टूटल क्रम के जोड़े के कवायद : स्मृति कवि सम्मेलन सम्पन्न भइल

विश्व भोजपुरी सम्मेलन गाजियाबाद इकाई के द्वारा आयोजित ‘ स्मृति कवि सम्मेलन आ सम्मान समारोह’ अध्यक्ष मनोज तिवारी आ संयोजक महासचिव जे पी द्विवेदी क परयास सफलता का संगे धरती पर उतरल। कार्यक्रम कई गणमान्य लोगन के सम्मानित काइल गइल। स्मृति कवि सम्मेलन  में कुल 11 गो कवि लोग शिरकत कइलें। कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत दुबे जी आ मुख्य अतिथि  श्रीमती मनु लक्ष्मी मिश्रा  रहलें । कार्यक्रम दू सत्र में रहे । पहिलका सत्र के संचालन इकाई अध्यक्ष मनोज तिवारी जी आ दोसरका सत्र…

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भोजपुरी के लाल – लाल बिहारी लाल

सोनू गुप्ता। नई दिल्ली। भोजपुरी के माटी बिहार के सारण(छपरा)जिला के गांव आ पोस्ट भाथा सोनहो में 10  अक्टूबर,1974 के एगो साधारण शिक्षक परिवार में लाल बिहारी गुप्ता “लाल” के जन्म भइल। श्री  लाल की सुरुआती शिक्षा-दीक्षा गांव के लगही प्राथमिक आ माध्यमिक विद्यालय में भइल। शिक्षा के बाद श्री लाल नौकरी  के तलाश में दिल्ली अइले आ 1995 में भारत सरकार के पर्यावरण आ वन मंत्रालय में नौकरी लाग गईल। श्री लाल नोकरी में पद्दोन्नति के बाद साल 2007 से वाणिज्य आ उद्योग मंत्रालय,नई दिल्ली के औद्योगिक  नीति आ संवर्धन विभाग में कार्यरत बानी। श्री लाल  के शुरु से ही साहित्य में…

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गीतकार डाॅ.गोरख प्रसाद मस्ताना आ उनकर गीत-कविता संग्रह-‘आस- अँजोर’

पटना दूरदर्शन में एही साल 26 जनवरी के बिहान भइला एगो भोजपुरी कवि-गोष्ठी के रिकार्डिंग रहे। हम तनिका लेट पहुँचल रहनीं ।पहिले से पता ना रहे कि आउर संगी कवि सभे में के-के बा बाकिर मिजाजे हरिअरा गइल जब देखनीं कि स्टेज पर चढ़े के बेरा दू गो नामी भोजपुरी गीतकार अग्रज -डाॅ.गोरख प्रसाद मस्ताना आ कुमार विरल जी साथे बानीं।ओह गोष्ठी के संचालक रहनीं वरिष्ठ कवि भगवती प्रसाद द्विवेदी जी।भोजपुरी में जादेतर मुक्त छंद के समकालीन भाव-बोध से जुड़ल कविते लिखल हम चाहीले बाकिर दू गो गीतकारन के साथे हमहूँ…

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‘हो ना हो ‘ के कविता

जहाँ जीवन में चारू ओर अझुरहट आ तनावे होखे,मनई-मन में अकुलहट आ उबियाहटे भरल होखे ,उतावलापन, उबाल आ बेचैनिये समाइल होखे तब अइसनका समय में कविता में संघर्ष आ प्रतिरोध के स्वर स्वाभाविक बा।कविता मानव-मन के भावन के उच्छ्वास आ ओकरा माथा में उमड़त-घुमड़त सोच आ विचारने के कलात्मक अभिव्यक्ति होले।इहे कारन बा कि आज हर भाषा के कवितन में मौजूदा समय आ समाज के विसंगतियन, विद्रूपता आ चुनौतियन के बहुत मुखर वर्णन देखे के मिलत बा।लोकभाषा भोजपुरियो एकर अपवाद नइखे।देश,समय आ समाज के साथे डेग में डेग मिलावत चलेवाला…

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