‘आखर-आखर गीत’ आ भोजपुरिहा तड़का

हमरा संगे रऊओं सब के मन खुश होई कि हमनी सब मिलि-जुलि के भोजपुरी भाषा के कवि जयशंकर प्रसाद द्विवेदी जी के कविता संग्रह “आखर-आखर गीत” में डुबकी लगावे वाला बानीजा। साहित्य कवनों भाषा में होखे,ओह में रस होला। रस होई,त तनी-मनी त होई ना,साहित्य के रस के औकात कवनो नदी लेखा होला,आ सांच कहीं त समुन्दर लेखा होला। समुन्दर में डुबकी लगावल सहज होला? ना होला। तबो लोग लागल रहेला आ मोती-मानिक निकालत रहेला। भोजपुरी में लिखला-पढ़ला के लेके खूब चर्चा होत आइल बा। बाकिर लोग तनी दबल-दबल लेखा बतियावेला।…

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अँगनइया लोटे बबुआ

अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥2॥ लेहिंजा बलाइया हो लेहिंजा बलाइया अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया।।   अँगना भर, धुरिये फइलावेला मुँहे भरिके, देही लगावेला धुरिये से पोत लेला दूनों कलइया। हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया। अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥   पवते मोका, भागेला दुअरे सोचत आवे ना, केहू नियरे धउरी धउरी ईया उठावेलीं कन्हइया। हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया। अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥   देखि देखि बाबा, उचकि निहारे उहो न रहि पावें, बेगर दुलारे बोली बोली बबुआ के बाबू…

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