बोरसी

घर में नाया सामान के अइला पर पुरनका के पूछ घट जाला कबो कबो त खतमें हो जाला , कमो बेस घर परिवार आ हितइयो के ईहे हाल होला जइसे जीजा के अइला पर फूफा के पूछ कम हो जाला, बेटी के होते बहिन के पूछ घट जाला ,नात नतकुर के होते आजा आजी पर फोकस कम हो जाला ।
ठीक अइसहीं अनदेखी क सिकार बेचारी ‘बोरसी’ देवी भी भइल बाड़ी। हीटर आ ब्लोवर के अइला से बोरसी देवी घर से बहरे क दीहल गइली, एकाध जनी बचल बाड़ी त गाँव के पुरनका घर में बूढ़ पुरनिया नियर कोना में परल-परल भखड़त बाड़ी।
एगो समय रहे कि बोरसी देवी के सेवा सत्कार में बिसेस परसिंछण प्राप्त लोग लगल रहस , बोरसी भरल भी एगो कला रहे। जहाँ एक ओर सीरीमान #घूर माहाराज पुरुष समाज के परिचायक रहलें ओही बोरसी देवी भी मेहरारू जमात के अगुआनी करस। सझलौका क बेरा जहाँ दुआरे पर घूर बराव ओहीं अंगना में बोरसी भी भराए लागे । दुअरा पर घूर अगराय-अगराय के जरे त अंगना में बोरसी लजाय-लजाय के।
सांझा के बेरा बोरसी लइकन खातिर कहानी क अड्डा रहली त राते में ननद भउजाई के हँसी ठिठोली क बहाना आ सुतला राती के बुढ़िया आजी के डांड़ दरद के इलाज।
बाकिर बिकास के अंगुरी धइले बनल-ठनल अगरात अपना लाव लस्कर के साथे बिजली कुमारी जब गाँव में पहुंचली त पूरा गाँव उनका स्वागत में हाथ गोड़ जोड़ के खाड़ा हो गइल।
दालान से रसोई ले उनही के राज काज हो गइल ।
नया समय के साथे पुरान बोरसी अड्जस्ट ना कर पवली आ गौरइया चिरयी नियर इहो बिलुप्त के कटघरी में चहुंप गइली , अब आसमान में गौरइया के जगे पीजा डीलिभरी करत ड्रोन बा आ घर में बोरसी के जघे ब्लोवर बा । इनकर पहुंच त बिछावन आ रजाई में ले बा ।
बाकिर इनहूँ के रिपलेस करे वाला कबो न कबो केहू न केहू त अइबे करी तब ईहो ताकल करिहें कोना में बइठ के टुकर-टुकुर…बोरसी नियर।
——– निशा राय

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