बचपन के हमरा याद के दरपन कहाँ गइल माई रे, अपना घर के ऊ आँगन कहाँ गइल खुशबू भरल सनेह के उपवन कहाँ गइल भउजी हो, तहरा गाँव के मधुवन कहाँ गइल खुलके मिले-जुले के लकम अब त ना रहल विश्वास, नेह, प्रेम-भरल मन कहाँ गइल हर बात पर जे रोज कहे दोस्त हम हईं हमके डुबाके आज ऊ आपन कहाँ गइल बरिसत रहे जे आँख से हमरा बदे कबो आखिर ऊ इन्तजार के सावन कहाँ गइल मनोज भावुक
Read MoreCategory: भोजपुरी गजल
गजल
सहते सहते सहार हो जाई दुखवा बढ़ि के पार हो जाई तनी साजल करीं तरीका से ई जवानी उलार हो जाई छोड़s रहे दs बतिया जाय दs ना तs दुनिया जितार हो जाई छोड़s नफरत के ,प्यार का राहे सभे केहू तोहार हो जाई तनी माटी नरम तू होखे द s सारा दुनिया से प्यार हो जाई सहजे-सहजे केहू से मिलs तू ना तs मिललो बेकार हो जाई ◆◆◆ कारीअंखिया में कजरा के धार सजनी चले छतिया पर हमरे कटार सजनी दूनू…
Read Moreगजल
मुहब्बत खेल ह अइसन कि हारो जीत लागेला भुला जाला सभे कुछ आदमी , जब प्रीत लागेला अगर जो प्यार मे मिल जा त माँड़ो-भात खा लीले मगर जो भाव ना होखे , मिठाई तीत लागेला । पड़े जब डांट बाबू के , छिपीं माई के कोरा मे अजी ई बात बचपन के मधुर संगीत लागेला कबों आपन ना आपन हो सकल मतलब का दुनिया मे डुबावत नाव उहे बा , जे आपन हीत लागेला कहानी के तरे पूरा करीं, रउवे बताईं ना बनाईं के तारे…
Read Moreगजल
कम में गुजर-बसर रखिहऽ! घर के अपना, घर रखिहऽ! मुश्किल-दिन जब भी आवे दिल पर तूँ पाथर रखिहऽ. जब नफरत उफने सोझा तूँ ढाई आखर रखिहऽ. आपन बनि के जे आवे सब पर खास नजर रखिहऽ. दर्द न छलके ओठन पर हियरा के भीतर रखिहऽ. एह करिखाइल नगरी में दामन तूँ ऊजर रखिहऽ. डॉ अशोक द्विवेदी
Read Moreगजल
जलल बा हिया में अगन धीरे धीरे मिलल जब नयन से नयन धीरे धीरे जुड़ल प्रीत के डोर जबसे ह उनसे सजावे लगल मन सपन धीरे धीरे नशा प्रीत के लग गइल बाटे अइसन रहत मन ह खुद में मगन धीरे धीरे बहक जाला तन मन न धीरज धराला बुलावेलु चुपके सजन धीरे धीरे अधर पे पड़ल जब अधर बाटे तहरा बढ़ल तब बदन के तपन धीरे धीरे घटा बन के जिनगी पे अइसन बरसलू खिलल दिल के सउँसे चमन धीरे धीरे ग़ज़ल ‘राज‘…
Read More