बस्तर आपन प्राकृतिक खबसूरती के अलावे कला-संस्कृति के दुनिया में एगो खास जगह राखेला। हाल-हाल तक ई इलाका ‘नक्सली’ हिंसा के चपेट में रहे आ ‘लाल गलियारा’ के धुरी बनल रहे। हम रायपुर से रात के बस धर के भोरे बस्तर के मुख्यालय चहुंपनी। फजीरे फजीरे केनियों भटके के मन ना करत रहे तऽ बस स्टैंड के ऊपरी तल्ला पऽ बनल ‘यात्री निवास’ में रुके के इरादा भइल। रूम लियाइल आ जेबी नासता करे निकले के मन भइल तबले पता चलल कि हमनी भीरी ताला ना रहे। मनेजर से पुछनी…
Read MoreCategory: संस्मरण
परिवार के देल पगड़ी: खानदान के इज्जत
बाप – दादा के नांव के आगे सिंह लागल रहे। सिंह के आपन एगो अलगे पहचान होला आपन एरिया में। आगे अउर बनल बाबू कुंवर सिंह नवाज देलन एगो अउर टाइटिल,नाम के आगे चौधरी लगाके काहे कि एक जंगल में दूगो सिंह ना रहे। अउर बनल चौधराहट के जोमे मातल खानदान धन के किनारे करि रईसी आ इज्जत बढ़ावे में लागि गइल।रईसी एह परिवार में ऊ ना रहे जेवन रईस परिवार में रहेला। इज्जत ढोये खातिर रईसी कान्हे ढोआत रहे। जेकर पहचान ओह घरी के बिहार के सतरहो जिला में…
Read Moreटुनटुन उर्फ पाब्लो पिकासो
” ए टुनटुन भइया तनी हमरो गइया बना दा न ।” एगो साँवला, नाटा लइका के घेरले कुल लइकी-लइका चिरौरी -बिनती करत रहलन अउर एहर अपने कला के कॉपी में गाय के पोंछ के रंगे में लवलीन सिर झुकवले टुनटुन केहुए ओरी धियान ना देत रहलन।उनकर माथा तब्बे ऊपर भइल जब उजरकी गाय रंगाय -बन्हाय के पियरका पन्ना पर एकदम हूँफे-धावे खातिर तैयार देखाय लगल। टुनटुन के नन्हकी आँख में तरई जगमगाय गइल।होठ के गोल घुमाय के उ सीटी बजवलन – ” ला लोग, धउरे खातिर हमार उजरकी तैयार हो…
Read Moreहमार बड़का बाबूजी
दूबर पातर सरीर, लमाई छव फुट से कम न रहल होई,समय के पाबंद, साइकिल के सवारी क के कबों-कबों ईस्कूल मने किसान उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सैदूपुर तक के जतरा, अक्सरहाँ त पैदले चलत रहने । सोभाव के तनि कड़क, पढ़ाई के लेके हरदम जागल रहे वाला मनई रहलें हमार बड़का बाबूजी मने श्री रामदास द्विवेदी बाबूजी। उनुका पढ़ावत बेरा सुई के गिरलो के अवाज सुना जात रहे। कबों कवनों लइका आपुस में बात करे के कोसिस करसु त सोवागत खड़िया (चाक) भा डस्टरे से होत रहे। बाक़िर पढ़े वाला लइकन…
Read Moreअब कहाँ ऊ फगुआ-बसंत!
