गउए हई सास, छोड़स ना रास । सिधा देस जोख के सबसे पहिले खास । ससुरो अलबेला, करस ना झमेला । घरनी से पूछी, कदमवा उठेला । मरद भकलोल, बुझाय ना झोल। माई के देखते त् सिआ जाले लोल । कस के लंगोटा, धईनी झोंटा । बिग देली परेह, देहनी दू सोटा । संगहीं खटेली, पंजरो सटेली । कतनो हटाईं, तबो ना हटेली । खींस बा खलास, ससुरो मुस्कास । मरदो का चानी, भइली अब दास । बुझऽ जनी भकोल, लेइ बेटा के मोल…
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