हम गाँव क हईं गँवार सखी

हम गाँव क हईं गँवार सखी! हम ना सहरी हुँसियार सखी! बस खटल करीला सातो दिन, आवे न  कबो  अतवार  सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी! लीची,अनार,अमरूद,आम, सांझो बिहान खेती क काम, घेंवडा़,लउकी,धनिया जानी, ना जानीं हरसिंगार सखी!हम गाँव क हईं गँवार सखी! इहवाँ जमीन बा बहुत ढेर, असहीं उपजे जामुन आ बेर, इ गमला में के फूल ना ह, जे खोजे सवख सीगांर सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी! गोबर-गोथार , चउका-बरतन, अंगना,दुअरा सब करीं जतन, दम लेवे भर के सांस न बा, बानीं तबहूं बेकार सखी!…

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बसमतिया

बसमतिया के उपर बडा कठिन समय बा हस्पताले चहुपे के ।सॉय सॉय करत अन्हरीया बा । कोरा मे बोखार से तपत ओकर साल भर क् बेटवा। फटहीा लुगरी मे लपेटले अपने दुधमुहा दुलरूवॉ के करेजा से चिपटवले बसमतिया अपने भतारे के पीछे पीछे भागत चलत जात बदहवासल एक गो मतारी “का जाने भगवान हमसे काहे के नराज हउए?…..हमरे पुजा भगती मे कौन कसर रहि गयल का जाने गोलूआ के बाबू से कउनो अनहित ना न भईल जवने से देवी देवता नराज हउए गोलुआ क् शरीर तवा जैसन जरत बा.. दोहाइ…

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बदरो मरसिया बांचत ह

संवत २०७३ अषाढ़ अन्हरिया पख के  रात क समय बा सगरो आसमान में बदरी घेरले ह तनिकों देखात नइखे , हवा सिहरा देत बा । हल्की झींसी पडै़ लगल ह , हवा चहूँ ओर सांय सांय करत बा । पुरा गोपालपुर गॉव नींद मे सुतल ह ,लेकिन हमरे आंखी मे नींद कहॉ ? अब पहिले जइसन गाव ना रहल । ई बात ना ह कि गॉव विकास ना भइल । परमुख बाबा राजनाथ के परयास से गॉव मे पिच रोड़ ,खरंजा, पा० स्कूल बा सोसाईटी क गोदाम बा पंचायत भवन…

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भोजपुरी गीतन में होली वर्णन

भोजपुरिया धरती उत्सवधर्मी  धरती ह। भोजपुरिया लोकजीवन मुख्य रूप से खेती-किसानी पर आधारित बाटे ना, त मेहनत मजदूरी पर। भोजपुरिया लोकजीवन के हर एक परब त्योहार कृषि से जुड़ल बाटे। एह त्योहारन में होली-फगुआ के त कहहीं के का बा?घर के कोठिला में घान-चाउर भरल रहेला, बघार में गेहूँ गदरात रहेला,आम-महुआ मोजरात रहेला आ सरसो पिअर रंग फुलाए लागेला,त समझीं बसंत आ गइल बा। किसान-मजदूर देख-देख हरखित होला आ बसंत पंचमी से शुरू होखे वाला होरी के उत्सव अबीर खेल के शुरू करेला आ लगभग चालीस दिन तक एह त्योहार…

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गाँव-गिरांव के मड़ई से आध्यात्म के शिखर का अनूठा कवि- अनिरुद्ध

पुरूबी बेयार से रसगर भइल गँवई सुघरई के सँवारत, ओकरे छटा के उज्जर अंजोरिया में छींटत-बिदहत कविवर अनिरुद्ध के गीत आ कवितई अपना तेज धार में सभे पाठक आ श्रोता लोगन के बहा ले जाये के कूबत राखेले। अनिरुद्ध जी के गीत आ कवितई अपना स्पर्श मात्र से पथरो पर दूब उगावे लागेले। फेर कतनों नीरस मनई काहें ना होखों, ओकरा के सरस होखे में देर ना लागे।जवने घरी भोजपुरी गीत भा कविता मंच पर ले जाइल, उपहास करावत रहे, ओही घरी अनिरुद्ध जी अपने गीतन से हिन्दी काव्य मंचन…

