ब्रजभूषण मिश्र आ उनकर रचना संसार

ब्रजभूषण मिश्र कवि, निबंधकार, संपादक, समीक्षक आ संगठनकर्ता होखे का पहिले साफ मन-मिजाज आ दिल-दिमाग के सोगहग मनई हउवें। साफ मन-मिजाज के मनई मतलब सभकरा हित आ चित के खेयाल राखेवाला। घरियो छन जे इनका से बोल बतिआ लेलस ओकरो के पीठ पीछे कहत सुनले बानी – ए जी, एह जुग-जबाना में मिसिर जिउवा अइसन सहज मनई मिलल मुश्किल बा। एकदम से ‘बारह भीतर एक समाना’। गोसाईं जी का सबदन में – सुरसरि सम सभकर हित होई। एही गुन-धरम वाला के बावा जी कहल जाला। इसे सब गुन-धरम त इनका…

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जनगीत आ भोजपुरी जनगीत

जनगीत में जन आ गीत एक साथे बा।एह में जन पहिले बा आ गीत बाद में।एह पहिले आ बाद के जवन मतलब ह तवन ई ह कि जन के कंठ में गीत बसेला,ओकर हिया से गीत फूटेला।जन आ गीत के जुगलबन्दी में पूरा जीवन धड़केला।राग-रंग के साथे विरह-बिछोह,दुख-तकलीफ आ जीवन-संघर्ष।सज्जी समाज मय नाता-रिश्ता के साथे।जनगीत कवनो एगो भाषा आ देश के चीज ना ह।हर देश हर भाषा में पावल जाला।हँ, ओकर रूप आ अभिव्यक्ति अलग -अलग होला आ बहुत कुछ आश्चर्यजनक रूप से मिलतो जुलत होला।जनगीत के हालाँकि एगो खास…

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आखिर के ठगाता

शेखर के गांजा के इ पहिलका दम रहे। अवरू सब साथी गांजा के दम पचावे आ जोम से मुँह आ नाक से धुँआ निकाले में माहिर हो चुकल रहन। पहिलके दम शेखर तनि जोर से खींच लेले रहले। उनका से बर्दाश्त ना भइल। उनकर माथा चकराए लागल। बाकि उ अपना साथी लोग से कुछ ना कहले। उनका बुझाइल कि साथी लोग मजाक उड़ावे लागी। जब दुसरका राउन्ड में चीलम उनका पास पहुँचल त उ झूठो के दम खींचे के नाटक कइले। ओकरा बाद उ ओहीजे एगो बँसखट पर ओठंघि गइले।…

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कुछ दिन बचके रहअ गुरु

कुछ दिन बचके रहअ गुरु घर में घुस के रहअ गुरु केहू से मत तनिक सटअ सबसे कट के रहअ गुरु फइलल बाटै खूब कोरोना ख़ूब मचल हौ रोना-धोना कउनो दवा न असर करत बा नाहीं कउनो मंतर टोना चीन से फइलल दुनिया भर में गाँव-गाँव में,शहर-शहर में एक लोग से अउर लोग में एक घरे से, दुसरे घर में सर्दी से शुरुआत करअ ला खाँसी दिनों रात करअ ला फिर जम के बुखार देला ई किडनी पर फिर घात करअ ला   पहिले चीन में ठोकलेस ताल फिर इटली…

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