनोरमा के रोकत  कहलें,

“अरे…रेरेरेरे…,ठहरो…ठहरो…मेरी बातों को बुरा मान गई. अभी हरामी के पिल्ले को गिरफ्तारकर लाते हैं. ड्राइवर जीप निकालो, जल्दी चलो… ”

इंस्पेक्टर अपना जवानन के लेके थाना से बाहर निकल गइल आ

एक घंटा के बाद ओकनी के लेके थाना पहुंचल. कागजी

खानापूर्ति कइला के बाद कल्लुआ  के जेल आ मनोरमा के मेडिकल जांच खातिर सदर अस्पताल भेज दिहल गईल.

जेल में बंद कल्लुआ के  हेकड़ी एगो अंडा बेचे वाली महिला भूला देले रहे. अइसे तअ कल्लुआ

पर चोरी, डकैती, लूट, हत्या आदि के कइगो मामला अदालत में लंबित रहे. बाकिर गैंग रैप के एको  मामला ना रहे.

गैंग रैप के  मामला कल्लुआ के नींन उड़ा देले रहे. ओकरा निर्भय मन में डर जइसन बला कब डेरा डालके बइठ गइल रहे, ओकरा खुदे पता ना रहे.

हाईकोर्ट कल्लुआ के जमानत के अरजी खारिज कर देले रहे. उ फेनू अपना वकील के मार्फत जमानत खातिर कोरशिस में लागल रहे.

कल्लुआ अपना पहुंच के नेता, मंत्री, प्रशासनिक पदाधिकारियन  से सिफारिश पर सिफारिश

करे में लागल रहे, बाकिर  बलात्कार जइसन मामला में केहूं  बदनामी के डर से

ओकरा के मदद करे के ना  चाहे.  सभ लोग  निर्भया बलात्कार हत्या कांड सहित अन्य कांडन से वाकिफ रहे.

अइसने  सफेदपोश लोगन के बारे में जेल के काल कोठरी में बइठल कल्लुआ  सोचत रहे कि जब ओह लोग के पास कवनो  आपराधिक काम आवेला तअ  एह शातिरन के कल्लुआ इयाद आवेला.ओकरा

दबंगता आउर गुंडागर्दी के इस्तेमाल  चुनावी दंगल, कवनो  नेता, विधायक, चाहे कवनो सांसद भा कवनो प्रतिद्वंद्वी के अपना राहता से हटावे में  होला.

कवनो से रंगदारी मांंग के  उत्प्रेरित करे के होखे चाहे कवनो के जमीन  कब्जियावे के होखे, मुंहगर लोग के हर आदेश के उ पालन करे.  बाकिर  एक कौड़ी के अंडा बेचे  वाली के भय से सब  चुप बाड़ेंनस . उ चाहे त अंडा वाली के जान मारके कवनो नाला में फेंक दे, केहूं के कानों कान खबर तक ना

होई.बाकिर ओकर अधिवक्ता पीएन वर्मा कहेलें-

“बलात्कार जइसन मामला में पीड़िता के हत्या कइला से पूरा देश हिल जाई. मुद्दा विहीन विपक्ष के सदन में शोर मचावे  के मोका मिल जाई. भूल से भी अइसन कदम नइखे  उठावे के ना त गला में फांसी के  फंदा पड़ते देर ना होई!

ओह महिला से समझौता करेके कोरसिश करअ, समझौता होतही तोहार ज़मानत के राहता साफ हो जाई.”

” अगर समझौता ना भइल तअ?”

अतना कहके कल्लुआ फेनूं  सोच में डूब गईल.

“ जमानत में थोड़िका सा देरी होई आउर का.” कल्लू के अधिवक्ता  आश्वासन दिहलें.

कल्लुआ सोचत रहे  कि उ गलत काम त बहुते कइले बा,बाकिर

बलात्कार जइसन घिनौना काम कबहीं नइखे कइले.ओकरा बादो

अंडा वाली  झूठे केस में काहे  फंसा दिहलस!का उ निर्दयी कल्लुआ से भयभीत नइखे ! का उ अपना पति भूलन के पिटाई आ घर में लूटपाट के घटना

भुला गईल बिया! जेकरे कारन आजो ओकर मरद अपाहिज के जीवन जी रहल बाटे.

बाकिर दुसरही पल कल्लुआ के मन  कहलस कि डरीत तअ गैंगरेप  जइसन झूठ केस में काहे फंसाइत ! लागता कि बदला के भावना से अंडा वाली ई कदम उठवले बिया . अब तअ ओकरा से समझौता करहीं के पड़ी.”

कल्लुआ के जमानत के अरजी  पर मुदई आ मुदालह के वकीलन के बीच बहस चलत रहे.जेसे अंडा वाली गैंग रेप के कार्रवाई सुने खातिर हाई कोर्ट में काफी भीड़ लागल रहे.भीड़ के काबू करे में पुलिस के पसीना छुटत रहे.

” जनाब ठाकुर साहेब, बलात्कार के झूठ केस में अतना खुश होखे के  कवनो जरूरत नइखे.तोहरा पास ना कवनो विटनेस बा ना कवनो मेडिकल रिपोर्ट. केस केकरा

भरोसे लड़ेम?” दबंग कल्लुआ के वकील पीएन वर्मा खुद आपन

पीठ थपथपावत  आपन दलील पेश कइलें.

