आ गइल बा प्रेम के दिन, दिल भइल कचनार अब, फेर जनि आपन नजरिया, नैन कर तू चार अब। खेत में सरसों फुलाइल, रंग हरदी के लगल, लाज से धरती लजाइल, हो गइल बा प्यार अब। प्रीत-चुनरी ओढ़ के जे, डूब गइली प्यार में, गीत मस्ती के पवनवा, देत बा उपहार अब। आम के मोजर सुगंधी, दे गइल चहुँ ओर में, कूक कोयल के सुनींजा, बाग में गुंजार अब। राग सगरो ‘गूँज’ गइले, नेह के अनुराग के, छा गइल देखीं गुलाबी, फाग के झंकार अब। गीता चौबे गूँज राँची…
Read MoreCategory: भोजपुरी गजल
गजल
जादू बा सरकार , रउरी ऑखिन में, डूबल बा संसार , रउरी ऑखिन में, निरमल ताले कमल फुलाइल लागता, लाल- लाल चटकार , रउरी ऑखिन में। अमिय, हलाहल, मदिरा के प्याली हउवे, जिअल, मुअल, मॅझधार , रउरी ऑखिन में। उषा के लाली कि बारल दुइ दियरा, जगमग जोति पथार , रउरी ऑखिन में। सूरज, चंदा जोति जुगावे रउरे से, अइसन बा उजियार , रउरी ऑखिन में। छुरी, कटारी, तोप, मिसाइल, एटम बम, गजबे बा हथियार , रउरी ऑखिन में। बहत रहेला ऑसू अक्सर सुख दु:ख में, काहे पानी खार ,…
Read Moreगजल
अपन लड़की सयान हो गइल , रात जागल बिहान हो गइल । आज माई बेमार का भइल , सून घर कऽ दलान हो गइल । हमरे सीना में लागल दरद, छुटकी लड़की हरान हो गइल । भाई -भाई में नाहीं पटल आध-आधा चुहान हो गइल । जब सहारा न कोई रहल, तब बुढा़ई जवान हो गइल । कान बेटा कऽ भरलस बहू , कुल कमाई जियान हो गइल । अपने चीनी कऽ सून के बखान गुड़ के छाती उतान हो गइल । …
Read Moreगजल
बात जब बेबात के तब बात का? कटल जड़ तऽ भला बांची पात का? ऊ मोटाइल बा रहस्ये ई अभी, का पता ऊ रहे छिपके खात का? छली कपटी जब होई दुश्मन होई, मीत ऊ कइसे होई? हित-नात का? कथ्थ आ करनी में जेकरा भेद बा, ठीक केवन वंश के भा जात का? झूठ के महिमा रही दुइये घरी, एह से बेसी हो सकी औकात का? अशोक कुमार तिवारी
Read Moreगजल
ई बीमारी बड़का भारी। सनमुख डंणवत, पीछे गारी।। काटे भीतर घात लगाके, राम राम ई कइसन यारी? कवन भरोसा केन्ने काटी? जेहके भइल सुभाव दुधारी। ढेला भर औकात न जेकर, ऊहो मुँह से लादे लारी। छेड़के ओके नीक न कइलऽ, बहुत पड़ी तोहरा के भारी। कबहूँ जे सोझा आ गइलऽ, सात पुश्त ले ऊहो तारी। निकलल बाटे फन त काढ़ी? राखल बाटे लाठी – कारी। अशोक कुमार तिवारी
Read Moreगजल
पहिले रSहे सरल आ सहज आदमी आज नफरत से बाटे भराल आदमी ॥ गीत जिनगी के गावत – सुनावत रहे अब तs जिनगी के पीछे पर्ल आदमी ॥ आदमी जे रहित तs करित कुछ सही आदमी के जगह बा मरल आदमी ॥ अपना वइभव के तिल भर खुसी ना भइल देख अनकर खुसी के जरल आदमी ॥ राण – बेवा भइल अब त इंसानियत माँग मे पाप कोइला दरल आदमी ॥ कब ले ढोइत वजन नीति के ज्ञान के फायदा जेने देखलस ढरल आदमी ॥…
Read Moreगजल
बचपन के हमरा याद के दरपन कहाँ गइल माई रे, अपना घर के ऊ आँगन कहाँ गइल खुशबू भरल सनेह के उपवन कहाँ गइल भउजी हो, तहरा गाँव के मधुवन कहाँ गइल खुलके मिले-जुले के लकम अब त ना रहल विश्वास, नेह, प्रेम-भरल मन कहाँ गइल हर बात पर जे रोज कहे दोस्त हम हईं हमके डुबाके आज ऊ आपन कहाँ गइल बरिसत रहे जे आँख से हमरा बदे कबो आखिर ऊ इन्तजार के सावन कहाँ गइल मनोज भावुक
Read Moreगजल
सहते सहते सहार हो जाई दुखवा बढ़ि के पार हो जाई तनी साजल करीं तरीका से ई जवानी उलार हो जाई छोड़s रहे दs बतिया जाय दs ना तs दुनिया जितार हो जाई छोड़s नफरत के ,प्यार का राहे सभे केहू तोहार हो जाई तनी माटी नरम तू होखे द s सारा दुनिया से प्यार हो जाई सहजे-सहजे केहू से मिलs तू ना तs मिललो बेकार हो जाई ◆◆◆ कारीअंखिया में कजरा के धार सजनी चले छतिया पर हमरे कटार सजनी दूनू…
Read Moreगजल
मुहब्बत खेल ह अइसन कि हारो जीत लागेला भुला जाला सभे कुछ आदमी , जब प्रीत लागेला अगर जो प्यार मे मिल जा त माँड़ो-भात खा लीले मगर जो भाव ना होखे , मिठाई तीत लागेला । पड़े जब डांट बाबू के , छिपीं माई के कोरा मे अजी ई बात बचपन के मधुर संगीत लागेला कबों आपन ना आपन हो सकल मतलब का दुनिया मे डुबावत नाव उहे बा , जे आपन हीत लागेला कहानी के तरे पूरा करीं, रउवे बताईं ना बनाईं के तारे…
Read Moreगजल
कम में गुजर-बसर रखिहऽ! घर के अपना, घर रखिहऽ! मुश्किल-दिन जब भी आवे दिल पर तूँ पाथर रखिहऽ. जब नफरत उफने सोझा तूँ ढाई आखर रखिहऽ. आपन बनि के जे आवे सब पर खास नजर रखिहऽ. दर्द न छलके ओठन पर हियरा के भीतर रखिहऽ. एह करिखाइल नगरी में दामन तूँ ऊजर रखिहऽ. डॉ अशोक द्विवेदी
Read More