पुस्तक- निमिया रे करुआइनि विधा-उपन्यास / उपन्यासकार – मीनाधर पाठक प्रकाशन वर्ष-2024 /प्रकाशन संस्थान – सर्वभाषा प्रकाशन , नई दिल्ली -59 ‘निमिया रे करुआइनि’ स्त्री संवेदना के उनुका मन के मोताबिक आ उनुका स्थिति का हिसाब से गढ़ाइल बा। कथाकार अपना कथा-विन्यास के स्मृतियन से जोड़त रोचक बनावे में कवनों कोर कसर नइखे छोड़ले। एह उपन्यास के नायिका सुरसतिया (सुरसती) के करुणा आ दुःख भरल जिनगी के जतरा जवन मन,मेहनत आ देह के शोषण से होके गुजरल बा , ओकर नीमन से शब्द चित्र खिंचाइल बा। एही उपन्यास के…
Read MoreDay: August 1, 2025
भोजपुरी कविता में रचल – बसल रस के मिठास से सराबोर एगो मजिगर पोथी
भोजपुरी कविता के इतिहास बहुत पुरान बा। बाबा गोरखनाथ आ संत कबीर के कवित के थाती त भोजपुरी कविता में बड़ले बा साथे ओह काल से लेके आजु तक भोजपुरी कविता समय के साथ कदम ताल करत कविता के हर विधा में आपन जोड़दार उपस्थिति दर्ज कइले बा। महेंद्र मिश्र, भिखारी ठाकुर, रघुवीर नारायण सिंह, प्राचार्य मंनोरंजन, महेंद्र शास्त्री से होत आजु तक के भोजपुरी कविता के यात्रा अपना भीतर बहुत कुछ समेटले बा जेकरा पर हमनीं भोजपुरिया के गुमान बा। भोजपुरी काव्य में का नइखे? राष्ट्र गीत, सिंगार गीत,…
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