“वाह रे, हमार काबिल दोस्त। बढ़िया दलील पेश कइलअ. बाकिर भूला गइलअ कि कल्लुआ के गर्दन में फांसी के फंदा डलवावे खातिर पीड़िता के  इकबालिया

बयान, घटना के वायरल वीडियो, मेडिकल रिपोर्ट, इंजुरी आउर विटनेस आदि सबूत काफी बा. वर्मा साहेब इहो भूल

रहल बाड़ेंन  कि एह केस के साथे अपहरन, लूटपाट, मारपीट आ आउरियो  मामला शामिल बा.

वर्मा साहेब,एह दलीलन के छोड़ीं, पहिले अपना क्लाइंट के बेल तअ करा के देखीं.ओकरा बाद हम तोहारा के दोस्त ना गुरु मान जाइब. ”

“  एगो महिला के झूठ बयान के सिवा ठाकुर साहेब  तोहारा पास का बा? अक्लमंदी एहीमें बा कि दुनू पछ के समझौता करा दीं. मनोरमा देवी के  जीवन ओकरा  अपाहिज मरद के साथे मजे में कट जाई” केस लड़े से पहिलही हार मान के कल्लुआ के वकील पीएन वर्मा आपन सुझाव रखलें.

“ वर्मा साहेब, समझौता करावे के अतना जल्दी काहे बाटे, पहिले ज़मानत कराके

अपना  क्लाइंट के जेल से बाहर तअ निकालीं.”  मनोरमा के वकील

पीएन वर्मा के चुनौती देत दहडनी .

“  हमरा क्लाइंट के तरफ से समझौता के प्रस्ताव आइल बा एहीसे कहतानी .”

“ आर्डर आर्डर…” जज बी बेहरा ने हथौड़ा ठकठकाते हुए कहा,

“अगर समझौता कराना है तो अदालत से बाहर मसौदा तय करें. जमानत कराना है तो आरोप प्रत्यारोप अदालत के लिए छोड़ दें. आज की कार्रवाई समाप्त की जाती है.”

अतना बोलके जज बी बेहरा अपना सीट से उठ गईनीं.

अगला तारीख पर कल्लुआ के वकील अंडा बेचने वाली महिला मनोरमा के अधिवक्ता राम नरेश ठाकुर से उनुका सिरिस्ता में मिललें आ दुनू पछ  में समझौता करावे के निहोरा कइलें.

“50 लाख में समझौता करा दीं, हमार क्लाइंट तइयार बा.”  मनोरमा

के अधिवक्ता ठाकुर साहेब जवाब  दिहलें.

 

“ई राशि बहुते  जादा हो रहल बा, हमरा हिसाब से 25 लाख होखेके चाहीं.” अतना बोलके अधिवक्ता पीएन वर्मा  टोह लिहलें आ कहलें,

” कल्लुआ के जेल जाए के बाद से ओकर कारोबार काफी प्रभावित भइल बाटे. ओकर  आर्थिक स्थिति आउर बिगड़ रहल बाटे.  25 लाख रुपिआ नकद लेके मामला के

रफा दफा करा दिहीं ठाकुर साहेब.”

“वकील साहेब,  क्लाइंट के आर्थिक स्थिति  भापीए के  हम दु करोड़ के मामला केवल 50 लाख में तय कर दिहनीं , ताकि दुनू पछ के मान सम्मान रह जाव.”

” एकरा बादो ठाकुर साहेब,50 लाख के राशि हमरा क्लाइंट के अवकात से जादा बा “.

“वकील साहेब, भूल रहल बानी कि निचली अदालतो में एगो मुकदमा कल्लुआ आ ओकरा संघतियन पर चल रहल बाटे , जवन अंडा बेचे वाली महिला के घर में लूट पाट आ ओकरा मरद के पिटाई के संबंध में बा. ओह घटना में गोड़ हाथ टूट जाए से मनोरमा के मरद अपाहिज हो गइल बा. आखिर मनोरमा के कमासुत पति निठल्ला घर

में बइठल बा, केकरा  कारन ? पइसा के अभाव में मनोरमा के  21 साल के बेटी

कुंआरे बइठल बिया . घर के चौखट लांघ के मनोरमा आज‌ रोड पर

अंडा बेचे के मजबूर बिया. एकर  ज़िम्मेवार के बा?आपन पारिवारिक दशा आउर  आर्थिक साख बचावे खातिर मनोरमा आज जनावर बन गईल  बिया, तबे कल्लुआ जइसन पेशागत अपराधी पर गैंगरेप के मामला दर्ज करवलस. अगर केस ना  कराइत त का करींत ? बोलीं वकील साहेब!”

“ओह! हम तअ एह केस से एकदमे अनजान रहीं ठाकुर साहेब. रउआ तअ  हमरा के तर्कहीन कर दिहनीं. अब 50 लाख पर समझौता पक्का हो गइल.” अधिवक्ता पीएन वर्मा समझौता पिटिशन पर आपन दस्तखत करत बोलल़ें आ

प्रसन्नचित्त भाव से ठाकुर साहेब से आपन हाथ मिलावलें.

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-जनकदेव जनक

लिलोरीपथरा सब्जी बगान,

झरिया, धनबाद, झारखंड.

पिन कोड-828111,

मो-9431730244.

ईमेल-jdjanak@gmail.com

 

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