बोलल चिरइया मड़इया का उपराँ सुनि सुनि उठलें किसान देखीं धीरे धीरे- धरती पर उतरल बिहान। पुरुवा पवनवाँ पोर पोर भीने बछरू बन्हल डिंड़िआय चमकत चनवाँ कहवाँ लुकइलें गइलीं तरइयो हेराय। मठ मन्दिर से भजनियाँ सुनाले रेडियो में जोर से अजान देखीं धीरे धीरे – धरती पर उतरल बिहान। बसिया परल रातरानी के महकिया पनघट के जल जोहे बाट पोखरा के भीटा बतिआवे डहरिया से हँसे लगे नदिया के घाट। हेंईं हेंईं धोवेला धोबिनियाँ के सजना साफ साफ लउके सिवान देखीं धीरे धीरे- धरती पर उतरल बिहान। सोनवाँ का पलकी…
Read MoreCategory: भोजपुरी गीत
मसाने में
शिव भोले हो नाथ, शिव भोले हो नाथ चलि अवता दिल्ली मसाने में। अवता त देखता दिल्ली के हालत दिल्ली के हालत हो दिल्ली के हालत सभे जूटल दारू पचाने में । शिव भोले हो……. अवता त देखता नेतन के हालत नेतन के हालत हो नेतन के हालत सभे जूटल ई डी से जान बचाने में । शिव भोले हो……. अवता त देखता पपुआ के हालत पपुआ के हालत हो पपुआ के हालत देखS जूटल, देस क इजत भसाने में । शिव भोले हो……. अवता त…
Read Moreगीत
महुआ मन महँकावे, पपीहा गीत सुनावे, भौंरा रोजो आवे लागल अंगनवा में। कवन टोना कइलू अपना नयनवा से।। पुरुवा गावे लाचारी, चिहुके अमवा के बारी, बेरा बढ़-बढ़ के बोले, मन एने-ओने डोले, सिहरे सगरो सिवनवा शरमवा से।। अचके बढ़ जाला चाल, सपना सजेला बेहाल, सभे करे अब ठिठोली, कोइलर बोले ले कुबोली, हियरा हरषे ला जइसे फगुनवा में।। खाली चाहीं ना सिंगार, साथे चाहीं संस्कार, प्रेम पूजा के थाल, बाकी सब माया-जाल, लोग कहे चाहें कुछू जहनवा में।। – केशव मोहन पाण्डेय
Read Moreबाढ़ का कहर
थमें ना लहरिया कइसे निकली बहरिया। लेवे ना किसनवन के केहू अब खबरिया।। आ○1 चुनउआ से पहिले वादा रहे बच बचाव के..2 अब जानी गइनी इ सब होता खाली नाव के..2 तकला पर आवे सगरो पनीये नजरिया…2 लेवे ना किसनवन के केहू अब खबरिया।। आ○2 मिले आश्वासन खाली होत नाही कुछ बा..2 नेता लोग के बतिया भईल कुकुर के पूंछ बा..2 डूब गईल पाक्का अउरी फूस के अटरिया..2 लेवे ना किसनवन के केहू अब खबरिया।। आ○3 बाढ जब आवे तबे होला रोज दौड़ा..2 जगह जगह नेता लोग के लउके जामौडा..2…
Read Moreघर घर में रावण बा
बनल आदमी आदमी के हीं मुश्किल। घर-घर में रावण बा मिले ना केहू संगदिल।। बनल आदमी………………………… आ○1 माई-बाप-भाई केहू लउकत ना खास बा..2 केहू के केहू पर ना तनिको विश्वास बा..2 गईल बा रुपइया देख सबका से हिल-मिल.. बनल आदमी………………………… आ○2 अखियां तरस गइल पावे ला सनेहिया..2 माटिए में मिल जाइ एक दिन इ देहिया..2 फिर काहें लोरवे से भरल रहे महफिल.. बनल आदमी………………………… आ○3 पाण्डेय आनंद से ना आगे लिखात बा..2 दानव बनल इहवा मानुष के जात बा..2 घुट-घुट के मरे नेक लोग इहवा तिल-तिल..2 बनल आदमी………………………… आनन्द कुमार…
Read Moreअँगनइया लोटे बबुआ
अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥2॥ लेहिंजा बलाइया हो लेहिंजा बलाइया अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया।। अँगना भर, धुरिये फइलावेला मुँहे भरिके, देही लगावेला धुरिये से पोत लेला दूनों कलइया। हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया। अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥ पवते मोका, भागेला दुअरे सोचत आवे ना, केहू नियरे धउरी धउरी ईया उठावेलीं कन्हइया। हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया। अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥ देखि देखि बाबा, उचकि निहारे उहो न रहि पावें, बेगर दुलारे बोली बोली बबुआ के बाबू…
Read Moreघरे-घर खुशियां मनाव,दीया खुशी के जलाव
घरे-घर खुशियां मनाव,दीया खुशी के जलाव घरे-घर खुशियां मनाव, बात अब ई फइलाव धरा बचावे खातिर बबुआ,अब त तू आगे आव अब ना छोड़ बम पटाखा, कीरिया आज उठाव दुखियन के गले लगाव… दीया खुशी के जलाव घरे-घर खुशियां मनाव………. ना खाएब ,मेवा मिठाई, ना खाएब बाजार के आपन घरे बनाएब आज,रोकब भ्रष्टाचार के बिजली के खूब बचाव… दीया खुशी के जलाव घरे-घर खुशियां मनाव……….. दीन दुखी गरीब के साथे, बाटंम खुशियां दू चार जेतना संभव होई भइया, देहब हम लार दुलार बूढवन के गले लगाव… दीया खुशी के जलाव…
Read Moreहमहूं आजु दरिद्दर खेदब
हमहूँ आजु दलिद्दर खेदब, घुमि घुमि सूप बजाइब हो।, कहियै कै सोवलि किस्मत बा, ओके आजु जगाइब हो।। सूप बजावत पुरखा लोगवा, बदहाली में मरि गइलैं, घुसुरल जवन दरिद्दर बइठल, हमरे माथे थरि गइलैं, पकरि के टेटा ओहि कुकुरे कै, गड़ही ले दउराइब हो।, कहियै कै सोवलि किस्मत बा, ओके आजु जगाइब हो।। जेकर नाँव अकाशे दउरे, केतना सूप बजउले होई, कउने जोजन से ऊ अपने, भगिया के चमकउले होई, भगै दरिद्दर हमरे घर से , जुगुती उहै लगाइब हो।, कहियै कै सोवलि किस्मत बा, ओके आजु जगाइब हो।। लालबहादुर…
Read Moreसोहर
घरवा में जनमेली बिटिया त , हिरीदा उमंग भरे हो। बबुनी तोहरा प सब कुछ नेछावर, सोहरियो सोहरि परे हो। बाबा खुशखबरी जे सुनले, धधाइ घरवा अइलन हो, बबुनी पगरी के पाग सोझ कइलन, मोछिया अइठी बोलेहो। गुरु जी के अबहीं बोलईबी, पतरा देखाइबि , ग्रह मिलवाइबि हो। बबुनी तुहीं मोरा कुल के सिंगार, सृजन मूलाधार हउ हो। सुनि सुनि अनध बधाव, जुटेले पुर गाँव, ले ले के उपहार नू हो। बबुनी तहके निहारे खातिर धरती, आकास लागे एक भइले हो। तहके पढ़ाईबि लिखाइबि , अकासे ले उठाइबि , दुनिया…
Read Moreनिमिया के पात पर
निमिया के पात पर सुतेली मयरिया,ए गुंइया। कइसे करीं हम पुजनियां,ए गुंइया।। धुपवा जराइ हम गइनीं जगावे,ए गुंइया। मइया का ना मन भावे, ए गुंइया।। गंगा जल छींटि छींटि,लगनी जगावे,ए गुंइया। मइया करो ना घुमावे,ए गुंइया।। अछत,चनन,छाक,गइनी चढ़ावे,ए गुंइया। मइया का ना इहो भावे,ए गुंइया।। मालिनि बोला के कहनीं,मलवा ले आवे,ए गुंइया। मइया मूड़ी ना उठावे,ए गुंइया।। पूआ-पूरी ले के गइनीं,भोगवा लगावे,ए गुंइया। मइया तबो ना लोभावे,ए गुंइया।। पुतवा बोला के कहनी,झुलुहा लगावे,ए गुंइया। मइया झट उठि आवे,ए गुंइया।। अनिल ओझा ‘नीरद’
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