बदरिया बरसे

आइल बा बरसात संवरिया

बदरिया बरसे गाँवे गाँव।

 

धानन के खेतन में बाजे

रुन झुन पाँवें पाँव। बदरिया बरसे…

 

झूमत झुरकल बा पुरवइया

कउवो कांवे कांव। बदरिया बरसे…

 

बंसवरिया में बंसुरी के धुन

चर मर छाँवे छाँव। बदरिया बरसे…

 

पीपर पात मगन मन डोले

बदरो धूप आ छाँव। बदरिया बरसे…

 

साँझ सुहानी मनवा मोहे

चुरमुन चांवे चांव। बदरिया बरसे…

 

मूल रचना- हीरा लाल द्विवेदी

भोजपुरी भावानुवाद – जे पी द्विवेदी

 

 

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