जेब कट गइल थाने में

एक दिन गइली रपट लिखावे , घबड़ाइल कुछ माने में ।
का बतलाईं ये भइया मोर जेब कट गइल थाने में ।

मुंशी अउर दीवान भी रहलन , थाना के परधान भी रहलन ।
दु एक लोग महान भी रहलन,कुछ मुजलिम मेहमान भी रहलन
आँख मुदाइल भागल अइलीं , गइलीं चाय दुकाने में ।
का बतलाईं ये भइया मोर जेब कट गइल थाने में ।

रह गइलीं बुड़त उतिरात , कहीं त कहले बिगड़े बात ।
देखते देखत अस उत्पात , ओरी क पानी बड़ेरी प जात ।
चाय पियइलीं पान के गइलीं , अगबै चुन्ना पाने में ।
का बतलाईं ये भइया मोर जेब कट गइल थाने में ।

कहीं बने तल्ला प तल्ला , कहीं भूख से रोवैं लल्ला ।
छाती फाटी होय दुपल्ला , रामराज क होला हल्ला ।
होत रहल भाषण सुनलीं , नेता क नए तराने में ।
का बतलाईं ये भइया मोर जेब कट गइल थाने में ।

नमो नमो हे देवता दानी , राउर सब क अकथ कहानी ।
लोग कहैं कबीरा क बानी , बरसे कम्बल भींजै पानी ।
हम बावला गाँव मे रहलीं , खेते में खरिहाने में ।
का बतलाईं ये भइया मोर जेब कट गइल थाने में ।

  •  रामजियावन दास “बावला”

 

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