भोजपुरी साहित्य के आचार्य कवि धरीक्षण मिश्र साधारण जन समुदाय क असाधारण कवि बाड़न । इनकर व्यक्तित्व जेतने साधारण लेखनी ओतने असाधारण अउर विलक्षण । मिश्र जी अपना समय क यथार्थ दृष्टि राखे वाला अइसन सजग रचनाकार हउवन , जे जनता के दुख दर्द आपन लेखनी क विषय बनवलन । इनकर रचना साहित्य पढ़ के अइसन लगेला जइसे ई राजनीति अउर सामाजिक जीवन क कोना – कोना झांक लेले रहलन । हिन्दी क परसिद्ध व्यंगकार कवि नागार्जुन अउर धरीक्षण मिश्र एक ही समय क रचनाकार हउवन। आपन मातृभाषा मैथिली खाति…
Read MoreDay: February 8, 2022
एक ठे बनारस इहो ह गुरु
‘का गुरु आज ई कुल चमचम ,दमदम काँहे खातिर हो ,केहू आवत ह का ‘? प्रश्न पूछने वाला दतुअन करता लगभग चार फुट ऊँची चारदीवारी पर बैठा आने -जाने वालों से पूछ रहा था। ”काहें मोदी आवत हउअन ,तोहके पता ना ह ?” पता ना ह ‘ ऐसे गुर्राते हुए बोला गया कि यदि पूछने वाला पहुँच में होता तो दो तीन लप्पड़ कही गए नहीं थे। पर पूछने वाला भी अजब ढीठ ,तुनक कर बोला -“जा जा ढेर गरमा मत….. .” कहता हुआ वह ‘ कोई नृप होहुँ हमहि…
Read Moreगउए हई
गउए हई सास, छोड़स ना रास । सिधा देस जोख के सबसे पहिले खास । ससुरो अलबेला, करस ना झमेला । घरनी से पूछी, कदमवा उठेला । मरद भकलोल, बुझाय ना झोल। माई के देखते त् सिआ जाले लोल । कस के लंगोटा, धईनी झोंटा । बिग देली परेह, देहनी दू सोटा । संगहीं खटेली, पंजरो सटेली । कतनो हटाईं, तबो ना हटेली । खींस बा खलास, ससुरो मुस्कास । मरदो का चानी, भइली अब दास । बुझऽ जनी भकोल, लेइ बेटा के मोल…
Read Moreबड़की माई
ए बबुआ काल्ह जवन बाजारी से चीनी ले आइल रहस नु ओहमें हतना कम बा , बड़की माई तपेसर के हाथ में एगो झिटिका पकड़ा के कहली । बड़की माई त का सोचतारू हम चिनिया खा गइल बानी , अरे ना रे मटिलागाना बनिया नु डंडी मरले बा जाके ओकरा से देखइहे आगे से बरोबर दीही। आ फिर ओसहीं हो जाई त का करबु । ना नु होई ओकरा से लेबे से पहिले इयाद दिला दिहे कि पिछला बेर कम देले रह एह बेर ठीक से जोखिह । फिर दोसरा…
Read Moreफिर आया माई मोरे दुअरिया
मां, माई मे त पुरी दूनिया समाहित रहेले, माई से बड़ कुछ ना । जनम देवे वाली पालन पोषण करे वाली माइए होनी। शास्त्रन में माई के उत्पत्ति मैं तीन कारण बतावल गयल ह पहला इच्छा दूसरा शक्ति अउर तीसर ह क्रिया। माई से अलग कोई भी ए तीनों चीज शामिल ना कर सके ना। इच्छा शक्ति अउर क्रिया क नाम ही जीवन ह । शारदीय नवरातर में आदि शक्ति श्री दुर्गा भवानी के अंश अवतार का रूप मे महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती इ तीनों शक्तियन के पूजा का विधान शास्त्रन…
Read Moreएहू साल नहके