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पंछी उड़त गगन छिछिआए

पंछी उड़त गगन छिछिआये।   अइसन उठल बवण्डर-अंधर जाना कहाँ,कहाँ चलि जाय। पंछी उड़त गगन छिछिआये॥   तनिक हवा के दया न आइल टूट-टूट खोंता उधिआइल टूटल डाढ़ बसेरा उजड़ल ना निशान कुछ जगह चिन्हाए पंछी उड़त गगन छिछिआये॥   नीड़ गिरल कुछ नदी नीर में ताल-तलइया नहर-झील में भुंइ भूखे कुछ मरे डूब जल पर बिनु बचवन उड़ ना पाये। पंछी उड़त गगन छिछिआये॥   छींटल दाना जाल बिछल बा का उतरे चिड़िमार छिपल बा बिमल सोत लउके ना कतहूँ का पंछी ऊ प्यास मिटाये। पंछी उड़त गगन छिछिआये॥…

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अनन्त

*युगम- युगम अमर अनन्त रहे* *उ परेम रस भाखा भोजपुरी होखे* ई सोच, ई फिकीर हमरा अंदर काहे । कवना फायेदा खातिर। कवन लालच घेरले बा, समझ मे नइखे आवत।ई हमरा समझ से परे काहे बा।खुलल आसमान होखे। बदरी भा टटहात घाम होखे। दिन होखे चाहे रात होखे। हमेसा मन में चलत एकही बात बा। *जेपे करी तन, मन, धन बलिदान* *उ अनन्त मये भोजपुरी होखे* अइसन अनेको सवाल हमरा के चैन से बइठे नइखे देत।शुकुन के निन सुते नइखे देत। का हम निशा में रहत बानी।भा लोग जवन कहत…

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हारब त हारब बाकिर तोहरा के जीते ना देब

हिन्दुवन के कमजोरी ह कि ऊ जीव हत्या पसन्द ना करसु. इहां ले कि जे मांसभक्षी होला उहो अपना सोझा काटल पसन्द ना करे. जे काटेला ऊ झटका में काटेला कि कटाएवाला के कम से कम कष्ट होखे. दुनिया के सगरी नीति नैतिकता पोसे पकावे वाला हिन्दू के इहो याद ना रहे कि जब-जब ऊ कमजोर पड़ल बा, जहाँ-जहाँ ऊ गिनिती में घटल बा ओहिजा से ओकर विदाई, ओकर खात्मा हो गइल बा. एही कश्मीर में लाउडस्पीकर से एलान क के पंडितन के भगावल गइल आ ओकरा बेटी-बहिन के ओहिजे…

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होली मिलन/वसंतोत्सव के आयोजन

गाजियाबाद । पूर्वांचल भोजपुरी महासभा गाजियाबाद का तत्वावधान में अग्रसेन भवन,लोहिया नगर में भोजपुरी सम्मेलन आ होली मिलन/वसंतोत्सव के आयोजन कइल गइल।एह आयोजन में मुख्य अतिथि का रूप में श्रीमती  आशा शर्मा (महापौर), गाजियाबाद सिरकत कइली। कार्यक्रम का आरंभ अतिथियन द्वारा दीप प्रज्वलन आ सरस्वती वंदना के संगे भइल।  सरस्वती वंदना रोमी माथुर जी के मधुर कंठ सम्पन्न भइल।कार्यक्रम का शुरू में पूर्वांचल के विशिष्ट विभूति लोगन के सम्मानित कइल गइल।एह बरीस पूर्वांचल भोजपुरी महासभा महिला लोगन पर केंद्रित भोजपुरी के पहिलकी किताबि ‘भोजपुरी साहित्य में महिला रचनाकारन के भूमिका’…

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भोजपुरी साहित्य के आधी आबादी

हाल के कुछ बड़ घटना में एक बात इहो बा कि लेखन के दुनिया में औरतन के हिस्सेदारी पर बातचीत कइल जाता। शहर-शहरात से लेके गांव-जवार के दूर-दराज़ इलाका में जइसे-जइसे सामाज आ राजनीति में महिला लोगन के भागीदारी बढ़ल जाता, ओह पर चर्चा भी खूब होता। बाकिर आपन जिनगी के मूल समस्या के लेके हिन्दी या हिन्दी के इलाकाई बोली में जेतना ढेर संख्या में महिला रचनाकारन के उभार भइल बा, ओकर एक चौथाई हिस्सा पर भी लिखल-पढ़ल, बोलल-बतियावल अभी नइखे गइल। एह में कउनो शक-शुबहा नइखे कि महिला…

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