जनम कानपुर में भइल बाकिर लइकायी के दिन गाँवें में बीतल। लमहर परिवार रहे। दूगो तीन गो फुआ लोग के ससुरा जाए खातिर दिन धरा त दू तीन जनी के बोलावे खातिर। त हम लइका लोग के ठीक ठाक फ़ौज रहे। घर में जेतना लोग बहरा नोकरी करत रहे ओकर परिवार ढेर घरहीं रहत रहे। पिताजी कानपुर आर्डिनेंस फैक्ट्ररी में नोकरी करत रहनीं आ हमनीं के गाँव में। ढेर दिन हो जा त मामा जी मम्मी के बिदा करा ले जायीं। तब साल दू साल मामा जी की घरे बीते।…
Read Moreठकुरान के ठसक
विंध्य के पहाड़ियन के घाटी में बसल गाँव आ उहाँ के रहनिहारन के एगो अलगे सुघरई होले। पहुनई में त करेजा काढ़ि के रख देला लो, बाकि मोछ के बात आ गइल बेखौफ आर-पार करे खातिर उतर जाला लो। खेती- किसानी आ गोरू-बछरू से नेह छोह राखे वाला लो अपनइत नीमन से निबाहेला। अइसने एगो गाँव के बाति जवना गाँव में ढेर बाभन लोग रहे। ओह गाँव में अउरो जात धरम के लोग रहे बाकि एगो खास बात उ ई कि ओह गाँव में एगो राजपूत परिवारो बसल रहे। धन…
Read Moreमय सिवान के चोली-चूनर धानी लेके
ए. बी.हॉस्टल, कमच्छा, वाराणसी में रहत समय अकसरहां सांझ के कवनो ना कवनो टॉपिक प चरचा छिड़िए जात रहे। सारंग भाई (स्व. सुरेंद्र कुमार सारंग) एह चरचा के सूत्रधार होत रहलें। एही तरे एक दिन चरचा होये लागल भोजपुरी के कवि जगदीश पंथी के एगो गीत प। ऊ गीत रहे- ‘रुनुक झुनुक बाजे पायल तोहरे पंउवा/ बड़ा नीक लागे ननद तोहरे गंउवा।’ सारंग भाई ऊ गीत सुनवलें आ ओकर तारीफ कइलें। सारंग खुद बढ़िया गीत लिखत रहलें। जगदीश पंथी के नांव पहिल बेर हम ओहिजे सुनलें रहीं। गीत में गांव…
Read Moreहमार रामभंजन बाबा
बात हमहन से छ पीढ़ी पहिले के ह। बरहुआं के कश्यप गोत्रीय दुबे लोगन के परिवार में दुर्गानन्द दुबे के तीन गो सुपुत्र भइल रहलें। जवना में सभेले बड़ रामभंजन बाबा रहलें। उहाँ से दूनों छोट भाई राम सहाय दुबे आ हंसराज दुबे रहल लोग। तीनों भाई एकदम सोझबग, मयगर आ साधु लेखा सोभाव के रहल। तीनों भाई लोग के लइकई बहुत नीमन से बीतल। तीनों भाई लोग बड़ भइलन। रामभंजन बाबा आ उनुके एगो छोट भाई हंसराज बाबा के बियाहो-दान समय से हो गइल। तीसरका भाई के बियाह ना…
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एकबेरा फिर से सोच ल रामसिंगार, काहेकि तू हउअ बाबू साहब ..तोहार बेटा बैंक में पार्ट टाइम काम कर ना सकी .. ग्राहक लोग के चाह- पानी पियावे के पड़ी । अउर भी छोट-मोट काम कुल करेके पड़ी साहब लोग से डाँट भी सुनेके पड़ी । बाबू बिनोदवा ई कुल काम करी ओकरा गांव से बाहर लिया जाईं डहेण्डल बनल फिरता ..हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाए लगले रामसिंगार .. साहब के आगा । साहब के मन पसीज गईल, नया-नया बैंक में नौकरी भईल रहे . पार्ट टाइम ‘वाटर ब्वाय’ राखेके पावर मिलल…
Read Moreजमुऑंव के संत निराला बाबा
जमुऑंव गाँव (थाना- पीरो, जिला- भोजपुर) के लोग बहुते धारमिक सोभाव के ह। जब से हम होस सम्हरले बानी तबे से देखतानी कि एह गाँव में पूजा-पाठ, हरकीरतन आ जग उग के आयोजन लगातार होत आ रहल बा। एह गाँव में साधुजी लोगन के बड़ा बढ़िऑं जमावड़ा भी होखत रहेला। मंदिर आ देवस्थानन से त गाँव भरल परल बा। कालीमाई, बड़की मठिया, छोटकी मठिया, संकरजी, जगसाला, सुरुज मंदिर, सतीदाई, बर्हम बाबा, उमेदी बाबा, गोरेया बाबा, पहाड़ी बाबा–। बात 1975 – 76 के आसपास के होई। बड़का पोखरा से पचीस-तीस डेग…
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