चम्पा-चमेली फूल फूलि-फूलि महके गइल सखी सावन एहू साल नहके। गांव आ नगर घूमे मोरा पांखे बदरी कइसे उड़ाईं ना – उड़ेले मोर चुनरी एक ओर भींजे जाले एक ओर भरके।गइल0 गमकेले धूर जइसे घीव-गूर मीस के इमिर-झिमिर देव ओरिन बरीस के बूंद-बूंद तन प’ हवन अस लहके।गइल0 आंख मोर सिकरी दुअरिया प’ लटके कनवां में गीतिया जनाय बासी टटके मन मोर मटिही देवाल अस भसके।गइल0 कवना लय चूरिया कवन लय कंगना कवना लय गावेला सावन मोर सपना कवना लय देंहिया कदम्ब अस लचके।गइल0 आनन्द…
Read Moreअट्ठारह ले बरिस जाई बदरा, मनवा हो तनी धीर धरा…
“ये गुरु !बड़ा न उमस ह हो।चुरकी क आग अब दिमाग ले चढ़ आइल ह ।जनात ह परान चल जाई ।” टप-टप चुयत पसेना पोछत चेला के मय गमछी भींज के बोथा हो गइल। ” अट्ठारह ले कुल ठीक हो जाई।परेशान मत होखा हो लाल।” मुस्कियात -पान चबात गुरु चेला के निसफिकिर रहे क सलाह दिहलन। “अबही आधा घंटा ले एहि गरमी में जाम में फंसल रहलीं ह गुरदेव।लागत रहल ह कि पियासन परान चल जाई।अबहिं चार महीना पहिलही सड़क बनवले रहलन ह सं।छन भर के टिपिर-टिपिर में कुल सिरमिट-गिट्टी धोआय…
Read Moreआपन बात
साहित्य के चउखट पर ठाढ़ ऊँट कवने करवट बइठ जाई , आज के जमाना मे बूझल तनि टेंढ ह । कब के टोनहिन नीयर भुनभुनाए लागी आ कब के टोटका मार के पराय जाई ,पते ना चले । आजु के जिनगी मे कवनों बात के ठीहा ठेकाना दमगर देखाई देही , भरोष से कहलों ना जा सके । एगो समय रहे जब मनई समूह मे रहत रहे , अलग समूह – अलग भाषा –बोली , रीत – नित सभे कुछ कबीला के हिसाब से रहे । ओह कबीलन मे अपने…
Read Moreहँसि हँसि अँजुरी भरे !
रतिया झरेले जलबुनियाँ, फजीरे बनि झालर, झरे फेरू उतरेले भुइयाँ किरिनियाँ सरेहिया मे मोती चरे ! सिहरेला तन , मन बिहरे बेयरिया से पात हिले रात सितिया नहाइल कलियन क , रहि रहि ओठ खुले पंखुरिन अँटकल पनिया चुवत खानी दिप-दिप बरे ! चह-चह चहकत/ चिरइयन से सगरों जवार जगे- सुनि, अँगना से दुवरा ले तानल मन के सितार बजे छउंकत बोले बछरुआ मुंडेरवा पर कागा ररे ! सुति-उठि धवरेले नन्हकी उघारे गोड़े दादी धरे बुला एही रे नेहे हरसिंगरवा दुवरवा पर रोजे झरे बुची, चुनि-चुनि बीनेले…
Read Moreप्रगतिशीलता के नाँव पर
भाषा सब अइसन भोजपुरी साहित्य में बेसी कविते लिखल जा रहल बा. दोसर-दोसर विधा में लिखे वाला लोग में शायदे केहू अइसन होई, जे कविता ना लिखत होई. एही से कविता के जरिये भोजपुरी में साहित्य लेखन के दशा-दिशा, प्रवृति-प्रकृति के जानल-समझल जा सकत बा. साहित्य आ साहित्य के शक्ति के बारे में एगो श्लोक भरतमुनि कहले बाड़े – नरत्वं दुर्लभं लोके विद्वत्वं तत्र दुर्लभम्. कवित्वं दुर्लभं तत्र शक्तित्वं तत्र दुर्लभाः . कविता आ काव्य शक्ति के जे हाल होखे भोजपुरी में कवि आ लेखक के भरमार बा. एही भरमार…
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