वसंत अइले नियरा

हरसेला हहरत हियरा हो रामा,
वसंत अइले नियरा।।

मन में मदन, तन ले ला अंगड़ाई,
अलसी के फूल देख आलस पराई,
पीपर-पात लागल तेज सरसे,
अमवा मोजरीया से मकरंद बरसे,
पिहू-पिहू गावेला पपीहरा हो रामा,
वसंत अइले नियरा।।

मटरा के छिमिया के बढ़ल रखवारी,
गेहूँआ के पाँव भइल बलीया से भारी,
नखरा नजर आवे नजरी के कोर में,
मन करे हमहूँ बन्हाई प्रेम-डोर में,
जोहेला जोगिनीया जियरा हो रामा,
वसंत अइले नियरा।।

पिया से पिरितिया के रीतिया निभाएब,
कवनो बिपत आयी तबो मुस्कुराएब,
पोरे-पोर रंग लेब नेहिया के रंग में,
कलपत करेजवा जुड़ाई उनके संग में,
हियरा में बारि लेहनी दीयरा हो रामा,
वसंत अइले नियरा।।

  • केशव मोहन पाण्डेय

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