पवन झकझोरे बालम मोरे। नन्ही नन्ही पनिया के बुनिया पलकिया पर ढोय ढोय बदरी बदन प‘ गिरावेले कोंवर अंग टोय टोय हँसले रहउँ ना बरेला गुदरउँना सरब अंग बोरे बालम मोरे। नासा भँहु तानेला अकसवा में बोरो लागे जरत बुतात बा धुआँ धुआँ सोरहो सिंगारवा कि बूँन बूँन अँसुआ झुरात बा लोर झरे अँखिया बरवनी के पँखिया हिलेले कोरे कोरे बालम मोरे। सभ्यता समर काटे चिउटी देखत तोर लाजहीन दुनिया कहीं उड़े पल्ला कहीं अँचरा बदरिया के नीक ना रहनिया चम चम बिजुरी कमलदल अँगुरी फोरेले पोरे पोरे बालम मोरे।…
Read MoreTag: आनन्द संधिदूत
गीत
हम गइलीं चउकठि के लवट अइलीं गांव । काली आ कमइछा बाबा बरम्ह के ठांव। हम—— केकरा से बोलतीं आ केके देख हँसतीं कवना बिधि जियरा के गम-दुख अंकतीं सकदम अरथ सबद फइलांव। हम—- धनि हो नहर तूं बांगर धनखरलू जहाँ उड़े धूर तहाँ कमल उगवलू बाकी खोजले न मिले बाग बड़की के छांव। हम— थनि भूमि भूखले न हमरा के रखलू मन के पसन्द तवन कवर खियवलू मन्दिरो से ढेर तोर खँड़हर नांव। हम—- कलम खबरदार झूठ जदी बोललू माँगि के कितबिया उधार तुहूं पढ़लू अइसना सहिरदयी के हम…
Read Moreगीत
दिन धोइ साफ करे नभ इसलेटिया तारा गीत लिखि चान करे दसखतिया। तारा के पढ़ी तरई हो करुन कहानियाँ लिपि अनजान मुँहे नाही बा जबनियाँ देखे के बा खाली ओरि अन्त हीन गीतिया ।तारा लोग कहे लोक यह आँख का सिवान में छोट बड़ निगिचा आ दूर आसमान में हम कहीं नाहीं ई करेजवा के बतिया।तारा जिन ताकअ तरई आ चान ई बेमारी ह हम कहीं देखे द सुकून के इयारी ह उठत बनत नाहीं लागे असकतिया। तारा आनन्द संधिदूत
Read Moreएहू साल नहके
चम्पा-चमेली फूल फूलि-फूलि महके गइल सखी सावन एहू साल नहके। गांव आ नगर घूमे मोरा पांखे बदरी कइसे उड़ाईं ना – उड़ेले मोर चुनरी एक ओर भींजे जाले एक ओर भरके।गइल0 गमकेले धूर जइसे घीव-गूर मीस के इमिर-झिमिर देव ओरिन बरीस के बूंद-बूंद तन प’ हवन अस लहके।गइल0 आंख मोर सिकरी दुअरिया प’ लटके कनवां में गीतिया जनाय बासी टटके मन मोर मटिही देवाल अस भसके।गइल0 कवना लय चूरिया कवन लय कंगना कवना लय गावेला सावन मोर सपना कवना लय देंहिया कदम्ब अस लचके।गइल0 आनन्द…
Read More