बरसि गइलैं बदरा

बरसि गइलैं बदरा,आजु मोरी गुंइयां।
मनवा जुड़ा गइलै,महकल ई भुइयां।।
आजु मोरी गुंइयां,बरसि गइलैं बदरा।।
आजु मोरी गुंइयां,बरसि……
खेतवा सिवनवा में भरि गइलैं पानी,
पोखरी सुनावे ले हंसि के कहानी,
तलवा के जइसे,छुवल चाहे कुंइयाँ।
आजु मोरी गुंइयां,बरसि……
पेड़वन के फुंनुगी पे नाचल बा बुनियाँ,
पात पात झूमल बा चहँकल टहनियाँ,
मछरी तलइया में,मारें कलइया।
आजु मोरी गुंइयां,बरसि……
गउवांं किसनवां के हियरा जुड़ायल,
खेतीबारी रोपनी कै,मैसम बा आयल,
उतरल सवनवाँ,करी पार नइया।
  • लालबहादुर चौरसिया ‘लाल’
आजमगढ़

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